लड़की के शादी और सैक्स से जुड़े सवाल और उन के हल

शादी तय होते ही हर लड़की के मन में जहां एक तरफ अनकही खुशी होती है वहीं दूसरी ओर मन में डर भी रहता है कि न जाने नया घर, वहां के रीतिरिवाज, घर के लोग कैसे होंगे? क्या मैं उस माहौल में सहज महसूस कर पाऊंगी? ऐसे तमाम सवालों के साथसाथ एक अहम पहलू यानी सैक्स जीवन को ले कर भी मन में अनगिनत जिज्ञासाएं होती हैं, जिन के बारे में वह हर बात को शेयर करने वाली मां से भी नहीं पूछ पाती है और न ही भाभी या बहन से.

सेक्स संबंधी जिज्ञासाएं एक विवाहयोग्य लड़की के मन में होना आम बात है. इसी विषय पर बात करते हुए 2 महीने पूर्व विवाह के बंधन में बंधी रीमा कहती है कि विवाह तय होते ही मैं ने मां से पूछा कि मां पहली रात के बारे में सोच कर घबराहट हो रही है, क्या होगा जरा बताइए?

तब मां ने झुंझलाते हुए जवाब दिया कि घबराओ नहीं, सब ठीक होगा. जब विवाहित सहेली से पूछा तो उस ने कहा कि संबंध बनाते समय बड़ा दर्द होता है. पर अब अपने अनुभव से कह सकती हूं कि यदि आप मानसिक और शारीरिक रूप से सहज हैं, साथ ही पति का स्नेहपूर्ण स्पर्श है, तो कोई समस्या नहीं आती.

भले आज कितनी ही प्रीमैरिटल काउंसलिंग संस्थाएं खुल गई हों पर जरूरी नहीं कि हर लड़की का परिवार एक बड़ी फीस दे कर अपनी बेटी को वहां भेज सके. मगर सवाल उठता है कि भावी दुलहन अगर मन की जिज्ञासाओं को अपनी मां से नहीं पूछ सकती, भाभी, बहन और सहेली भी उसे ठीक से नहीं बताएंगी और बताएंगी भी तो वे उन के निजी अनुभव होंगे और जरूरी नहीं कि भावी दुलहन के साथ भी वैसा ही हो, ऐसे में वह क्या करे?

हम ने विवाहयोग्य लड़कियों व जिन के विवाह होने वाले हैं, ऐसी कई लड़कियों से उन के मन की जिज्ञासाओं को जाना कि वे मोटेतौर पर मन में किस प्रकार की जिज्ञासाएं रखती हैं. प्रस्तुत हैं, उन की जिज्ञासाएं…

जिज्ञासाएं कैसी-कैसी

हर लड़की के मन में जिज्ञासा उपजती है कि क्या प्रथम मिलन के दौरान रक्तस्राव होना जरूरी है? क्या यही कौमार्य की पहचान है? क्या प्रथम मिलन पर बहुत दर्द होता है? इन के अलावा यदि विवाहपूर्व किसी और से शारीरिक संबंध रहा है तो क्या पति को उस का पता चल जाएगा? क्या माहवारी के दौरान सैक्स किया जा सकता है? क्या रात में 1 से अधिक बार शारीरिक संबंध स्थापित करने पर शरीर में कमजोरी आ जाती है? कौन सा गर्भनिरोधक उपाय अपनाएं ताकि तुरंत गर्भवती न हो? आदि.

इन सभी प्रश्नों के उत्तर देते हुए मदर ऐंड चाइल्ड हैल्थ स्पैशलिस्ट व फैमिली प्लानिंग काउंसलर डा. अनीता सब्बरवाल ने बताया कि प्रथम समागम के समय खून आने का कौमार्य से कोई संबंध नहीं होता. दरअसल, बढ़ती उम्र में खेलकूद या व्यायाम आदि के दौरान भी हाइमन नाम की पतली झिल्ली फट जाती है और लड़कियों को इस का पता भी नहीं चलता. इस के अलावा जो लड़कियां हस्तमैथुन करती हैं उन की झिल्ली भी फट सकती है. अत: विवाहयोग्य लड़कियों को मन से यह बात निकाल देनी चाहिए कि खून न आने से कौमार्य पर प्रश्नचिह्न लग सकता है.

इसी तरह प्रथम मिलन पर दर्द होना भी जरूरी नहीं है. अकसर शर्म और झिझक के कारण लड़कियां सैक्स के दौरान सहज नहीं हो पातीं, जिस के कारण योनि में गीलापन नहीं आ पाता और शुष्कता के कारण दर्द होता है. इसलिए संबंध बनाते समय पति का साथ दें. विवाहपूर्व बने शारीरिक संबंधों के बारे में पति को तब तक पता नहीं चल सकता जब तक पत्नी स्वयं न बताए.

ऐसे ही माहवारी के दौरान सैक्स करने से कोई हानि नहीं होती. फिर भी सैक्स न किया जाए तो अच्छा है, क्योंकि एक तो पत्नी वैसे ही रक्तस्राव, पीएमएस जैसी तकलीफों से गुजर रही होती है, उस पर कई पति ओरल सैक्स पर जोर डालते हैं, जो सही नहीं है.

अधिकांश लड़कियों के मन में यह जिज्ञासा भी बहुत रहती है कि सैक्स अधिक बार करने से कमजोरी आती है. दरअसल, ऐसा नहीं है, पत्नियां पतियों की सैक्स आवश्यकता से अनजान होती हैं. इस कारण उन्हें लगता है कि अधिक बार सैक्स करना हानिकारक होगा, जबकि ऐसा कुछ नहीं है. हां, फैमिली प्लानिंग उपाय के लिए अच्छा होगा कि पत्नी किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिले ताकि वह शादी के बाद तुरंत गर्भवती न हो कर वैवाहिक जीवन का पूर्ण आनंद उठा सके.

ध्यान देने योग्य बातें

–सेक्स संबंधी जानकारी इंटरनैट पर आधीअधूरी मिलती है. अत: उस पर ध्यान न दें.

–फैंटेसी में न जिएं और ध्यान रखें कि हर चीज हर किसी को नहीं मिलती.

–यदि कोई बीमारी है जैसे डायबिटीज, अस्थमा आदि तो उस की जानकारी विवाहपूर्व ही भावी पति को होनी चाहिए. इसी तरह पति को भी कोई बीमारी हो तो उस का पता पत्नी को होना चाहिए.

–मन की यह जिज्ञासा कि ससुराल वाले कैसे होंगे तो ध्यान रखें, हर घर के तौरतरीके अलग होते हैं. जरूरी यह है कि बड़ेबुजुर्गों को सम्मान दें, घर के तौरतरीकों को अपनाने की कोशिश करें तथा अपनी मुसकराहट व काम से सब का दिल जीतें. मन में जितनी भी सेक्स संबंधी जिज्ञासाएं हैं उन्हें किसी अच्छी पत्रिका के सैक्स कौलम के अंतर्गत प्रकाशित होने वाले लेखों को पढ़ कर शांत करें.

–यदि किसी समस्या का समाधान लेखों में न मिले तो उसे किसी पत्रिका के ‘सैक्स कौलम’ में लिख कर भेजें. ऐसे कौलमों की समस्याओं के समाधान योग्य डाक्टरों से पूछ कर ही प्रकाशित किए जाते हैं.

4 साल पहले मैने बौयफ्रेंड के साथ सेक्स किया था, क्या मेरे पति को इस बात का पता चल सकता है?

सवाल

मैं 25 वर्षीय अविवाहित युवती हूं. इसी वर्ष के अंत तक घर वाले मेरी शादी कर देना चाहते हैं. मैं बहुत परेशान हूं, क्योंकि कालेज के दिनों में मेरे बौयफ्रैंड ने मुझे बरगला कर एक बार शारीरिक संबंध बना लिया था. उस के बाद मैं ने उस से सारे संबंध तोड़ लिए. इस बात को 4 साल हो चुके हैं. मैंने सुना है कि सुहागरात को ही पति को ज्ञात हो जाता है कि लड़की का कौमार्य भंग हो चुका है. यदि ऐसा हुआ और पति ने मुझे अपमानित कर के छोड़ दिया तो क्या होगा? इस से तो अच्छा यही होगा कि मैं शादी ही न करूं? पर घर वालों से क्या कहूं कि मैं शादी क्यों नहीं करना चाहती? बड़ी उलझन में हूं. बताएं क्या करूं?

जवाब

अतीत में आप के साथ जो हुआ उसे भूल जाएं. कौमार्य या शील भंग जैसे शब्द आज बेमानी हो गए हैं. आप जब तक अपने मुंह से नहीं कहेंगी आप के भावी पति नहीं जान पाएंगे कि आप का किसी से संबंध बन चुका है. सुनीसुनाई बातों पर ध्यान न दें और भविष्य की सुखद कल्पना करें. सब अच्छा होगा. जरूरी है विवाह के बाद पतिपत्नी का एकदूसरे पर विश्वास हो. रिश्तों को ईमानदारी से निभाएंगे तो कोई समस्या नहीं होगी.

मेरा बेटा जो भी याद करता है उसे कुछ ही देर में भूल जाता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरा बेटा 10 साल का है और 5वीं क्लास में पढ़ताहै. दिक्कत यह है कि वह जो भी याद करता है, उसे कुछ ही देर में भूल जाता है. इस समस्या का क्या हल हो सकता है?

जवाब

बच्चे कई बार होमवर्क करना भूल जाते हैं और यह पूरी तरह सामान्य है. इसी तरह वे क्लासरूप में दिन में बैठेबैठे सपनों की दुनिया में खो सकते हैं या खाने की मेज पर बेचैन हो सकते हैं. लेकिन साथ ही, एकाग्रता में कमी, आवेश से भरा होना और हाइपरएक्टिविटी जैसे लक्षण बच्चों में अटैंशन डैफिसिट डिसऔर्डर की निशानी भी हो सकते हैं. एकाग्रता में कमी और आनाकानी करना इस बात का लक्षण हो सकता है कि बच्चे को एकाग्र होने में परेशानी है. उस का ध्यान जरा-जरा सी बात पर बंट जाता है या वह काम पूरा होने से पहले ही उस से बोर हो जाता है.

बच्चे को पढ़ने के लिए सही माहौल व जगह दें. आप को अपने भुलक्कड़ बच्चे को शोरशराबा या टैलीविजन से दूर रखना होगा. वह जगह आरामदायक होनी चाहिए ताकि बच्चा बेचैन न हो. किसी मनोवैज्ञानिक से भी सलाह ले सकते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

 

कौलेज लाइफ में रोमांस का तड़का

कालेज की मौजमस्ती जिंदगीभर याद रहती है. वहां बनाए दोस्त, टीचर, घूमनाफिरना सब यादगार लमहों में शामिल होते हैं पर कालेज का रोमांस जिंदगी का ऐसा हिस्सा होता है, जिसे याद कर हर समय रूमानियत महसूस होती है और लगता है कालेज में रोमांस नहीं किया तो क्या किया… कालेज लाइफ के लमहे जीवन के अनमोल लमहे होते हैं. उस दौरान हम कई अलगअलग अनुभवों से गुजरते हैं. एक तरफ दिल धड़कता है तो दूसरी तरफ कैरियर को ले कर टैंशन होती है. वहीं दोस्तों के साथ मस्ती वाले पल गुजरते हैं. इन पलों को अच्छे से जी लेना चाहिए क्योंकि यही वह समय होता है जब हमें पहलीपहली बार प्यार का एहसास होता है. कई बार हम बताने में डरते हैं तो कई बार जल्दबाजी में गड़बड़ भी कर देते हैं. सो, जरूरी है कि अपने क्रश को अपने दिल की बात बताने में देरी न करें, न ही हिचकिचाएं.

उसे अपने दिल का हाल इस तरह बताएं कि वह मान ही जाए. तो आइए जानते हैं कि कालेज में कैसे करें मस्ती. शरीफों वाली इमेज छोड़ें यार अगर मैं ने लड़की से फ्रैंडशिप कर ली और पापा को पता चल गया तो क्या होगा, इस बात पर मम्मी बहुत गुस्सा होंगी, अगर बहन को पता चला तो वह मु झ से बात करना छोड़ देगी. यह सब सोचसोच कर यानी आप की शरीफों वाली इमेज के कारण अगर आप ने कालेज लाइफ नहीं जी तो आप बाद में बहुत पछताएंगे. ये दिन वापस लौट कर नहीं आने वाले. इसलिए अपनी सीधेपन वाली इमेज को छोड़ कर अपने बाकी फ्रैंड्स की तरह मस्ती करने में पीछे न रहें.

लड़की से दोस्ती करने में हिचकिचाएं नहीं. दोस्ती करते समय आप की पर्सनैलिटी काफी बोल्ड व अच्छी होनी चाहिए ताकि लड़की को आप में कोई बात नजर आए. वह यह न सोचे कि यार, यह तो अभी ही इतना डरपोक है, आगे दोस्ती कैसे निभाएगा, सो, इस से दूर रहने में ही भलाई है. प्रपोज करने में देरी न करें यार, वह क्या सोचेगी, कहीं बुरा न मान जाए या फिर मन के डर के कारण अगर आप ने अपने क्रश को प्रपोज करने में काफी समय लगा दिया तो हो सकता है कि आप की वाली किसी और की हो जाए क्योंकि आप का जिस पर क्रश है, हो सकता है उसे भी किसी पर क्रश हो जाए. ऐसे में बहुत ही ‘जैंटल वे’ में लड़की को प्रपोज करें. उस से बोलें, ‘मु झे तुम्हारी मासूमियत बहुत पसंद है, तुम्हारी स्माइल पर मैं फिदा हो गया हूं. क्या तुम मु झ से दोस्ती करोगी.’ अगर लड़की की भी हां हुई तो आप के मजे आ जाएंगे. फिर तो कालेज लाइफ को जीने का जो मजा आएगा उस की बात ही अलग होगी. लेकिन अगर वह इस दोस्ती के लिए न करे तो जबरदस्ती न करें और उसे सोचने के लिए थोड़ा समय दें.

हो सकता है कि धीरेधीरे उसे भी आप पसंद आने लगें. एकदूसरे के साथ खूबसूरत समय बिताएं अगर आप स्कूल की तरह कालेज में भी किताबी कीड़ा बन कर रहेंगे तो लाइफ को खुल कर एंजौय नहीं कर पाएंगे. इसलिए खुल कर जिएं इन दिनों को. अगर आप ने कालेज में गर्लफ्रैंड नहीं बनाई तो जिंदगी फीकीफीकी सी लगेगी. इसलिए गर्लफ्रैंड बनाएं क्योंकि इस में कोई बुराई नहीं है और जब साथ में खूबसूरत लड़की का साथ होता है तो उस की बात ही अलग होती है. अगर पहलीपहली बार गर्लफ्रैंड बनाई है तो उस के साथ खूबसूरत समय बिताएं. उसे कहीं आउटिंग पर ले कर जाएं, उस की पसंद का फूड और्डर करें. कहीं शांत जगह पर एकदूसरे को जानने की कोशिश करें, जिस से दोस्ती और गहरी हो सके. जब एकदूसरे को जानते हैं तो रिश्ता और गहरा बनता है. बस, दिल से किसी बात को न लगाएं

और खुल कर इस टाइम को एंजौय करें. बोरिंग बन कर न रहें फ्रैंड्स के कहने पर कालेज में गर्लफ्रैंड तो पटा ली लेकिन उस के साथ इतने बोरिंग बने रहे कि उसे ही आप से दोस्ती करने में पछतावा होने लगे और वह मौका पा कर आप से छुटकारा पाने के लिए सोचने लगे. इसलिए आप जब गर्लफ्रैंड बनाएं तो आप को अपना बोरिंग व्यवहार छोड़ना पड़ेगा. उस के साथ रोमांटिक बातें करें. अगर दोस्ती थोड़ी गहरी हो गई है तो पार्टनर की मरजी से ‘किस’ करने का मौका भी न छोड़ें. उसे जब घुमाने ले जाएं तो हाथ में हाथ डाल कर उस के साथ रोमांटिक बातें करें. अपनी भी सुनाएं और उस के मन की भी सुनें. इस से रिश्ते में बोरियत नहीं रहेगी और यह दोस्ती दिल को एक सुकूनभरा एहसास देने का काम करेगी. सरप्राइज से स्पैशल फील करवाएं हर लड़की को सरप्राइज अच्छे लगते हैं लेकिन अगर गर्लफ्रैंड होने के नाते वह ही आप को हमेशा सरप्राइज देती रहेगी तो उसे भी आप के साथ अच्छा फील नहीं होगा. इसलिए अपनी इस दोस्ती को स्पैशल बनाने के लिए कभी उसे लंच डेट पर ले जा कर सरप्राइज दें तो कभी उसे छोटी ही सही लेकिन शौपिंग करवा कर उस को आप से प्यार करने पर मजबूर कर दें. लड़कियां शौपिंग की दीवानी होती हैं, कोई भी उन की इस इच्छा को पूरा कर देता है तो वे उस की हो कर रह जाती हैं. फिर तो आप उस के लिए काफी खास हैं. यकीन मानिए जब आप उसे उस के फेवरेट रैस्तरां में लंच करवाने के साथसाथ शौपिंग करवा देंगे तो वह आप को हग किए बिना नहीं रह पाएगी.

इसलिए इस दोस्ती को फीकाफीका रखने के बजाय पार्टनर को सरप्राइज दे कर स्पैशल बनाएं. दोस्त की मदद लें अगर आप को पहलीपहली बार प्यार हुआ है, पहलीपहली बार आप इस तरह के रिलेशन में बंधे हैं, पहलीपहली बार कुछ खास एहसास हुआ है और आप को कुछ सम झ नहीं आ रहा कि कैसे अपनी पार्टनर को खुश रखें, उस के लिए क्या कुछ स्पैशल प्लान करूं, उसे कहां घुमाने ले जाऊं तो इस के लिए अपने दूसरे दोस्त की मदद लें. वह आप को अच्छे से गाइड करने के साथसाथ आप को कुछ हैल्पफुल टिप्स देगा. जिस से आप को अपने इस रिलेशन को आगे बढ़ाने में आसानी होगी. न करें यह गलती कालेज का क्रश हो या फिर कालेज का प्यार, अकसर कालेज की तरह ही शौर्ट टर्म होता है. इसलिए इस में एक बार दोस्ती होने पर जोश में आ कर होश न खोएं. पार्टनर के साथ रोमांस, मीठेमीठे पल जरूर बिताएं. लेकिन जितना हो सके, संबंध बनाने से बचें और अगर दोस्ती काफी गहरी हो गई है और रिलेशन बनाना भी चाहते हैं तो अनसेफ सैक्स करने से बचें. वरना बाद में पछताने के सिवा कुछ नहीं बचेगा.

उम्र के साथ ऐसे बदलता है सेक्स बिहेवियर

शादीशुदा जिंदगी में दूरियां बढ़ाने में सेक्स का भी अहम रोल होता है. अगर परिवार कोर्ट में आए विवादों की जड़ में जाएं तो पता चलता है कि ज्यादातर झगड़ों की शुरुआत इसी को ले कर होती है. बच्चों के बड़े होने पर पतिपत्नी को एकांत नहीं मिल पाता. ऐसे में धीरेधीरे पतिपत्नी में मनमुटाव रहने लगता है, जो कई बार बड़े झगड़े का रूप भी ले लेता है. इस से तलाक की नौबत भी आ जाती है. विवाहेतर संबंध भी कई बार इसी वजह से बनते हैं.

मनोचिकित्सक डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘उम्र के हिसाब से पति और पत्नी के सेक्स का गणित अलगअलग होता है. यही अंतर कई बार उन में दूरियां बढ़ाने का काम करता है. पतिपत्नी के सेक्स संबंधों में तालमेल को समझने के लिए इस गणित को समझना जरूरी होता है. इसी वजह से पतिपत्नी में सेक्स की इच्छा कम अथवा ज्यादा होती है. पत्नियां इसे न समझ कर यह मान लेती हैं कि उन के पति का कहीं चक्कर चल रहा है. यही सोच उन के वैवाहिक जीवन में जहर घोलने का काम करती है. अगर उम्र को 10-10 साल के गु्रपटाइम में बांध कर देखा जाए तो यह बात आसानी से समझ आ सकती है.’’

शादी के पहले

आजकल शादी की औसत उम्र लड़कियों के लिए 25 से 35 के बीच हो गई है. दूसरी ओर खानपान और बदलते परिवेश में लड़केलड़कियों को 15 साल की उम्र में ही सेक्स का ज्ञान होने लगता है. 15 से 30 साल की आयुवर्ग की लड़कियों में नियमित पीरियड्स होने लगते हैं, जिस से उन में हारमोनल बदलाव होने लगते हैं. ऐसे में उन के अंदर सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. वे इस इच्छा को पूरी तरह से दबाने का प्रयास करती हैं. उन पर सामाजिक और घरेलू दबाव तो होता ही है, कैरियर और शादी के लिए सही लड़के की तलाश भी मन पर हावी रहती है. ऐसे में सेक्स कहीं दब सा जाता है.

इसी आयुवर्ग के लड़कों में सेक्स के लिए जोश भरा होता है. कुछ नया करने की इच्छा मन पर हावी रहती है. उन की सेहत अच्छी होती है. वे हर तरह से फिट होते हैं. ऐसे में शादी, रिलेशनशिप का खयाल उन में नई ऊर्जा भर देता है. वे सेक्स के लिए तैयार रहते हैं, जबकि लड़कियां इस उम्र में अपनी इच्छाओं को दबाने में लगी रहती हैं.

30 के पार बदल जाते हैं हालात

महिलाओं की स्थिति: 30 के बाद शादी हो जाने के बाद महिलाओं में शादीशुदा रिलेशनशिप बन जाने से सेक्स को ले कर कोई परेशानी नहीं होती है. वे और्गेज्म हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार होती हैं. महिलाएं कैरियर बनाने के दबाव में नहीं होती. घरपरिवार में भी ज्यादा जिम्मेदारी नहीं होती. ऐसे में सेक्स की उन की इच्छा पूरी तरह से बलवती रहती है. बच्चों के होने से शरीर में तमाम तरह के बदलाव आते हैं, जिन के चलते महिलाओं को अपने अंदर के सेक्सभाव को समझने में आसानी होती है. वे बेफिक्र अंदाज में संबंधों का स्वागत करने को तैयार रहती हैं.

पुरुषों की स्थिति: उम्र के इसी दौर में पति तमाम तरह की परेशानियों से जूझ रहा होता है. शादी के बाद बच्चों और परिवार पर होने वाला खर्च, कैरियर में ग्रोथ आदि मन पर हावी होने लगता है, जिस के चलते वह खुद को थका सा महसूस करने लगते हैं. यही वह दौर होता है जिस में ज्यादातर पति नशा करने लगते हैं. ऐसे में सेक्स की इच्छा कम हो जाती है.

महिला रोग विशेषज्ञा, डाक्टर सुनीता चंद्रा कहती हैं, ‘‘हमारे पास बांझपन को दूर करने के लिए जितनी भी महिलाएं आती हैं उन में से आधी महिलाओं में बांझपन का कारण उन के पतियों में शुक्राणुओं की सही क्वालिटी का न होना होता है. इस का बड़ा कारण पति का मानसिक तनाव और काम का बोझ होता है. इस के कारण वे पत्नी के साथ सही तरह से सेक्स संबंध स्थापित नहीं कर पाते.’’

नौटी 40 एट

40 के बाद की आयुसीमा एक बार फिर शारीरिक बदलाव की चौखट पर खड़ी होती है. महिलाओं में इस उम्र में हारमोन लैवल कम होना शुरू हो जाता है. उन में सेक्स की इच्छा दोबारा जाग्रत होने लगती है. कई महिलाएं अपने को बच्चों की जिम्मेदारियों से मुक्त पाती हैं, जिस की वजह से सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. मगर यह बदलाव उन्हीं औरतों में दिखता है जो पूरी तरह से स्वस्थ रहती हैं. जो महिलाएं किसी बीमारी का शिकार या बेडौल होती हैं, वे सेक्स संबंधों से बचने का प्रयास करती हैं.

40 प्लस का यह समय पुरुषों के लिए भी नए बदलाव लाता है. उन का कैरियर सैटल हो चुका होता है. वे इस समय को अपने अनुरूप महसूस करने लगते हैं. जो पुरुष सेहतमंद होते हैं, बीमारियों से दूर होते हैं वे पहले से ज्यादा टाइम और ऐनर्जी फील करने लगते हैं. उन के लिए सेक्स में नयापन लाने के विचार तेजी से बढ़ने लगते हैं.

50 के बाद महिलाओं में पीरियड्स का बोझ खत्म हो जाता है. वे सेक्स के प्रति अच्छा फील करने लगती हैं. इस के बाद भी उन के मन में तमाम तरह के सवाल आ जाते हैं. बच्चों के बड़े होने का सवाल मन पर हावी रहता है. हारमोनल चेंज के कारण बौडी फिट नहीं रहती. घुटने की बीमारियां होने लगती हैं. इन परेशानियों के बीच सेक्स की इच्छा दब जाती है.

इस उम्र के पुरुषों में भी ब्लडप्रैशर, डायबिटीज, कोलैस्ट्रौल जैसी बीमारियां और इन को दूर करने में प्रयोग होने वाली दवाएं सेक्स की इच्छा को दबा देती हैं. बौडी का यह सेक्स गणित ही पतिपत्नी के बीच सेक्स संबंधों में दूरी का सब से बड़ा कारण होता है.

डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘ऐसे में जरूरत इस बात की होती है कि सेक्स के इस गणित को मन पर हावी न होने दें ताकि सेक्स जीवन को सही तरह से चलाया जा सके.’’

रिलेशनशिप में सेक्स का अपना अलग महत्त्व होता है. हमारे समाज में सेक्स पर बात करने को बुरा माना जाता है, जिस के चलते वैवाहिक जीवन में तमाम तरह की परेशानियां आने लगती हैं. इन का दवाओं में इलाज तलाश करने के बजाय अगर बातचीत कर के हल निकाला जाए तो समस्या आसानी से दूर हो सकती है. लड़कालड़की सही मानो में विवाह के बाद ही सेक्स लाइफ का आनंद ले पाते हैं. जरूरत इस बात की होती है कि दोनों एक मानसिक लैवल पर चीजों को देखें और एकदूसरे को सहयोग करें. इस से आपसी दूरियां कम करने और वैवाहिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने में मदद मिलती है.

मुझे भाभी के साथ सेक्स करते हुए मेरे भतीजे ने देख लिया, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 35 साल है और अभी तक मेरी शादी नहीं हुई है. पिछले 15 साल से मेरा अपनी भाभी के साथ जिस्मानी रिश्ता रहा है. लेकिन हाल ही में मेरे भतीजे ने हम दोनों को बिस्तर पर एकसाथ देख लिया था. तब से मेरी भाभी मुझ से बात नहीं कर रही हैं. मैं उस के बिना रह नहीं सकता. क्या करूं?

जवाब

इस तरह के संबंध बनाए तब जाने चाहिए जब छिपा कर रख सकें, वरना खतरा तो रहेगा ही. भतीजे की जगह अगर भाई या कोई और बड़ा देखता तो क्या हालत होती, इस का अंदाजा आप भी लगा सकते?हैं. आप की?भाभी वही कर रही?हैं जो इस हालत में किसी भी औरत को करना चाहिए. अब आप को चाहिए कि मुफ्त की मलाई का लालच छोड़ कर शादी कर लें और भाभी से जिस्मानी संबंधों की बात को भूल जाएं.

मैं अपनी बड़ी बहन की दोस्त को पसंद करता हूं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल-

मेरी उम्र 16 साल है और मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता हूं. मेरी एक बड़ी बहन है जो 18 साल की है और कालेज के फर्स्ट ईयर में है. मेरी बहन की एक दोस्त है जो 17 साल की है. वह मुझे बहुत अच्छी लगती है. वह कभीकभी घर आती है तो उस की और मेरी नजरें आपस में टकरा जाती हैं, लेकिन बात आज तक नहीं हो पाई.

जब भी उस से नजरें टकराती हैं तो पता नहीं क्यों ऐसा लगता है जैसे वह भी वही फील कर रही हो जो मैं फील कर रहा हूं. मैं उस से बात करना चाहता हूं, उसे जानना चाहता हूं लेकिन उस के रिस्पौंस से डरता हूं. कहीं वह मुझे खुद से छोटा समझ कर या ‘सहेली का भाई है’ इस कारण मना न कर दे. या हो सकता है कि वह मुझे पसंद करती हो और बाकी सभी लड़कियों की तरह बताने में झिझक रही हो. मैं क्या करूं?

जवाब-

आप की परेशानी जायज है पर आजकल उम्र से ज्यादा लोग सामने वाले की पर्सनैलिटी, पसंदनापसंद और थिंकिंग को इंपोर्टैंस देते हैं. आप का यह सोचना कि आप की बहन की सहेली कहीं आप को छोटा समझ कर या सहेली का भाई समझ कर मना न करे, सही है. लेकिन, इस तथ्य को भी नहीं झुठलाया जा सकता कि अगर आप उसे पसंद होंगे तो वह भी खुद को नहीं रोक पाएगी. वह आप की बहन की दोस्त है तो आप अपनी बहन से इस बारे में बात कर सकते हैं.

आप यदि सीधा उस लड़की से बात करेंगे तो हो सकता है उस की नजर में आप गिर जाएं और साथ ही आप की बहन भी. समझदारी से काम लें. नौर्मल फ्रैंड्स की तरह बात करने की कोशिश करें. उस के हावभाव से आप को उस के मन में क्या है, पता चल जाएगा. उस के बाद ही उस से आगे कुछ बात करने या मन की बात कहने के बारे में सोचें.

हर युवा को जाननी चाहिए कंडोम से जुड़ी ये जानकारियां

मां बनने की खुशी से भला कौन वंचित रहना चाहता है? मगर सही वक्त और सही स्थिति का होना बहुत जरूरी है. सेक्स के दौरान या उसके बाद तमाम सुविधा-असुविधा के बारे में जानकारी रखना बहुत आवश्यक है. तभी एक परिवार सफल व सुखी परिवार बना रह सकता है. यह जिम्मेदारी सिर्फ एक पार्टनर की नहीं बल्कि दोनों की, बराबर की है. युवाओं को अकसर इस संबंध में सही जानकारी नहीं होती. यहां प्रस्तुत है इस संबंध में वैज्ञानिक जानकारी ताकि कई तरह के रोगों और असमय गर्भधारण से बचा जा सके.

कंडोम को हमेशा तवज्जो देना क्यों जरूरी है?

सेक्स हर हाल में शारीरिक संबंध है जो अपने साथ-साथ कई किस्म की बीमारियां भी लिए होता है. जरा सी लापरवाही किसी की पूरी दुनिया बदल सकती है. किसी के जीवन का अंत भी हो सकता है. इसलिए सेक्स के बारे में सोचने के साथ ही कंडोम के बारे में सोचना जरूरी है. क्योंकि इससे ही सुरक्षित सेक्स संभव है. संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए कंडोम एक बेहतर विकल्प है.

संक्रामक रोग, असमय प्रेग्नेंसी के बारे में दोनो सोचें

इन सब विषयों के बारे में सोचना सिर्फ महिलाओं की ही जिम्मेदारी नहीं है. दरअसल लोगों की इस पर अपनी-अपनी राय है कि कंडोम, प्रेग्नेंसी आदि यह सब पुरुषों के सोचने का विषय है. वास्तव में संक्रामक रोगों से बचाव और असामयिक प्रेग्नेंसी की समस्या दोनो की ही समस्या है. विशेषतौर पर महिलाओं को इस मामले में मुखर होने की जरूरत है.

कंडोम न मिलने की स्थिति में क्या करना चाहिए?

कंडोम एक ऐसा सुरक्षा कवच है जिसकी तुलना मंे कोई और गर्भनिरोधक नहीं है. हालांकि गर्भनिरोधक कई मौजूद हैं मगर बिना किसी रिस्क फैक्टर के कंडोम का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका कोई दुष्परिणाम नहीं होता. लेकिन कोई ऐसी स्थिति आ जाए जब सेक्स करने के दौरान कंडोम न हो तो क्या किया जाए? बाजार में कई दूसरे गर्भनिरोधक भी आपके काम आ सकते हैं. ध्यान रखें यह गर्भनिरोधक सिर्फ गर्भ ठहरने की आशंका को ही सुनिश्चित करते हैं. इनमें किसी किस्म की दूसरी सुरक्षा नहीं होती.

क्या पहली बार सेक्स में ही कोई महिला गर्भवती हो सकती है?

यह एक ऐसा सवाल है जिसका कोई जवाब नहीं है. इसलिए युवाओं का यह जानना बहुत जरूरी है कि चाहे आप पहली बार सेक्स कर रहे हों या दसवीं बार, कंडोम का इस्तेमाल करना न भूलें. हालांकि यह थोड़ी परेशान करने वाली बात लग सकती है कि पहली बार सेक्स में भी कंडोम का इस्तेमाल किया जाए? लेकिन हकीकत यही है कि अगर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहते हैं तो कंडोम का उपयोग बिना झिझक करें.

कंडोम कहां से खरीदे जा सकते हैं? क्या कंडोम अलग-अलग प्रकार के भी होते हैं?

कंडोम कोई ऐसी अंजान चीज नहीं है जिसे खरीदने के लिए मुश्किल सामने आती है. यह आपको कहीं भी आसानी से उपलब्ध हो सकता है. कैमिस्ट की दुकान से इसे आसानी से खरीदा जा सकता है. जब आप सेक्स से नहीं शरमाते तो किसी के सामने एक शब्द ‘कंडोम’ कहने में शरम कैसी?

अब जहां तक बात है इसके प्रकार की तो विभिन्न प्रकार के कंडोम मार्केट में उपलब्ध हैं. अपनी सहूलियत के अनुसार जो पसंद हो, उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

मैटीरियलः ज्यादातर कंडोम लैटेक्स और पाॅलीयूरीथेन से बने होते हैं. लैटेक्स के द्वारा बनाए गए कंडोम ज्यादा मजबूत होते हैं. प्रेग्नेंसी और संक्रामक रोगों से दूसरों के मुकाबले यह ज्यादा सुरक्षा प्रदान करते हंै.

साइजः बाजार में अलग-अलग लम्बाई का कंडोम उपलब्ध होता है. कोई छोटे होते हैं, कई ज्यादा लम्बे होते हैं तो कई की चैड़ाई ज्यादा होती है तो कुछ पतले होते हैं. अगर पैकेट में लिखा है ‘लार्ज’ अथवा ‘स्माॅल’ इसका मतलब उसकी लम्बाई से नहीं बल्कि चैड़ाई से है. कंडोम खरीदते वक्त बिना शरमाएं अपने शिश्न के साइज अनुसार ही कंडोम खरीदें.

लुब्रीकेटः लुब्रीकेट यानी चिकनाई. कुछ कंडोम ऐसे भी होते हैं जिसमे जरा भी चिकनाहट नहीं होती. जबकि कुछ में सिलिकन बेस्ड लुब्रीकेंट्स होते हैं तो कुछ में वाॅटर बेस्ड लुब्रीकेंट्स होते हैं.

कलर्डः लैटेक्स या कंडोम का वास्तविक रंग क्रीमी व्हाईट होता है. लेकिन बाजार में कंडोम अलग-अलग रंगों में भी उपलब्ध हैं.

फ्लेवर्डः कुछ सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन, ओरल सेक्स की वजह से भी फैलते हैं. सो, अगर ओरल सेक्स के दौरान भी कंडोम का उपयोग किया जाए तो अच्छा है. कई दफा लोगों को लैटेक्स की गंध और उसका स्वाद पसंद नहीं आता. इसलिए फ्लेवर्ड कंडोम बेहतर विकल्प हैं.

कंडोम कितना कारगर है?

वास्तव में यह निर्भर करता है उपयोग करने वाले पर. अगर कंडोम का उपयोग सही मायने में किया जाए तो 94प्रतिशत से लेकर 97प्रतिशत तक तमाम समस्याओं से निजात दिलाता है. प्रेग्नेंसी या संक्रामक रोग, सभी से निजात दिलाने में यह कारगर साबित हुआ है. एचआईवी से तो यह लगभग 100प्रतिशत तक राहत देता है. कुछ लोग मानते हैं कि कुछ वायरस हैं जिनके सामने कंडोम असफल है, जबकि ऐसा नहीं है.

क्या दो कंडोम का इस्तेमाल एक कंडोम के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है?

नहीं. ऐसा बिल्कुल नहीं है. दो कंडोम पहनकर सेक्स करने से कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. मसलन दोनों कंडोम घिसने के कारण फट सकते हैं. साथ ही यह किसी भी व्यक्ति के लिए सहज नहीं है. दो कंडोम पहनकर सेक्स करने में असुविधा होती है.

फीमेल कंडोम क्या है?

मेल कंडोम की ही तरह बाजार में फीमेल कंडोम भी मौजूद है. फीमेल कंडोम एक पाउच की तरह होता है. इसे वैजाइना में फिट किया जाता है.

कंडोम कैसे पहना जाता है?

ध्यान रखें कंडोम का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. उससे भी जरूरी है उसका सही से इस्तेमाल करना. शिश्न और योनि के बीच संपर्क होने से पहले ही कंडोम को लगाया जाना चाहिए. अन्यथा प्रेग्नेंसी या संक्रामक रोगों से बचना मुश्किल हो सकता है.

पुरुष को कंडोम तब लगाना चाहिए जब उसका शिश्न लम्बा और खड़ा हो जाए. कंडोम को खोलते समय दांत का उपयोग न करें; क्योंकि हो सकता है कि आपके दांतों की वजह से कंडोम में दरार पड़ जाए और वह आपको न दिखे.

अगर कंडोम फट जाए?

अगर सेक्स के दौरान कंडोम फट जाए तो तुरंत वहीं सेक्स प्रक्रिया रोक दें और नए कंडोम का इस्तेमाल करें. कई दफा ऐसा होता है कि आपके महसूस हो रहा है कि कंडोम फट गया है, जबकि ऐसा नहीं होता. कई बार यह मात्र एक वहम होता है. मगर बेहतर है कि रह-रहकर कंडोम को चेक करते रहें. अगर सेक्स के दौरान लगे कि आपका वीर्य कहीं न कहीं से निकलकर योनि के अंदर प्रवेश कर चुका है तो बेहतर है तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें या किसी प्रिकाॅशनरी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करें. इसी से बचाव हो सकता है.

क्या ओरल सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल जरूरी है?

हां, कई डिजीज ऐसे होते हैं जो ओरल सेक्स से शरीर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं. इसलिए कंडोम का उपयोग अवश्य करें.

सेक्स करना कब रोकना चाहिए?

पुरुषों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि जब वह अपना शिश्न गुदा से या योनि से बाहर निकालने वाला हो तो उसे कंडोम को पकड़ लेना चाहिए. इसे आहिस्ता से निकालने के बाद सावधानीपूर्वक किसी सही जगह पर फेकना चाहिए. कंडोम को यूज करने के बाद टायलेट में न फेंके और न ही यादगार के रूप मेें अपने कमरे में सजाने का सामान बनाएं. उसे डस्टबिन में ही फेंके.

मेरा एक्स अब मेरे साथ एक बार फिर रिलेशनशिप में आना चाहता है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरा एक्स अब मेरे साथ एक बार फिर रिलेशनशिप में आना चाहता है. उस का कहना है कि वह मुझ से कभी मूव औन नहीं कर पाया और न ही मुझे भूल पाया है. वहीं, मैं तो कब की उस से मूव औन कर चुकी हूं, यहां तक कि कुछ महीनों पहले एक लड़के को डेट भी किया था. फिलहाल मैं सिंगल हूं.

हम दोनों के ब्रेकअप की वजह उस का मुझे ले कर हमेशा कन्फ्यूज्ड रहना था. क्या पता अब वह क्लियर हो गया हो. क्या यह सही रहेगा कि मैं सिंगल तो हूं ही तो अपने एक्स के साथ ही रिलेशनशिप में आ जाऊं?

जवाब-

अगर आप रिलेशनशिप में इसलिए आना चाहती होतीं कि आप भी उस से उतना ही प्यार करती हैं जितना वह करता है तो मेरा सुझाव होता कि बिलकुल आइए, रिलेशनशिप में आखिर बुराई क्या है. लेकिन, आप के मन में अब अपने एक्स के लिए कोई प्यार नहीं है और शायद रिस्पैक्ट भी नहीं है तभी तो आप बिना फीलिंग्स उस के साथ रिलेशनशिप में आना चाहती हैं.

आप जानती हैं कि वह आप से प्यार करता है और आप अब नहीं करतीं. हो सकता है कि उस का कन्फ्यूजन आप को ले कर खत्म हो गया हो लेकिन क्या अब आप कन्फ्यूज्ड नहीं हैं? यह तो बिल्कुल हिस्टरी रिपीट करने वाली बात हो गई. तब शायद आप को तकलीफ हुई थी, अब आप अपने एक्स को तकलीफ देंगी.

वैसे भी एक्स के साथ एक बार फिर किसी रिश्ते में बंधने से पहले सोच लेना चाहिए. यह बौलीवुड या टीवी सीरियल नहीं है, असल जीवन बेहद उलझा हुआ होता है. जब तक मन से आप बिलकुल तैयार न हों, फीलिंग्स एक सी न हों, तब तक एक्स से दूरी बनाए रखने में ही फायदा है. बिना बात खुद हर्ट होना या उसे हर्ट करना बेतुका है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें-  सरस सलिल-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ताऊजी मेरी शादी उस लड़की से कराना चाहते हैं जिसे मैं पसंद नहीं करता, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी उम्र 23 साल है और मैं शहर में अपने ताऊजी के साथ रहता हूं. उन की पहचान की एक लड़की है, जिस के साथ वे मेरा रिश्ता कराना चाहते हैं, पर वह लड़की मुझे पसंद नहीं है.

मैं अपने ताऊजी की बहुत इज्जत करता हूं और उन्होंने हमारे परिवार के लिए बहुत कुछ किया है. मुझे उस लड़की से शादी नहीं करनी है. ताऊजी को मनाने के लिए मैं क्या करूं?

जवाब-

ताऊजी के एहसानों के बदले जिंदगी दांव पर न लगाएं. अगर लड़की आप को पसंद नहीं तो साफ शब्दों में नम्रता से इस रिश्ते से इंकार कर दें. एहसानों का बदला तो मौका और जरूरत पड़ने पर कभी भी चुकाया जा सकता है, लेकिन इस अहम रिश्ते में जो खटास उस के वजूद में आने के पहले ही पड़ गई है, वह जिंदगीभर आप को सालती रहेगी, इसलिए ताऊजी को साफसाफ मना कर दें कि आप उन की बहुत इज्जत करते हैं और उपकार भी मानते हैं, पर जहां सवाल पूरी जिंदगी का हो वहां नापसंदगी वाला रिश्ता शर्तों पर नहीं निभा सकते.

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