‘ठाकरे’ पर एक्टर सिद्धार्थ का बड़ा बयान

स्व. बाला साहेब ठाकरे की बायोपिक फिल्म ‘ठाकरे’ का निर्माण हिंदी व मराठी, दो भाषाओं में किया गया है. 26 दिसंबर को फिल्म ‘ठाकरे’ के मराठी व हिंदी दोनों भाषाओं मे ट्रेलर रिलीज किया गया. पर दोनो भाषाओं के ट्रेलर में जबरदस्त अंतर है. मराठी भाषा के फिल्म के ट्रेलर में दक्षिण भारतीयों के प्रति कई अपशब्दों का प्रयोग किया गया है. जिन पर सेंसर बोर्ड ने भी आपत्ति जताई है. पर शिवसेना नेता, सांसद व फिल्म ‘ठाकरे’ के निर्माता संजय राउत ने ऐलान कर दिया है कि सेंसर बोर्ड इस फिल्म के किसी भी संवाद को काट नहीं सकता. 25 जनवरी 2019 को प्रदर्शित होने वाली अभिजीत पनसे निर्देशित और नवाजुद्दीन सिद्दिकी व अमृता राव के अभिनय से सजी इस फिल्म के ट्रेलर में महाराष्ट्र खासकर मुंबई में बसे अप्रवासी भारतीयों वो भी खासकर दक्षिण भारतीयों के खिलाफ नफरत सूचक संवाद हैं. इसमें एक संवाद- ‘उठाओ लुंगी बजाओ पुंगी’ कई बार दोहराया गया है. यह संवाद विशेषकर दक्षिण भारतीयों के बारे में ही है. दक्षिण भारतीय ही लुंगी ज्यादा पहनते हैं. उल्लेखनीय है कि यह संवाद हिंदी फिल्म के ट्रेलर में नहीं है.

ट्रेलर आने के बाद कुछ ही घंटों में ही इसका विरोध शुरू हो गया है. सबसे पहले दक्षिण भारतीय अभिनेता सिद्धार्थ ने ट्वीटर पर लिखा, ‘यह दक्षिण भारतीयों के प्रति नफरत वाला भाषण है.’

बता दे कि 1966 में शिवसेना नेता के ‘मराठी माणुस’ को लेकर यह संवाद ‘स्लोगन’ हुआ करता था.1966 में शिवसेना पार्टी का गठन करते समय बाल ठाकरे ने मांग की थी कि महाराष्ट्र में स्थानीय लोगों को ही नौकरी में प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इतना ही नहीं मुंबई में रह रहे अप्रवासी भारतीयों के खिलाफ उस वक्त बाला साहेब ठाकरे ने कई तरह की मुहीमें चलाई थी.

वैसे फिल्म ‘ठाकरे’ के हिंदी ट्रेलर में भूमिपुत्रों का मुद्दा जरुर उठाया गया है, मगर दक्षिण भारतीयों के खिलाफ किसी तरह के स्लोगन नहीं है. इससे यह साफ जाहिर होता है कि शिवसेना पार्टी की तरफ से फिल्म ‘ठाकरे’ के ट्रेलर व इस फिल्म का उपयोग मराठी भाषी लोगों को एकजुट कर वोट बटोरने का प्रयास किया जा रहा है.

उधर सेंसर बोर्ड ने भी फिल्म के तीन संवादों को हटाने के लिए कहा है, मगर शिवसेना नेता व फिल्म के निर्माता संजय राउत का कहना है कि सेंसर बोर्ड किसी संवाद को हटा नहीं सकता. संजय राउत का दावा है कि फिल्म ‘ठाकरे’ में कुछ भी काल्पनिक नही है, सब कुछ वास्तविक है. मगर यह उनका सबसे बड़ा झूठ है. इतिहास इस बात का साक्षी है कि बाला साहेब ठाकरे अपने जीवन में कभी भी किसी भी अदालत के कटघरे में खड़े होकर वकीलों या जज के सवालों के जवाब देने नहीं गए. मगर हिंदी व मराठी दोनों भाषाओं के ट्रेलर में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद बाला साहेब ठाकरे अदालत के कटघरे में खड़े होकर वकील व जज के सवालों के जवाब देते हुए नजर आ रहे हैं, जो कि पूर्णरूप से गलत है.

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फिल्म ‘ठाकरे’ में बाला साहेब ठाकरे का किरदार मूलतः उत्तर प्रदेश निवासी अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने निभाया है. बाला साहेब ठाकरे पूरी जिंदगी माइनौरिटी और उत्तर प्रदेश के लोगों के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं. इसी पर कटाक्ष करते हुए अभिनेता सिद्धार्थ ने कहा, ‘फिल्म मंटो’ तक में नवाजुद्दीन सिद्दिकी का प्रशंसक रहा हूं. इसलिए नहीं कि इस फिल्म में उन्होने एक अच्छे इंसान का किरदार निभाया है. उन्होने कई फिल्मों में बुरे इंसान का भी किरदार निभाया है. पर उन फिल्मों में बुरे को बुरा ही दिखाया गया.मगर अब उन्होने फिल्म ‘ठाकरे’ में बाला साहेब ठाकरे का किरदार निभाया है, जिसमें बाला साहेब ठाकरे का महिमा मंडन किया गया है.जब माइनौरिटी के खिलाफ बात करने वाले मराठी भाषी को महिमा मंडित करने वाले का किरदार एक उत्तर भारतीय मुस्लिम अभिनेता निभाए, इसे भी न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता.’

नावजुद्दीन सिद्दिकी पर कटाक्ष करते हुए सिद्धार्थ ने आगे ट्वीट किया है, ‘फिल्म के निर्माताओं के लिए बाला साहेब ठाकरे का किरदार नवाजुद्दीन सिद्दकी द्वारा निभाया जाना काफी किफायती रहा, क्योंकि नवाज ही खुद को उस दृश्य में थप्पड़ मार सकते हैं, जिसमें बाला साहेब ठाकरे उत्तर भारतीयों की पिटाई करते हैं.’

दक्षिण के अभिनेता सिद्धार्थ द्वारा ट्वीटर पर फिल्म ‘ठाकरे’ के खिलाफ हमला बोले जाने के बाद ट्वीटर पर मराठी फिल्म ‘ठाकरे’ के ट्रेलर के खिलाफ जमकर हमले जारी हैं.

इस दमदार फिल्म के साथ बौलीवुड में एंट्री करेंगे ‘बाहुबली’

साउथ सिनेमा के स्टार और दुनिया भर में फिल्म बाहुबली से नाम कमाने वाले प्रभास अपनी अगली फिल्म के साथ बौलीवुड में एंट्री करने वाले हैं. उनकी फिल्म ‘साहो’ जल्दी ही बड़े पर्दे पर आने वाली है. ये फिल्म एक साथ तीन भाषाओं में रिलीज हो रही है. फिल्म में प्रभास जबरदस्त एक्शन अवतार में नजर आएंगे.

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असल में साहो किसी गैर हिंदी भाषिय फिल्म से अलग है. ये हिंदी डब फिल्म नहीं है, बल्कि  इसे तीन अलग अलग भाषाओं में शूट किया गया है. इस फिल्म से प्रभास बौलीवुड में एंट्री करेंगे. उनके एक्शन अवतार को बड़े पर्दे पर देखने के लिए दर्शक बेहद उत्सुक हैं.

फिल्म बाहुबली के बाद प्रभास देश के कुछ चुनिंदा एक्टर्स में शुमार हो चुके हैं, जिन्हें दर्शकों से बेहद प्यार मिला. बाहुबली के दोनों पार्ट्स में अपने जबरदस्त अभिनय से वो केवल देश ही नहीं, दुनिया भर में काफी पौपुलर हुए. बाहुबली: द बिगिनिंग की रिलीज के बाद लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली और बाहुबली का दूसरा भाग प्रभास को और अधिक लोकप्रियता और स्टारडम हासिल करवाने में मददगार साबित हुआ.

सिंबा: रणवीर सिंह की ओवरएक्टिंग…

किसी भी सफल फिल्म का रीमेक बनाते समय फिल्मकार उसे तहस नहस कर देते हैं. इससे पहले मराठी फिल्म ‘सैराट’ की जब हिंदी रीमेक ‘धड़क’ आयी, तो बात नहीं जमी थी. अब रोहित शेट्टी 2015 में प्रदर्षित तेलुगू की सुपर हिट फिल्म ‘‘टेम्पर’’ का हिंदी रीमेक एक्शन व हास्य प्रधान फिल्म ‘‘सिंबा’’ लेकर आए हैं, पर इस बार वह भी मात खा गए.

फिल्म ‘‘टेंम्पर’’ में जिस तरह का अभिनय जूनियर एनटीआर ने किया है, उसके सामने रणवीर सिंह फीके पड़ जाते हैं. जिन लोगों ने तेलुगू फिल्म ‘टेम्पर’ या हिंदी में डब इस फिल्म को देखा है, उन्हे ‘सिंबा’ पसंद नहीं आएगी. अन्यथा यह मनोरंजक मसाला फिल्म है, जिसमें एक्शन, हास्य, रोमांस, इमोशंस के साथ ऐसा हीरो है, जो कि वक्त पड़ने पर बीस पच्चीस लोगों को धूल चटा देता है.

संग्राम भालेराव उर्फ सिंबा (रणवीर सिंह) एक अनाथ बालक से शिवगढ़ के एसीपी बने हैं, जो कि भ्रष्ट पुलिस आफिसर है. यह वही शहर है, जहां डीसीपी बाजीराव सिंघम (अजय देवगन) की परवरिश हुई थी. बाजीराव इमानदार पुलिस अफसर रहा है, जबकि सिंबा को भ्रष्ट तरीके से जिंदगी का आनंद उठाते दिखाया गया है. वास्तव में बचपन में ही सिनेमाघर के सामने ब्लैक में टिकट बेचते हुए सिंबा समझ जाता है कि पैसा कमाने के लिए पावर चाहिए, इसीलिए वह पुलिस अफसर बनना चाहता है. पुलिस अफसर बनने के बाद सिंबा बेईमानी पूरी इमानदारी से करता है. पुलिस अफसर की ड्यूटी निभाते हुए उसका ध्यान सिर्फ जायज व नाजायज ढंग से पैसा कमाने पर ही होता है. कुल मिलाकर संग्राम उर्फ सिंबा को भ्रष्ट पुलिस अफसर की जीवनशैली जीने में ज्यादा आनंद आता है. उसे प्रदेश के गृहमंत्री का वरदहस्त हासिल है.

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संग्राम भालेराव, गृहमंत्री को अपना पिता और उनकी बेटी को बहन मानता है. गृहमंत्री उसका तबादला गोवा में मीरा मार पुलिस स्टेशन में इस हिदायत के साथ करते हैं कि वह वहां पर दुर्वा रानाडे (सोनू सूद) को क्रास नही करेगा. मीरा मार पुलिस स्टेशन पहुंचने पर सिंबा का सामना हेड कांस्टेबल मोहिले (आशुतोष राणा) से होती है, जोकि बहुत इमानदार है, उसने सिंबा के बारे में सब कुछ सुन रखा है, इसलिए वह उन्हे सलाम नहीं करता है. गुस्से में सिंबा उसे अपनी गाड़ी का ड्राइवर बना लेता है. पर सब इंस्पेक्टर संतोष तावड़े (सिद्धार्थ जाधव) से सिंबा की जमती है और दोनों मिलकर हर नाजायज काम को अंजाम देते हैं. पुलिस स्टेशन के सामने ही कैटरिंग चलाने वाली शगुन (सारा अली खान) पर सिंबा लट्टू हो जाता है.

तो वहीं वह शगुन की सहेली आकृति को अपनी बहन बना लेता है. एक दिन शगुन भी सिंबा से प्यार करने की बात कबूल कर लेती है.दु र्वा रानाडे के ड्रग्स के अवैध व्यापार से अनभिज्ञ सिंबा, दुर्वा के हर अपराध में उसका साथ देता है, जिसके बदले में उसे एक बड़ी रकम मिलती रहती है. दुर्वा के ड्रग्स का व्यापार उसके दो भाई संभालते हैं. यह छोटे स्कूल जाने वाले बच्चे के बैग में ड्रग्स के पैकेट भरकर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते रहते हैं. जब इसकी भनक आकृति को लगती है, तो वह उनके अड्डे पर पहुंच जाती है, जिसके साथ बलात्कार करने के बाद दुर्वा के भाई उसकी हत्या कर देते हैं. आकृति के साथ जो कुछ होता है, वह जानकर सिंबा में परिवर्तन आता है और वह सही राह पर चलना शुरू कर देता है.अं ततः दुर्वा के दोनो भाईयों का पुलिस स्टेशन के ही अंदर इनकाउंटर होता है. मामला अदालत में पहुंचता है. डीसीपी बाजीराव सिंघम भी आते हैं और अंत में सिंबा बरी और दुर्वा को सजा हो जाती है.

तेलगू फिल्म ‘टेम्पर’ की यह आधिकारिक रीमेक है, मगर रोहित शेट्टी ने थोड़ा सा बदलाव करते हुए इसे मसालेदार बनाने की कोशिश की है. फिल्म में गाने काफी डाले गए हैं. इंटरवल से पहले फिल्म की कहानी ह्यूमर व हास्य के साथ एक भ्रष्ट पुलिस अफसर की कहानी है. इंटरवल से पहले हास्य का तगड़ा डोज है. मगर इंटरवल के बाद कहानी का केंद्र लड़की के साथ बलात्कार व बलात्कारियों को सजा देने की तरफ मुड़ जाता है. इंटरवल के बाद फिल्म निर्देशक रोहित शेट्टी के हाथ से फिसल सी जाती है. क्योंकि उन्होंने देश के लोगों के मिजाज को भुनाने का ही प्रयास किया है.

जिसके चलते फिल्म काफी बोरिंग हो जाती है. फिल्म में अदालत के दृष्य प्रभाव नहीं डालते. निर्भया केस के साथ फिल्म को जोड़कर उपदेशात्मक बना दिया है, जो कि बहुत बोर करता है. यह एक बलात्कार पर आधारित मैलोड्रैमेटिक फिल्म बनकर रह गयी है.

बौलीवुड की सबसे बड़ी कमजोरी है कि कोई भी फिल्मकार फिल्म में मनोरंजन के साथ उपदेश नहीं परोस पाते हैं. इस कमजोरी के शिकार रोहित शेट्टी भी नजर आए. समस्या का निराकरण तलाशने की बजाय हवाई समाधान देना इनका हक बन गया है. पुलिस स्टेशन में एनकाउंटर/मुठभेड़ का दृष्य अवास्तविक लगता है. अंत में अजय देवगन को लाकर एक्शन दृष्यों की मदद से निर्देशक ने फिल्म को संभालने का असफल प्रयास किया है.

पटकथा के स्तर पर तमाम कमियां हैं. कई दृष्यों में अजीब सा विरोधाभास है. एक तरफ बलात्कार की शिकार आकृति का पिता दुःखी व सदमे में है, तो उसी क्षण वह एक कप चाय की मांग करता है. अदालती दृष्य तो बेवकूफी से भरे हैं. जिस तरह की भाषणबाजी अदालती दृष्य मे है, वह गले नहीं उतरती. जज के चैंबर में अपराधी, पुलिस व वकीलों के साथ ही राज्य के गृहमंत्री की मौजूदगी तो लेखक के दिमागी सोच की पराकास्ठा है.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो इंटरवल से पहले हास्य के दृश्यों में रणवीर सिंह ने पूरा जोश दिखाया है, मगर वह खुद को दोहराते हुए ही नजर आए हैं. कई दृश्यों में उनका अभिनय देखकर फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ की याद आ जाती हैं. कई दृष्यों में रणवीर सिंह ने जूनियर एनटीआर की नकल की है, तो कई जगह वह ओवरएक्टिंग करते हुए नजर आते हैं. शगुन के किरदार में सारा अली खान सिर्फ सुंदर लगी हैं, अन्यथा उनके हिस्से में करने के लिए कुछ है ही नहीं. दुर्वा रानाडे के किरदार में सोनू सूद जरुर प्रभावित करते हैं. एक अति ईमानदार हेड पुलिस कौंस्टेबल की भ्रष्ट अधिकारी के साथ काम करने की बेबसी को पेश करने में आशुतोष राणा काफी हद तक कामयाब रहे हैं. संतोष तावड़े के किरदार में सिद्धार्थ जाधव भी अपना असर छोड़ जाते हैं.

फिल्म में गीतों की भरमार है, मगर वह गीत संगीत असरदार नहीं है. फिल्म देखकर अहसास होता है कि अब धर्मा प्रोडकशन मौलिक बेहतरीन गीत संगीत रचने में असमर्थ हो गया है.

दो घंटे 40 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘सिंबा’’ का निर्माण करण जौहर, हीरू जौहर, अपूर्वा मेहता व रोहित शेट्टी ने किया है. फिल्म के निर्देशक रोहित शेट्टी हैं. तेलुगू फिल्म ‘‘टेम्पर’’ की हिंदी रीमेक वाली इस फिल्म के पटकथा लेखक युनूस सेजावल व साजिद सामजी, संवाद लेखक फरहाद सामजी, संगीतकार तनिष्क बागची, कैमरामैन जोमोन टी जौन तथा इसे अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं – रणवीर सिंह, सारा अली खान, सोनू सूद, अजय देवगन, वृजेष हीरजी, आषुतोष राणा, सिद्धार्थ जाधव, अरूण नलावड़े, सुलभा आर्या, अष्विनी कलसेकर, विजय पाटकर, सौरभ गोखले, अषोक समर्थ, वैदेही परषुरामी, सुचित्रा बांदेकर के अलावा मेहमान कलाकार के तौर पर तुषार कपूर, कुणाल खेमू, श्रेयस तलपड़े, अरशद वारसी व करण जौहर.

आसान नहीं था फिल्म ‘ठाकरे’ बनाना, ये थी चुनौती

अमूमन बौलीवुड में हर बायोपिक फिल्म में उस इंसान का महिमा मंडन ही किया जाता रहा है, फिर चाहे वह संजय दत्त की बायोपिक फिल्म ‘संजू’ हो या कोई अन्य बायोपिक फिल्म. ऐसा करते समय संबंधित इंसान के स्याह पक्ष को पूरी तरह से फिल्म में नजरंदाज किया जाता रहा है.

मगर शिवसेना प्रमुख स्व. बाला साहेब ठाकरे की बायोपिक फिल्म ‘ठाकरे’ के निर्देशक अभिजीत पनसे का दावा है कि बाला साहेब ठाकरे स्वंय हीरो हैं, इसलिए उन्हे उनकी हीरोइक छवि दिखाने के लिए महिमा मंडित करने की जरुरत नहीं पड़ी. वो कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि बाला साहेब को हीरोइक दिखाने की हमारे सामने कोई चुनौती नहीं थी. बल्कि फिल्म के इंटरवल से पहले के हिस्से में हमारे सामने इस बात की चुनौती थी कि उन्हे हीरोइक किस तरह न दिखाया जाए. वो तो पूरे देश के हीरो थे. हमने फिल्म में वास्तविकता का दामन नहीं छोड़ा. दो ढाई घंटे में उनकी पूरी जीवनी को दिखाना संभव नहीं है. मगर देश और महाराष्ट्र को लेकर उनके जो विचार थे, उन्हें हमने पूरी ईमानदारी और वास्तविक रूप से चित्रित किया है. हमने कुछ भी कल्पना नहीं की.’

सारा अली खान के इस गाने को सुनकर रो पड़ा ‘बच्चा’

बौलीवुड एक्टर सारा अली खान इन दिनों खबरों में छाई हुई हैं. अपनी फिल्मों से ज्यादा सारा पब्लिक अपीयरेंस को लेकर चर्चा में हैं. सारा के बात करने का अंदाज, कौन्फिडेंस सारी चीजें फैंस को काफी पसंद आ रही हैं. सारा की फोटोज और उनके वीडियोज के अलावा इस न्यूकमर एक्टर के इंटरव्यू भी तेजी से वायरल हो रहे हैं.

जीटीवी के सिंगिंग रियलिटी शो ‘सारेगामापा 2018’ में पहुंचे रणवीर सिंह और सारा अली खान को कंटेस्टेंट ने गाना गाने के लिए कहा. सारा ने शाहरुख खान की फिल्म ‘वीर-जारा’ का ‘तेरे लिए’ गाया. सारा का गाना इतना बेसुरा था कि सेट पर मौजूद कंटेस्टेंट, जज और एंकर्स की हंसी निकल गई. इससे भी ज्यादा ये हुआ कि सेट पर मौजूद एंकर हाथ में डौल लेकर खड़ी थी और उसी दौरान बच्चे के रोने की आवाज का साउंड बजा दिया गया. इस फनी वीडियो को देखकर आपकी भी हंसी निकल जाएगी.

 

sara
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आपको बता दें, सारा की दूसरी फिल्म ‘सिंबा’ 28 दिसंबर को रिलीज होने जा रही है और इससे पहले फिल्म की टीम जबरदस्त प्रमोशन में लगी हुई है. टीवी रियलिटी शो में भी सारा और रणवीर की जोड़ी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने पहुंच रही है. इसी प्रमोशन का एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

हिना खान ने कराया हौट फोटोशूट, देखें तस्वीरें

छोटे पर्दे की धारावाहिक ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ और ‘कसौटी जिंदगी की’ से लाखों दर्शकों का दिल जीतने वाली अभिनेत्री हिना खान जल्दी ही बड़े पर्दे पर नजर आने वाली हैं. हाल ही में हिना खान ने एक फोटोशूट कराया है, जिसकी वजह से वो काफी चर्चा में हैं.

फोटो में हिना काले रंग लौन्जरी टौप पहनी हुई हैं और उसके उपर वो लाल रंग का ब्लेजर पहनी हुई हैं. अपने इस लुक में वो बेहद हौट दिख रही हैं. उनकी इन तस्वीरों को एक फैन पेज ने शेयर किया है.

हिना अपने फैशन सेंस के लिए काफी पौपुलर हैं. ट्रेडिशनल से  लिए वेस्टर्न आउटफिट, वो दोनों में काफी जंचती हैं. खुद वह भी काफी फोटोशूट्स कराती रहती हैं और अपने फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर करती हैं.

आपको बता दें कि हिना ‘कसौटी जिंदगी की’ के बात काफी बोल्ड हो गई हैं. इस सीरियल में उन्होंने नेगेटिव रोल निभाया है. अपने डेब्यू शो में हिना खान को ‘गर्ल नेक्स्ट डोर’ और ‘आदर्श बहू व पत्नी’ वाली छवि में देखा गया था, लेकिन कोमोलिका के किरदार में वह हर रोज चौंका रही हैं.

अब आत्मसंतुष्टि के लिए ज्यादा काम कर रहा हूं: धर्मेश व्यास

1982 में गुजराती फिल्म ‘धूम्रसर’ में अभिनय कर राष्ट्रीय पुरस्कार जीतकर अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता धर्मेश व्यास लगातार रंगमंच, टीवी फिल्मों में अभिनय करते आ रहे हैं. 1992 से 2010 तक वह हिंदी सीरियलों में काफी व्यस्त रहे. मगर पिछले पांच वर्षां से वह टीवी को अलविदा कहकर गुजराती भाषा की फिल्मों व रंगमंच पर व्यस्त हो गए थे. पर अब वह ‘मुबू टीवी’ चैनल के सीरियल ‘गुजरात भवन’ में अहम किरदार में नजर आ रहे हैं. प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के अंश…

आप पिछले कुछ समय से गुजराती फिल्में ही ज्यादा कर रहे हैं?

जी हां, पिछले चार वर्षों से मैंने टीवी पर काम करना बंद कर दिया था और गुजराती फिल्मों में व्यस्त हो गया था. इन दिनों गुजराती फिल्में काफी अच्छी बन रही हैं. गुजराती भाषा में मैं एकमात्र ऐसा कलाकार हूं, जो कि उस वक्त के वरिष्ठ कलाकार उपेंद्र त्रिवेदी व नरेश कनोडिया के साथ गुजराती फिल्में कर रहा था और अब नई पीढ़ी के कलाकारों के साथ भी काम कर रहा है.

चार वर्ष तक टीवी से दूरी बनाए रखने की मूल वजह क्या रही?

सच यह है कि टीवी जिस तरह से नारी प्रधान हो गया है, उसमें जिस तरह के सीरियल या कार्यक्रम बन रहे हैं, उसमें हम पुरूष कलाकारों के लिए करने को कुछ होता ही नही है. हम कहीं भी महज शो पीस की तरह खड़े नजर आते हैं. इसलिए मैंने टीवी से दूरी बनाई. मैं तो थिएटर से हूं, तो मुझे ऐसे सीरियलों में अभिनय कर मजा नहीं आ रहा था. फिर एक कलाकार के तौर पर मेरी अपनी एक अलग पहचान बन चुकी है. दर्शक पहचानते हैं. पैसा भी कमा ही लिया था. ऐेसे में मैने सोचा कि अब जो भी करना है, सिर्फ श्रेष्ठ ही करना है. मुझे रूटीन जिंदगी जीना पसंद ही नही है. टीवी पर अब 12 घंटे काम होने लगा है. तो मुझे लगा कि मैं तो मर जाउंगा. इसलिए मैं वापस फिल्म और थिएटर की तरफ लौट आया. पिछले चार वर्ष के दौरान मैंने करीबन 25 गुजराती भाषा की फिल्में की. हर फिल्म में मैंने अलग तरह के किरदार निभाए.

तो अब मुबू टीवी के सीरियल गुजरात भवन से जुड़ने की क्या खास वजह रही?

इस सीरियल के निर्देषक धर्मेश मेहता मेरे काफी पुराने दोस्त हैं. हम दोनो ने थिएटर पर एक साथ ही काम करना शुरू किया था. तो जब वह मेरे पास इस सीरियल का आफर लेकर आए,तो उसने मुझसे सिर्फ इतना ही कहा कि,‘धर्मेश इस सीरियल में एक किरदार है, जिसे करने में तुझे मजा आएगा.’ फिर उसने मुझे किरदार के बारे में विस्तार से बताया. मैंने किरदार के बारे में सुनते ही तुरंत हामी भर दी. उसके बाद मुझे पता चला कि यह एक नए चैनल ‘मुबू टीवी’ पर आने वाला है.

मैने कहा कि नया चैनल होगा तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि सीरियल का विषय बहुत सशक्त है. ऐसें में यदि चैनल ने प्रचार सही ढंग से किया और दर्शक ने एक बार सीरियल देखा, तो इस बात की गारंटी हे कि वह लगातार इस सीरियल को देखना चाहेगा. मैं अब जबकि इसका प्रसारण शुरू हो चुका है, तो भी दावा कर रहा हूं कि यह सीरियल बहुत जल्द सर्वाधिक लोकप्रिय सीरियल बनने वाला है.

नए चैनल मुबूके सीरियल गुजरात भवनमें अभिनय करने का आफर मिलने पर आपके मन मस्तिष्क में पहला विचार क्या आया?

आज से तीस वर्ष पहले जब मैंने अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा था, उस वक्त कोई सेटेलाइट चैनल नहीं था. तब दूरदर्शन था. और मैं दूरदर्शन पर कई सीरियलों में अभिनय किया. उससे पहले थिएटर व फिल्में भी की थी. जब 1992 में जी टीवी नामक पहले सेटेलाइट चैनल की शुरुआत हुई, तो मेरे पास ‘परंपरा’ नामक सीरियल का आफर आया था,तो मैने उसे तुरंत स्वीकार कर लिया था. जबकि उस वक्त ‘जीटीवी’ चैनल को कोई जानता ही नहीं था. इस सीरियल को जबरदस्त लोकप्रियता मिली और मुझे भी. इसके बाद ‘तारा’, ‘बनेगी अपनी बात’, ‘हसरते’, ‘कैम्पस’ सहित कई सीरियल सफल हुए. आज जीटीवी किस मुकाम पर है, आप स्वयं जानते हैं. तब से लगातार मैंने कई सेटेलाइट चैनलों के सीरियलों में अभिनय करता रहा.

जब सोनी टीवी शुरू हुआ था,तब इसके पहले सीरियल ‘जदूगर’ में मैंने अभिनय किया था. जब ‘स्टार प्लस’ शुरू हुआ,तो ‘स्टार प्लस’ पर मेरा दूसरा सीरियल ’भाभी’ था, यह डेलीसोप था. इसे रौनीस्कू्रवाला और जरीन खान ने बनाया था. यह सभी हिट हुए थे. तो मैं काम कर चुका हूं और देख चुका हूं कि चैनल नया हो या पुराना, अच्छा सीरियल ही लोग देखना चाहते हैं. ‘गुजरात भवन’ इतना बेहतरीन सीरियल है कि इसे एक बार दर्शकों ने देखना शुरू किया, तो फिर इससे कोई दूर नहीं जाएगा, इसका फायदा चैनल के स्थापित होने को भी मिलेगा.

सीरियल गुजरात भवन को लेकर क्या कहेंगे?

यह रोजमर्रा की जिंदगी की कहानी है. यह मुंबई में रहने वाले गुजराती परिवार की कहानी हैं, जिनके दिलों में गुजरात समाया हुआ है. वह गुजरात से बाहर निकल ही नहीं पा रहे हैं. इसी के चलते इन लोगों ने घर के हर कमरे को गुजरात के शहरों का नाम दिया हुआ है. मसलन बेड रूम को बरोदा, किचन को अहमदाबाद, ड्राइंग रूम को गांधी नगर. क्योंकि ड्राइंग रूम में ही हर निर्णय बैठकर लिए जाते हैं. टेरेस को कछ का नाम दिया है. सीरियल में इस तरह की सामान्य बातें की जा रही हैं कि दर्शक रिलेट कर पा रहा है. इमानदारी की बात यह है कि 1992 में मैंने सीरियल ‘हसरतें’ में काम करते हुए जितना इंज्वौय किया था, उतना ही इंज्वौय अब मैं पहली बार ‘गुजरात भवन’ करते हुए कर रहा हूं.

गुजरात भवन के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे?

यह किरदार मेरे टेम्परामेंट के विपरीत है. पूरी टीवी इंडस्ट्ी और दर्शक जानते हैं कि मुझे मुंबई बम की तरह जानते हैं कि यह सीन में आया, तो तोड़फोड़ धमाल होनी ही है. पर निर्देशक धर्मेश मेहता ने इस सीरियल में मेरे किरदार को खूबसूरती से गढ़ा है.

थिएटर में नया क्या कर रहे हैं?

थिएटर तो मेरा पैशन है. थिएटर की ही वजह से मैंने कई हिंदी फिल्में भी छोड़ी हैं. थिएटर में पिछले तीस वर्ष से मेरे समर्पित दर्शक हैं. दर्शक मेरा नाटक देखने के लिए इंतजार करते रहते हैं. कुछ दिन पहले मैने ‘बाप कमाल डीकरो धमाल’ नाटक किया था. इसका निर्देशन भी मैंने किया. इसके शो विदेशों में भी काफी किए.

क्या अब आप निर्देशन में कदम रखना चाहेंगें?

फिलहाल टीवी और फिल्म दोनों जगह मेरे अभिनय की दुकान बहुत अच्छी चल रही है. इसलिए निर्देशन में जाने की नहीं सोच रहा हूं. क्योंकि अब पैसा कमाने की मेरी चाहत नही रही. ईश्वर की अनुकंपा से मैंने एक अच्छी जिंदगी जीने लायक धन कमा लिया है. रंगमंच, फिल्म व टीवी ने मुझे अच्छा पैसा दिया. अब तो सिर्फ यादगार काम करना है. अब मैं आत्मसंतुष्टि के लिए ज्यादा काम कर रहा हूं.

आने वाली दूसरी फिल्में?

मेरी चार गुजराती भाषा की फिल्मं जल्द प्रदर्शित होंगी. एक फिल्म ’और्डर और्डर’ आउट औफ और्डर’ है, यह पारिवारीक और कोर्ट रूम ड्रामा वाली फिल्म है. दूसरी फिल्म ‘सफर द जीरो किलोमीटर’ है, जिसमें धर्मेश इलांडे हीरो है और मैने इसमें नगेटिव किरदार निभाया है. तीसरी फिल्म ‘पास ना पास जिंदगी की रेस मां’ है. इसके अलावा एक फिल्म ‘पटेल वर्सेस पथिक’ है. इसमें दर्शन रावल हीरो हैं. इसकी 10 प्रतिशत शूटिंग लंदन में होनी बाकी है.

सलमान के साथ झगड़े पर शाहरुख ने जो कहा आपको पढ़ना चाहिए

शाहरुख और सलमान की जोड़ी दोस्ती के लिए नहीं बल्कि दुश्मनी के लिए जानी जाती है.  अब भले ही दोनों बड़े पर्दे पर साथ दिख जाते हों, पर करीब 5 सालों तक दोनों अपनी दुश्मनी के किस्सों के कारण चर्चा में रहे. हालांकि दोनों में से कोई भी इसपर खुल के कभी नहीं बोला. इनकी लड़ाई खान-वार के नाम से मशहूर है.

हाल ही में शाहरुख ने इस लड़ाई के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि, कभी भी हम दोनों के बीच लड़ाई नहीं रही, वो बस मामूली सी तू-तू, मैं-मैं थी. शाहरुख ने कहा कि वो सलमान और उनके परिवार की बहुत इज्जत करते हैं. अपने पुराने दिनों को याद करते हुए शाहरुख कहते हैं कि, ‘जब मैं अपने परिवार के साथ नया नया मुंबई आया था तो उनके पूरे परिवार ने किसी अपने की तरह मेरा बहुत ख्याल रखा. मुझे लगता था कि मैं अपने दोस्तों और घरवालों के साथ हूं.’

किंग खान ने कहा कि, हमारे बीच छोटी मोटी नोंकझोंक होती रही हैं, पर प्यार भी बहुत ज्यादा है. हम एक दूसरे के बेहद करीब हैं.

आपको बता दें कि हाल ही में रिलीज हुई शाहरुख की फिल्म जीरो में सलमान का स्पेशल अपियरेंस था. इस फिल्म में शाहरुख के साथ अनुष्का और कटरीना कैफ मुख्य भुमिका में हैं. फिल्म का निर्देशन आनंद एल राय ने किया है. दर्शकों के बीच फिल्म का रिस्पौंस बहुत अच्छा नहीं रहा. अब देखने वाली बात होगी कि कमाई के मामले में फिल्म हिट रहती है या फ्लौप.

रिलीज डेट फाइनल होने के बाद बंद हुई अक्षय की फिल्म

अक्षय कुमार की एक फिल्म का निर्माण बंद कर दिया गया है. काफी वक्त पहले नीरज पांडे ने अक्षय के साथ ‘क्रेक’ नाम की फिल्म बनाने की घोषणा की थी. इसकी रिलीज डेट भी तय कर दी गई थी. पर फिल्म की शूटिंग शुरु ना हो सकी.

इस फिल्म के बनने में हो रही देरी से लोगों ने फिल्म के बंद होने के कयास लगाने शुरू कर दिए थे, पर मेकर्स ने कहा था कि कुछ कारणों से फिल्म की शूटिंग शुरू होने में देरी हो रही है और जल्दी ही इस पर काम शुरू होगा. पर इसकी शूटिंग शुरू ना हो सकी.

इन सब के बाद अब खबर आई है कि फिल्म को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. असल में खुद अक्षय इस फिल्म को नहीं करना चाहते थे. इसके अलावा नीरज पांडे की फिल्म अय्यारी का असफल होना भी फिल्म के बंद होने का कारण बताया गया है.

बताया जा रहा है कि अक्षय फिल्म की स्क्रिप्ट से खुश नहीं थे और उनकी उम्मीद के अनुसार नीरज काम नहीं कर पा रहे थे. इसलिए फिल्म बंद करने का फैसला ले लिया गया.

इस फिल्म के साथ प्रोडक्शन में डेब्यू करेंगी दीपिका

कुछ दिनों पहले दीपिका पादुकोण ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी शुरू करने की बात कही थी. हाल ही में खबर आई कि दीपिका शादी के बाद बड़े पर्दे पर वापसी के लिए तैयार हैं. ताजा खबरों कि माने तो दीपिका प्रोड्यूसर के तौर पर डेब्यू करने वाली हैं. वो एसिड अटैक झेल चुकी लक्ष्मी अग्रवाल पर बन रही फिल्म को प्रोड्यूस करेंगी. इस फिल्म में वो लीड रोल में होंगी, जिसका निर्देशन मेघना गुलजार करेंगी.

फिल्म का नाम भी पब्लिक कर दिया गया है. इसकी जानकारी खुद ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने ट्वीट कर के दी. तरण ने बताया कि फिल्म का नाम ‘छपाक’ है.

कौन हैं लक्ष्मी

आपको बता दें कि लक्ष्मी 15 साल की थी जब उन पर एसिड अटैक हुआ. एक 32 साल के आदमी ने एक तरफा प्यार के चलते उनपर एसिड फेंका था. आज लक्ष्मी एक NGO की डायरेक्टर हैं. जो एसिड अटैक के शिकार लोगों की मदद करता है. इस अटैक में उनका पूरा चेहरा जल गया. लक्ष्मी ने 10वीं तक पढ़ाई की है. उन्हें ब्यूटी पार्लर का काम भी आता है. अपने जीवन पर बात करते हुए उन्होंने बताया था कि उनके जले हुए चेहरे के कारण कहीं काम नहीं मिलता था.

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