छोटे घर में कैसे करें पार्टनर से प्यार, जानें यहां

बड़े शहरों में सब से बड़ी समस्या आवास की होती है. 2 कमरों के छोटे से फ्लैट में पतिपत्नी, बच्चे और सासससुर रहते हैं. ऐसे में पतिपत्नी एकांत का नितांत अभाव महसूस करते हैं. एकांत न मिल पाने के कारण वे सैक्स संबंध नहीं बना पाते या फिर उन का भरपूर आनंद नहीं उठा पाते क्योंकि यदि संबंध बनाने का मौका मिलता है तो भी सब कुछ जल्दीजल्दी में करना पड़ता है. संबंध बनाने से पूर्व जो तैयारी यानी फोरप्ले जरूरी होता है, वे उसे नहीं कर पाते. इस स्थिति में खासकर पत्नी चरमसुख की स्थिति में नहीं पहुंच पाती है. पतिपत्नी को डर लगा रहता है कि कहीं बच्चे न जाग जाएं, सासससुर न उठ जाएं. मैरिज काउंसलर दीप्ति सिन्हा का कहना है, ‘‘संबंध बनाने के लिए एकांत न मिलने के कारण महिलाएं चिड़चिड़ी, झगड़ालू और उदासीन हो जाती हैं और फिर धीरेधीरे दांपत्य जीवन में दरार पड़नी शुरू हो जाती है, यह दरार अनेक समस्याएं खड़ी कर देती है. कभीकभी तो नौबत हत्या या आत्महत्या तक की आ जाती है.’’

कही अनकही

विकासपुरी की रहने वाली सीमा के विवाह को 5 वर्ष हो गए हैं. इस दौरान उस के 3 बच्चे हो गए. तीनों बच्चों की देखभाल, सासससुर की सेवाटहल और घर का काम करतेकरते शाम होतेहोते वह पूरी तरह थक जाती है. सीमा का कहना है कि उस के तीनों बच्चे पति के साथ ही बड़े बैड पर सोते हैं. सीमा पलंग के पास ही नीचे जमीन पर बिस्तर लगा कर सोती है. उसे हर वक्त यही डर लगा रहता है कि सैक्स करते समय कोई बच्चा उठ कर उन्हें देख न ले. परिणामस्वरूप वह सैक्स का पूर्ण आनंद नहीं उठा पाती. इस के असर से वह निराशा से घिरने लगी हैं. ढंग से कपड़े पहनने, सजनेसंवरने का उस का मन ही नहीं करता. फिर वह सजेसंवरे भी किसलिए? स्थिति यह हो गई है कि अब पतिपत्नी दोनों में मनमुटाव रहता है.

खानपान का असर

मांसमछली, शराब आदि का सेवन करने वाले पतियों की सैक्स की अधिक इच्छा होती है और इसीलिए वे न समय देखते हैं और न माहौल, पत्नी पर भूखे भेडि़ए की तरह टूट पड़ते हैं. संबंध बनाने से पहले फोरप्ले की बात तो दूर, वे यह भी नहीं देखते हैं कि बच्चे सोए हैं या जाग रहे हैं अथवा मांबाप ने देख लिया तो वे क्या सोचेंगे. ऐसे में कई बार पत्नी को सासससुर के सामने शर्म महसूस होती है. मांबाप अपने बेटे को कुछ न कह कर बहू को ही सैक्स के लिए उतावली मान बैठते हैं.

संयुक्त परिवार का दबाव

हमारे समाज में विवाह 2 प्राणियों का ही संबंध नहीं, बल्कि 2 परिवारों का संबंध भी होता है. लेकिन मौजूदा हालत में पतिपत्नी अकेले ही अपने बच्चों के साथ रहना पसंद करते हैं. यह उन की मजबूरी भी है, लेकिन यदि पत्नी को परिस्थितिवश सासससुर के साथ छोटे से आशियाने में 2-3 बच्चों के साथ रहना पड़े तो वह कई बार मानसिक दबाव महसूस करती है. सासससुर से शर्म और बातबात पर उन की टोकाटोकी से परेशान बहू पति के लिए खुद को न तो तैयार कर पाती है और न ही एकांत ही ढूंढ़ पाती है. मनोरोगचिकित्सक डाक्टर दिनेश के अनुसार, ‘‘कई बार मेरे पास ऐसे केस आते हैं कि शादी के बाद बच्चे जल्दीजल्दी हो गए. पत्नी उन की देखभाल में लगी रहती है और पति के प्रति उदासीन हो जाती है. इस के चलते पति भी कटाकटा सा रहने लगता है.’’

समय निकालना जरूरी

सैक्स ऐक्स्पर्ट डा. अशोक के अनुसार, ‘‘वास्तव में सैक्स के लिए उम्र की सीमा निर्धारित नहीं होती है कि आप 35 या 40 साल के हो गए हैं. छोटा घर है, बच्चे हैं, सैक्स ऐंजौय नहीं कर सकते. घरगृहस्थी और बच्चों की देखभाल के बाद यदि पतिपत्नी अपने लिए समय निकाल कर शारीरिक संबंध नहीं बनाएंगे तो आगे चल कर उन्हें कई परेशानियां हो सकती हैं. ‘‘डिप्रैशन के अलावा हारमोंस का स्राव भी धीरेधीरे कम हो जाता है. ऐसी स्थिति में अचानक संबंध बनाने पर पत्नी को तकलीफ होती है. फिर निरंतर तनाव बने रहने पर कभीकभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि पत्नी को हिस्टीरिया के दौरे तक पड़ने लगते हैं.’’

मन की बात

जनकपुरी की रहने वाली काजल और राजेश ने लव मैरिज की है. उन की शादी को 7 साल हुए हैं. इन 7 सालों में 3 बच्चे भी हो गए. पहला बच्चा 3 साल का है. उस के बाद 2 बेटियां डेढ़ साल और 7 महीने की हैं. काजल कहती हैं, ‘‘हम शादी के शुरुआती दिनों से ही बहुत झगड़ते आ रहे हैं. वजह है राजेश का प्लान कर के साथ नहीं चलना. राजेश ने कहा था कि वे अपने मातापिता के लिए पड़ोस में ही मकान खरीद लेंगे. छोटे से 2 कमरों के मकान में हम ढंग से नहीं रह पाते हैं. मैं राजेश से अपने मन की बात नहीं कर पाती.

‘‘बस, यही डर लगा रहता है कि कहीं सासूमां कुछ कह न दें. जबकि मन की बात करने का मौका पतिपत्नी दोनों को ही मिलना चाहिए.’’ अगर आप भी इस समस्या से गुजर रहे हैं तो निम्न उपाय अपना कर शारीरिक संबंधों का पूर्ण आनंद उठा सकते हैं-

बच्चों को चाचा, मामा के पास भेजें. उन के बच्चों के लिए कोई भेंट भेजें. ऐसा उस समय करें जब सासससुर कहीं शादीविवाह में बाहर गए हों. यदि मांबाप को फिल्म देखने या पिकनिक मनाने भेज रहे हों तो बच्चों को भी उन के साथ भेज दें.

अगर आप का कोई मित्र छुट्टी पर अपने घर जा रहा हो तो उस के घर की देखभाल के लिए रात में पतिपत्नी वहां रहें और सैक्स ऐंजौय करें. बदले में मित्र के घर लौटने से पहले घर को सजासंवार कर अच्छा सा खाना बना कर उन के लिए रखें.

संबंध बनाने के लिए यह जरूरी नहीं है कि फोरप्ले ठीक सैक्स से पहले हो. उसे बारबार थोड़ेथोड़े समय में जब भी जहां भी समय मिले किया जा सकता है. इस से सैक्स के समय दोनों पूरी तरह तैयार होंगे. सुबह जब बच्चे स्कूल जा चुके हों तब मातापिता को सुबह घूमने जाने के लिए प्रेरित करें.

सैक्स का समय बदलें. नयापन मिलेगा.

पत्नी के साथ हर 15 दिन बाद कहीं डेट पर जाएं. यानी गैस्टहाउस या होटल में जा कर रहें और सैक्स ऐंजौय करें.

गरमी का मौसम हो तो पत्नी को देर रात छत पर बने कमरे में ले जाएं.

बरसात की रात में भी पत्नी को छत पर बने कमरे में ले जा कर बरसात की फुहारों का आनंद लेते हुए सैक्स एंजौय करें.

सुबह बच्चों के स्कूल जाने के बाद, रात में छत पर और किसी दिन यदि आप औफिस से जल्दी घर आते हैं और बच्चे स्कूल से नहीं आए हैं, मातापिता पड़ोस में गए हैं, तब भी आप सैक्स ऐंजौय कर सकते हैं. हां, इस के लिए आप पत्नी को पहले से ही तैयार कर लें.

मेरी पत्नी का वजन बढ़ नहीं रहा है, इलाज बताएं?

सवाल-

मेरी पत्नी का वजन 40 किलो है. हमारे 2 बच्चे हैं. उस का वजन बढ़ नहीं रहा है. इलाज बताएं?

जवाब-

जल्दीजल्दी बच्चे होने से औरत के शरीर में कमजोरी आ जाती है, इसीलिए सलाह दी जाती है कि एक से दूसरे बच्चे के बीच कम से कम 5 साल का अंतर होना चाहिए.

कई बार टीबी जैसी घातक बीमारी होने के चलते भी इस तरह की परेशानी आ सकती है. वे खाने में दालसब्जी, फलदूध का सेवन ज्यादा करें. थोड़ीबहुत कसरत करने से भी वजन बढ़ सकता है.

कुछ कहते हैं पार्टनर के ये इशारे

स्त्री और पुरुष के बीच जिस्मानी रिश्ते इंसान की फितरत मानी जाती है, यानी ये एक स्वाभाविक बात है. यही रिश्ता होता है जिसकी वजह से किसी परिवार का वंश आगे बढ़ता है. विवाह के पहले शारीरिक संबंध बनाना पश्चिम देशों में तो आम बात मानी जाती है लेकिन भारतीय समाज में इस प्रकार के रिश्ते विवाह के बाद ही सही माने जाते हैं. लेकिन तमाम बंदिशों के बावजूद हमारे समाज में भी सदियों से विवाह के पहले भी स्त्री-पुरुष में शारीरिक संबंध बनते रहे हैं.

इस तरह के संबंध सिर्फ दैहिक सुख के लिये होते हैं और इनकी कोई खास लंबी उम्र नहीं होती. शोधकर्ताओं ने स्‍त्री-पुरुष की भाव-भंगिमाओं को लेकर कुछ ठोस निष्‍कर्ष निकाले हैं, जिससे यह जाना जा सकता है कि स्त्री अथवा पुरुष जिस्मानी संबंध बनाने के इच्छुक है या नहीं.

अध्ययन के अनुसार पुरुष की बॉडी लैंग्‍वेज से साफ़ साफ ज़ाहिर हो जाता है कि वह जिस्मानी रिश्ते बनाना चाहता है. शोधकर्ताओं ने कुछ इशारे बताये हैं जो इस प्रकार हैं.

पुरुषों के इशारे

मोहब्बत के आगोश में आने के बाद पुरुष के चेहरे के उस हिस्‍से में कसावट आ जाती है जो आमतौर पर थोड़ा फूला होता है. ऐसे पुरुषों का जहां एक ओर सीना थोड़ा बाहर की ओर निकल जाता है वहीं दूसरी ओर उस उनका पेट थोड़ा अंदर की ओर धंस जाता है. रक्‍त का प्रवाह तेज़ होने के कारण पुरुषों के होठ और गाल समेत पूरे चेहरे की लालिमा बढ़ जाती है.

महिलाओं के इशारे

वहीं सेक्स की इच्छा रखने वाली महिलाएं की कुछ भंगिमाएं होती हैं. वे अपनी भावना का इजहार करने के लिये अपने बालों को छूती है और अपने कपड़ों पर भी हाथ फेरती हैं. इसके आलावा वे बाल झटककर पीछे की ओर कर लेती है.

पलकों को झुका कर पुरुष को निहारना और टकटकी से देखते रहना भी महिलाओं के इशारे माने जाते हैं. महिलाओं के पिछले हिस्‍से में पहले की तुलना में थोड़ा और उभार आ जाता है. कामातुर स्‍त्री प्‍यार पाने के लिए अपने पैरों को एक-दूसरे से रगड़ती रहती हैं.

मेरे प्राइवेट पार्ट में सफेद रंग की परत जमा हो जाती है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 25 साल का नौजवान हूं. मेरे प्राइवेट पार्ट में सफेद रंग की परत जमा हो जाती है. उस में से बदबू भी आती है. पानी से धोने पर आराम मिलता है, पर समस्या दोबारा हो जाती है. इस बीमारी से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का इलाज बताएं?

जवाब-

स्मेग्मा कही जाने वाली सफेद सतह उतरी हुई चमड़ी, कोशिकाओं, स्किन औयल और नमी का मिश्रण है. यह औरत और मर्द दोनों के अंगों में होती है. अगर इसे बढ़ने के लिए?छोड़ दिया जाए, तो इस में से बदबू आ जाती है या फिर यह इंफैक्शन की वजह बन सकती है.

इस से पीडि़त को शरीर के उन हिस्सों की नियमित सफाई करनी चाहिए, जहां स्मेग्मा की समस्या होती है. आप को इसे हर दिन पानी से साफ करने की सलाह दी जाती है.

मनगढ़ंत बातों के जाल में फंसा सैक्स

हाल में कहीं पढ़ा था कि इनसान के पूर्वज माने जाने वाले चिंपांजी जब आपस में मिलते थे, तब वे सैक्स कर के एकदूसरे का स्वागत करते थे. इस बात से समझा जा सकता है कि सैक्स किसी भी जीव के बहुत जरूरी होता है और इस से मिलने वाली खुशी और मजे को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.

यह भी दावा किया जाता है कि हफ्ते में 2 से 3 बार सैक्स करने से इनसान की बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़ जाती है. अच्छी नींद के लिए सैक्स बहुत अच्छी दवा माना जाता है. अगर वर्तमान की बात करें तो अभी इसी पल में दुनिया के 25 फीसदी लोग सैक्स के बारे में सोच रहे होंगे.

पर इसी सैक्स को ले कर बहुत सी मनगढ़ंत बातें भी इधर से उधर तैरती रहती हैं. पर क्या है इन की हकीकत, जानते हैं :

हस्तमैथुन का हौआ

हस्तमैथुन यानी मास्टरबेशन सैक्स का ही एक रूप माना जाता है, पर बहुत से लोग हस्तमैथुन को बहुत ज्यादा गंदा काम मानते हैं. उन्हें यह भरम होता है कि हस्तमैथुन करने से इनसान कमजोर हो जाता है. वह नामर्द भी हो सकता है. कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि इस से लोग अंधे तक हो जाते हैं. अगर कोई औरत हस्तमैथुन के लिए वाइब्रेटर का इस्तेमाल करती है, तो वह उस की आदी हो जाती है. लेकिन विज्ञान की नजर में ऐसा कुछ नहीं होता है.

मर्दाना अंग का आकार

दुनियाभर में बहुत से मर्द अपने अंग के लंबे, मोटे और कड़े न होने के भरम में जी रहे होते हैं. उन्हें लगता है कि किसी औरत को असली मजा अंग की लंबाई से मिलता है. यही वजह है लोग अपने अंग को किसी भी तरह बढ़ाने की दवा खाने को उतावले रहते हैं और भारत में तो नीमहकीम इसी बात का फायदा उठा कर अपनी जेब भरते हैं.

एक इंटरनैट सर्वे के मुताबिक, 45 फीसदी मर्द अपने अंग के आकार से संतुष्ट नहीं हैं. बाजार इसी चीज का फायदा उठा रहा है और अंग बड़ा करने की क्रीम, इंजैक्शन, गोलीकैप्सूल और भी न जाने क्याक्या बेच रहा है. अमीर लोग तो सर्जरी करा कर अपना अंग बढ़वाने से भी नहीं झिझकते हैं.

पर एक रिसर्च के मुताबिक, 85 फीसदी औरतें रिलेशनशिप में मर्दाना अंग के आकार को ले कर संतुष्ट रहती हैं. उन्हें आकार या मोटाई से उतना फर्क नहीं पड़ता है, बल्कि अपनी संतुष्टि ज्यादा जरूरी होती है. अगर कोई मर्द अपनी पार्टनर को सैक्स में संतुष्ट कर रहा है, तो फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उस के अंग का आकार क्या है.

औरत के बड़े उभार और सैक्स

दुनियाभर में इस बात को ले कर बहस चलती रहती है कि मर्द को सैक्स के दौरान बड़े उभार यानी बड़ी छाती वाली औरतें ही पसंद आती हैं, जबकि औरतों के उभार हर तरह के डीलडौल और आकार के होते हैं. वे बड़े, छोटे, चुस्त और ढीले, हर तरह के हो सकते हैं और यह भी जरूरी नहीं कि दोनों उभार एकसमान हों.

कई तरह के सर्वे में यह सामने आया है कि औरत के उभार के मामले में हर मर्द की पसंद अलग हो सकती है. किसी को बड़े तो किसी को छोटे उभार अच्छे लग सकते हैं. हां, यह जरूर कह सकते हैं कि तकरीबन हर मर्द को औरत के कसे और चुस्त उभार जरूर पसंद आते हैं.

कंडोम से बिगड़े मजा

बहुत से लोग यह मानते हैं कि कंडोम लगा कर सैक्स करने से मजा किरकिरा हो जाता है. पूरी तरह जोश नहीं आ पाता है और औरत भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पाती है. यह कुछ ऐसा है जैसे कपड़े पहन कर नहाना.

लेकिन कई तरह की स्टडी में पाया गया है कि यह बात सच नहीं है. लोगों को इस का इस्तेमाल करने पर भी उतना ही मजा आता है, जितना इस के बिना. अब तो कुछ कंडोम इस तरह डिजाइन किए जाते हैं जिस से चरम सुख तक पहुंचने में देरी हो, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि इस से सैक्स का मजा कम हो जाता है.

स्वप्नदोष से कमजोर होते स्पर्म

स्वप्नदोष का मतलब है रात को सोते हुए सैक्स से जुड़ा कोई सपना देखने के बाद सीमन का निकल जाना. बहुत से जवान होते लड़के इसे बीमारी समझ कर इलाज ढूंढ़ने के लिए यहांवहां भटकते हैं और फिर खुद को चूना लगवा लेते हैं. उन्हें लगता है स्वप्नदोष से उन के चेहरे की चमक कम हो रही है और साथ ही सीमन के स्पर्म भी कमजोर हो रहे है. वे नामर्द तक हो सकते हैं.

पर हकीकत इस से उलट है. स्वप्नदोष एक कुदरती चीज है और इस का किसी तरह की कमजोरी से कोई लेनादेना नहीं है. न तो इस से स्पर्म की संख्या घटती है और न ही अंग सिकुड़ने की समस्या आती है. यह किसी भी उम्र में हो सकता है और चढ़ती जवानी की गलती से इस का कोई सरोकार नहीं है.

क्या सैक्स का मजा बिगाड़ देता है दर्द

अपनी सैक्स लाइफ को ऐंजौय करने के लिए यह जानना आप के लिए बेहद जरूरी है. सैक्स पतिपत्नी के बीच प्यार का ही एक हिस्सा है. सैक्स सचमुच आनंददायक होता है. इस के तमाम शारीरिक और मानसिक लाभ हैं. इस से तनाव तो दूर होता ही है, साथ ही मूड भी अच्छा रहता है. मगर कभी सैक्स मजे के बजाय सजा लगने लगता है खासकर महिलाओं को. इस का मुख्य कारण सैक्स के दौरान या बाद में होने वाला दर्द या खिंचाव होता है.

एक सर्वे के अनुसार लगभग 75% महिलाएं अपनी जिंदगी में कभी न कभी इस समस्या का अनुभव जरूर करती हैं. इस का परिणाम यह होता है कि दर्द और खिंचाव के कारण महिलाओं में सैक्स के प्रति अरुचि हो जाती है. उन्हें सैक्स से डर लगने लगता है और सैक्स के लिए पार्टनर को मना भी कर देती हैं.

सैक्स के दौरान या बाद में कोमल अंगों में होने वाले खिंचाव या दर्द के अनेक कारण हैं. इन कारणों को जान कर उन्हें दूर करने की कोशिश की जाए तो सैक्स की सजा को मजे में बदला जा सकता है.

वैजाइनल इन्फैक्शन

वैजाइनल इन्फैक्शन बहुत ही कौमन समस्या है. इस में यीस्ट इन्फैक्शन का भी समावेश होता है. किसी न किसी प्रकार का वैजाइनल इन्फैक्शन महिलाओं को उन की जिंदगी में होता रहता है, जिस में व्हाइट डिस्चार्ज का भी समावेश होता है. सामान्य रूप से वैक्टेरियल, यीस्ट अथवा यौन संचारित इन्फैक्शन से सैक्स के दौरान दर्द या खिंचाव हो सकता है. सामान्य रूप से इस का मुख्य लक्षण तरल का वैजाइना में से डिस्चार्ज होना है.

वैजिनिस्मस

वैजिनिस्मस एक ऐसी स्थिति होती है, जिस में योनि की मांसपेशियों में खिंचाव होता है. ऐसा होने के पीछे का मुख्य कारण चोट होता है. इन में जब सैक्स किया जाता है तो वैजिनिस्मस के कारण दर्द हो सकता है. अनेक तरह की थेरैपी ले कर इसे दूर किया जा सकता है.

गर्भाशय की समस्या

गर्भाशय की समस्याओं में फाइब्रौयड्स का समावेश होता है, जो डीप सैक्स के कारण दर्द का कारण बन सकता है. ऐसा ही कुछ ग्रीवा का भी है. डीप और अधिक पेनीट्रेशन के कारण ग्रीवा की समस्या या दर्द हो सकता है.

ऐंडोमिट्रिओसिस

सैक्स के दौरान या बाद में खिंचाव होने के अनेक कारणों में से एक कारण ऐंडोमिट्रिओसिस भी है. वास्तव में यह वह स्थिति है जब ऐंडोमिट्रिओसिस गर्भाशय के बाहर विकसित होता है. ऐंडोमिट्रिओसिस गर्भाशय का टिशू होता है. जिन महिलाओं को यह समस्या होती है वे मासिकधर्म में भी इस समस्या का अनुभव करती हैं और सैक्स के समय भी.

सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफैक्शन

सैक्सुअली ट्रांसमिशन इन्फैक्शन को संक्षेप में एसटीआई के रूप में जाना जाता है. इस इन्फैक्शन में गुप्तांगों में मसा, दाद, चोट अथवा अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं, जो बाद में दर्द की वजह बनती हैं.

दवाओं का सेवन

ऐसी तमाम दवाएं हैं, जो सैक्सुअल इच्छा को कम कर सकती हैं. इन में बर्थ कंट्रोल पिल्स का भी समावेश होता है. इसी के साथ पेनकिलर दवाएं भी सैक्स की इच्छा को कम करती हैं. मैडिकल और सर्जिकल स्थिति में भी इसे प्रभावित कर सकती हैं जैसेकि डायबिटीज, थायराइड और कैंसर आदि. इन से भी आप को सैक्स के दौरान दर्द और खिंचाव हो सकता है.

पार्टनर की सैक्सुअल समस्या

अगर पार्टनर को किसी तरह की सैक्सुअल समस्या होती है तो आप को सैक्स को ले कर चिंता हो सकती है. अगर पार्टनर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की दवाएं ले रहा होता है तो उसे और्गेज्म में देर लग सकती है. इस से सैक्स तकलीफ भरा हो सकता है. कभी पार्टनर के साथ कोई समस्या हो या तनाव हो तो सैक्स के दौरान या बाद में दर्द या खिंचाव हो सकता है.

अंडाशय की समस्या

इस समस्या में ओवेरियन सिस्ट का समावेश होता है, जो सैक्स के दौरान अथवा बाद में दर्द और खिंचाव का कारण बनता है.

पेल्विक इंफ्लैमेटरी डिजीज

इस समस्या में अंदर के टिश्यूज बहुत ही बुरी तरह फूल जाते हैं और सैक्स के दौरान दबाव के कारण बहुत तेज दर्द का अनुभव कराते हैं.

चिंता या तनाव

अगर आप के दिमाग में किसी तरह का डर, चिंता, शर्म-संकोच या अन्य कोई मुश्किल हो तो आप को सैक्स के दौरान या बाद में दर्द हो सकता है. जब आप का मन शांत न हो तो इस का परिणाम दर्द या खिंचाव हो सकता है. इस के साथ तनाव या थकान सैक्स की इच्छा पर अपना प्रभाव डाल सकता है.

दर्द या खिंचाव दूर करने के उपाय

लुब्रिकेंट्स का उपयोग: अगर सैक्स के दौरान वजाइना में जलन या दर्द हो रहा है तो पानी में घुल जाने वाले लुब्रिकेंट्स का प्रयोग कर सकती हैं. सिलिकौन वाला लुब्रिकेंट्स भी एक अच्छा विकल्प है, परंतु कंडोम के साथ पैट्रोलियम जेली, बेबी औयल आदि का प्रयोग न करें.

सैक्स का उचित समय

सैक्स के दौरान और बाद में होने वाला

दर्द या खिंचाव दूर करने के लिए सैक्स के

लिए उचित समय तय करें. सैक्स के लिए ऐसा समय पसंद करें, जब आप और आप का

पार्टनर थका और तनाव में न हो. इसी के साथ पार्टनर के साथ बातें करें कि आप को कहां खिंचाव और दर्द होता है. इसी के साथ आप को जो शारीरिक गतिविधियां आनंद देती हों, उस के बारे में बताएं.

डाक्टर की सलाह ले: तनाव, चिंता या अवसाद की स्थिति में भी ऐसी समस्या हो सकती है. अगर आप किसी तरह की दवा ले रही हैं तो इस समस्या का शिकार बन सकती हैं. दवा तो अचानक बंद नहीं की जा सकती, इसलिए डाक्टर की सलाह अवश्य लें.

 

सेक्स में मर्द को भी होता है दर्द, जानें कैसे

आमतौर पर यह माना जाता है कि सेक्स के समय केवल लड़कियों को ही दर्द होता है. हकीकत यह है कि कई बार खुद लडकों को भी इस तरह के दर्द से दो चार होना पडता है. इसकी अलग अलग वजहे होती है. इनके कारण लडकें भी सेक्स से दूर होने लगते है.

लखनऊ में सेक्स रोगो के जानकार और मक्कड मेडिकल सेंटर राजेन्द्र नगर के सर्जन डाक्टर गिरीश मक्कड का मानना हैं कि आदमी के अंग में संक्रमण के कारण होने वाला सहवास पीडादायक हो जाता हैं. इसमें इतना दर्द होता है कि आदमी को सेक्स की अरूचि हो जाती है. यह दर्द कई कारणो से हो सकता है. जाने क्या है वो कारण-

अंग में दर्द का कारण:

आदमी के अंग में दर्द की पहली वजह उसके अगले हिस्से दर्द का होना होता है. कभी-कभी यह दर्द स्खलन के बाद होने लगता है. जिससे आदमी जल्द ही अपना अंग बाहर निकाल लेता है. इससे यौन असंतुष्टि का भाव भी मन में आ जाता है.

दर्द होने की आशंका में यौन संबंध ठीक तरह से नही बन पाते हैं. अंग के ऊपर मौजूद त्वचा उसकी देखभाल का काम करती है. यह त्वचा कभीकभी परेशानी का कारण भी बन जाती हैं त्वचा के अंदर अगर नियमित रूप से सफाई न की जाय तो यहां पर गंदगी फैलने लगती है. इससे अंग में पहले सूजन और छिलने बाद में सक्रंमण हो जाता है.

इसके चलते आदमी को संबंध के दौरान दर्द और जलन होने लगती है. अंग में दर्द तब भी होता है जब इसकी त्वचा पीछे नही जाती है. इससे भी दर्द होने लगता है. औरत के अंग में प्रवेश करने के कारण उसका संक्रमण भी आदमी के अंग में आ जाता है. जिससे उसकी त्वचा पर फफोले पड जाते है. जिन औरतो के अंग में संक्रमण होता है उनके साथ संबंध बनाने से यह परेशानी आ जाती है. आदमी के अंग में किसी प्रकार की चोट लगने और झटका लगने से भी दर्द होने लगता है

यह चोट लगने और शारीरिक संबंध बनाने के दौरान अचानक मुद्रा बदलने से भी हो सकता है. कभीकभी अंडकोषो में किसी तरह की खराबी आने के कारण भी दर्द होने लगता है. दरअसल यह दर्द अंडकोषो में होता है. इसका असर आदमी के अंग पर पडता है. यदि किसी वजह से मूत्र मार्ग में कोई रूकावट होती है तो अंग में दर्द होने लगता है. सूजाक जैसे रोगो में ऐसा हो जाता है. इसमें जलन दर्द और मूत्राशय तक पहुच जाता है. उम्र दराज लोगो में प्रोटेस्ट ग्रंथि का बढ जाना भी दर्द का कारण बन जाता है.

दर्द का इलाज:

डाक्टर गिरीश मक्कड़ का कहना है कि अंग में इस तरह के दर्द को लोग छिपा कर रखते है. शर्म के कारण किसी अच्छे डाक्टर को दिखाने के बजाये झोला छाप डाक्टरो के पास जाते है. यह लोग दर्द की छोटी सी वजह को इतना बड़ा करके बताते है जिससे बीमार डर जाता है. झोला छाप डाक्टरो के द्वारा इस का इलाज कभी कभी और भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है इसलिये इस तरह की परेशानी होने पर अच्छे डाक्टर से ही इलाज कराये. अंग का दर्द भी एक तरह की बीमारी है. इसमें शर्म करने जैसा कुछ नही होता है. अच्छे डाक्टरो के पास इस तरह की बीमारी के लिये कई तरह का इलाज मौजूद होता है.

दर्द होने पर सबसे पहले मरीज के जननांगो और मूत्र प्रणाली से जुड़े अंगो की जांच की जाती है. अंग के ऊपर त्वचा, उसके आकार और प्रोस्टेट ग्रंथि का जायजा लिया जाता है. अगर त्वचा में कोई परेशानी या दाने है तो केवल साफ सफाई से ही बीमारी दूर हो जाती है. बहुत हुआ तो एक दो दिन दवा खानी पड सकती है. अपने आप भी अंगो की सफाई नियमित रूप से करनी चाहिये. अगर अंग की त्वचा जुडी हो या टांका लगा हो तो छोटा सा आपरेशन करके उसको हटाया जा सकता हैं. अगर औरत के अंग में संक्रमण से कोई परेशानी होती है तो पहले उसका इलाज करना पडता है. प्रोस्टेट ग्रंथि और अंडकोषो में दर्द कारण हो तो उसका इलाज करके परेशानी से बचा जा सकता है. साफसफाई और औरत से संबंध के दौरान कंडोम का प्रयोग करने से इस तरह की परेशानियो से बचा जा सकता है.

आदमी के अंगो में दर्द की वजह बहुत सामान्य सी बात है. इसमें डरने जैसा कुछ नही होता है. जरूरत इस बात की होती है कि जब भी परेशानी हो हमेशा अच्छे डाक्टर से ही इलाज कराये. अब तो तमाम सरकारी अस्पतालो और प्राइवेट नर्सिग होम में भी इस तरह का इलाज होने लगा है. गुप्त रोगो का इलाज करने वाले झोलाछाप डाक्टरों से इसका इलाज कराना ठीक नही रहता है. यह लोग सीधेसाधे इलाज को कठिन बना देते है. इससे बात और भी बिगड जाती है. इस तरह गुप्त रोगो को इलाज करने वाले झोलाझाप डाक्टर अपना प्रचार प्रसार ज्यादा करते है इससे लोग इनके जाल में फंस जाते है. शर्म छोड कर सही डाक्टर से इलाज कराने में आसानी से इस दर्द से राहत मिल सकती है.

इस Valentine’s Day आपकी सेक्स ड्राइव में सुधार ला सकती हैं ये 11 फायदेमंद चीजें

दैनिक आहार में कुछ महत्त्वपूर्ण खाद्यपदार्थ शामिल कर आप अपने उन खास पलों के रोमांच को किस तरह बढ़ा सकते हैं, जरूर जानिए:

सामन: सामन ओमेगा-3 फैटी ऐसिड डीएचए और ईपीए का एक ज्ञात प्राकृतिक स्रोत है. इस से मस्तिष्क में डोपामाइन स्तर बढ़ने में मदद मिलती है, जिस से उत्तेजना पैदा होती है. ओमेगा-3 डोपामाइन की उत्पादन क्षमता बढ़ाता है. यह मस्तिष्क के लिए एक महत्त्वपूर्ण रसायन है, जो व्यक्ति के चरमसुख की भावना को ट्रिगर करता है.

कद्दू के बीज: कद्दू के बीज जस्ता (जिंक) का एक बड़ा स्रोत हैं, जो टेस्टोस्टेरौन को बढ़ा देते हैं. इन में आवश्यक मोनोअनसैचुरेटेड वसा भी होती है, जिस से शरीर में कोलैस्ट्रौल बनता है. यौन हारमोन को ठीक से काम करने के लिए कोलैस्ट्रौल की जरूरत पड़ती है.

बैरीज: स्ट्राबैरी, ब्लैकबैरी, नीले जामुन ये सभी प्राकृतिक मूड बूस्टर हैं. स्ट्राबैरी में पर्याप्त विटामिन सी और बी होता है. ब्लैकबैरी और नीले जामुन फाइटोकैमिकल युक्त होते हैं, जो व्यक्ति के मूड को रामांटिक बनाते हैं.

केला: केला पोटैशियम का प्राकृतिक स्रोत है. पोटैशियम एक महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व है, जो मांसपेशी संकुचन को बढ़ाता है और उन खास पलों में बहुत अहम होता है. साथ ही केला ब्रोमेलैन से समृद्ध होता है, जो टेस्टोस्टेरौन उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार होता है.

तरबूज: तरबूज में 92% पानी है, लेकिन बाकी 8% पोषक तत्त्वों से भरा होता है. तरबूज का शांत प्रभाव रक्तवाहिकाओं को शांत करता है. यह स्त्री और पुरुष दोनों के अंगों में रक्तप्रवाह सुधारता है.

लहसुन: रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल किए जाने वाला खास आहार लहसुन ऐलिकिन समृद्ध होता है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन अंगों में रक्तप्रवाह को बढ़ाता है. रात में शहद में भिगो कर रखा गया कच्चा लहसुन खाना लाभप्रद होता है.

केसर: केसर एक प्राकृतिक कामोद्दीपक है, जो स्त्रीपुरुष दोनों के लिए उन पलों का आनंद बढ़ाने में मददगार होता है. सब से महंगे मसालों में से एक माने जाने वाले केसर में क्रोकटोन नामक मिश्रण होता है, जो मस्तिष्क में उत्तेजना वाले हारमोन को ट्रिगर करते हुए इच्छा बढ़ाता है. केसर में पिको क्रोकिन रसायन होता है, जो स्पर्श के प्रति संवेदना बढ़ाता है.

लौंग: सदियों से पुरुष यौन रोग का इलाज करने के लिए हमारे देश में लौंग का उपयोग किया जाता है. यदि नियमितरूप से लौंग खाई जाए तो यौन गतिविधि में वृद्धि होती है. इस के अलावा लौंग सांस की गंध से छुटकारा दिलाने में भी मददगार है. लौंग के साथ जीरा एवं दालचीनी का सेवन और अधिक कामोद्दीपक है.

डार्क चौकलेट: डार्क चौकलेट ऐंटीऔक्सीडैंट से भरपूर होती है, जिस के चलते अधिक अनुभूति के लिए यह एक स्वादिष्ठ तरीका है. ऐंटीऔक्सीडैंट उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करते हैं और यौन आनंद बढ़ाते हैं.

पालक: पालक जैसी पत्तेदार हरी सब्जियों में जबरदस्त फौलिक ऐसिड होते हैं, जो उर्वरता और कामेच्छा बढ़ाने में मदद करते हैं.

अंडे: अंडे उच्च स्तर के प्रोटीन से भरपूर होते हैं ये स्टैमिना का स्रोत हैं. इस से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप इन्हें कैसे खाते हैं. इन का किसी भी तरह खाना ऊर्जा प्रदान करता है.

मैं अपने बौयफ्रेंड से बेहद प्यार करती हूं पर मेरे पति मुझे तलाक नहीं दे रहे, मैं क्या करूं?

 सवाल

मै 24 वर्ष की हूं. मेरी शादी 8 महीने पहले हुई है. मैं अपने पति को जरा भी पसंद नहीं करती. हालांकि वे उच्च पदस्थ अधिकारी हैं और स्वभाव से भी सरल हैं. मैं मुंबई स्थित एक मल्टीनैशनल कंपनी में जौब करती हूं. मुंबई में रहते हुए ही पिछले 4 सालों से अपने बौयफ्रैंड के साथ रिलेशनशिप में रही. हम लोग एक ही फ्लैट में साथ रहते थे. बौयफ्रैंड बंगाल का रहने वाला है जबकि मैं उत्तराखंड की रहने वाली हूं.

हमारे रिश्ते के बारे में मेरे पेरेंट्स को भी जानकारी थी पर उन्हें यह रिश्ता पसंद नहीं था. बौयफ्रैंड शादी करने के लिए तैयार था. उस के घर वालों को भी कोई आपत्ति नहीं थी. पर मेरे घर वाले जिद कर मुझे एक बार साथ ले गए और शादी का दबाव बनाने लगे. इस दौरान उन्होंने मुझे राजी करने के लिए जातिधर्म व सामाजिक बदनामी का भय भी दिखाया. मैं फिर भी नहीं मान रही थी.

फिर एक दिन मेरी मम्मी ने आत्महत्या करने की कोशिश की. उन्हें अस्पताल में भरती कराने तक की नौबत आ गई. घरपरिवार, मामामामी और यहां तक कि मेरी एक टीचर, जिन्हें मैं बेहद सम्मान देती थी, से मुझ पर दबाव बनवाया जाने लगा. मैं टूट गई और शादी के लिए हां कर दी. पति सुलझे हुए खयाल के लगे. मैं उन के साथ देहरादून भी गई, जहां उन की पोस्टिंग थी. पर रातदिन बौयफ्रैंड की यादों में ही खोई रहती. नौकरी का हवाला दे कर बाद में मैं मुंबई आ गई और फिर से बौयफ्रैंड के साथ रहने लगी. बौयफ्रैंड बहुत रोया और पति से तलाक लेने की बात पर जोर देता रहा. मैं ने उसे बताया कि मैं पति से सैक्स संबंध बना चुकी हूं, बावजूद इस के वह कह रहा है कि उसे कोई ऐतराज नहीं है और वह मुझे ताउम्र प्यार करता रहेगा. उस के दबाव पर मैं ने एक दिन पति को फोन पर सब सचसच बता दिया.

वे कुछ पल तो चुप रहे, फिर कहा कि तुम्हारी अपनी जिंदगी है. तुम जिस के साथ रहना चाहो रहो. पर मैं तुम्हें तलाक नहीं दूंगा और तुम मेरे पास खुद लौट कर आओ इस का इंतजार करूंगा. मैं ने पति को बहुत समझाने की कोशिश की पर वे नहीं माने और कहते रहे कि तुम नहीं तो कोई नहीं.

इधर बौयफ्रैंड से दूर जाने की बात सुनते ही वह परेशान हो जाता है और किसी कीमत पर साथ न छोड़ने की जिद पर अड़ा हुआ है. मैं बहुत उलझन में हूं. समझ नहीं आ रहा क्या करूं. कृपया सलाह दें?

जवाब-

आप अपने घर वालों की इमोशनल ब्लैकमेलिंग की शिकार हुईं, इस में कोई शक नहीं. जातिधर्म व सामाजिक बदनामी का भय दिखा कर उन्होंने आप को मजबूरन शादी करने के लिए राजी किया, यह उन की गलती थी.

दूसरी तरफ, अगर आप अपने बौयफ्रैंड के साथ रिलेशनशिप में इतना आगे निकल चुकी थीं तो आप को भी यह शादी नहीं करनी चाहिए थी. आप और आप का बौयफ्रैंड दोनों अपने पैरों पर खड़े थे और बालिग थे. घर वाले नहीं मान रहे थे तो आप कोर्ट मैरिज कर सकती थीं. देरसबेर वे इस रिश्ते को अपना ही लेते.

अब जबकि आप की शादी हो गई है और जैसाकि आप ने बताया कि आप के पति सुलझे हुए इंसान हैं तो आप को अपने पति के साथ ही रहना चाहिए. वर्तमान में बौयफ्रैंड के साथ का रिश्ता अब नाजायज माना जाएगा. बेहतर होता कि बौयफ्रैंड के साथ रिश्ते की बात आप अपने पति से नहीं कहतीं और सब भूल कर नए जीवन की बेहतर तरीके से शुरुआत करतीं. अब जबकि आप ने अपने पति को सब सचसच बता ही दिया है और इस के बावजूद वे आप का साथ देने को तैयार हैं तो जाहिर है वे वाकई सुलझे हुए इंसान हैं जो विवाहरूपी संस्था को कमजोर नहीं होने देना चाहते. तलाक के बाद उन पर भी उंगलियां उठेंगी, यह वे जानते होंगे.

पति अच्छा कमाते हैं, उच्च पदस्थ अधिकारी हैं और आप को दिल से अपना रहे हैं तो बेहतर होगा आप अपने पति के पास लौट जाएं और इस अवैध रिश्ते पर विराम लगा दें.

Valentine’s Day 2024: हो सकता है प्यार, कभी भी कहीं भी

Sex News in Hindi: गीतकार संतोष आनंद ने साल 1982 में आई सामाजिक फिल्म ‘प्रेम रोग’ में एक गाने से सवाल उठाया था कि ‘मोहब्बत है क्या चीज हम को बताओ, ये किस ने शुरू की हमें भी सुनाओ…’ पर आज तक इस सवाल का जवाब किसी को नहीं मिला है, तभी तो कई बार शादी के बाद भी इनसान किसी तीसरे के प्यार में पड़ जाता है. यह प्यार अचानक या किसी मकसद से या सोचसमझ कर नहीं होता. आज की मसरूफ लाइफ में वैसे भी इस तरह किसी तीसरे का मिलना आसान नहीं, मगर जब अनजाने ही कोई आंखों को भाने लगे तो दिल में कुछ उथलपुथल होने लग जाती है. इनसान धीरेधीरे अपनी जिंदगी में उस तीसरे का भी आदी होने लगता है. मगर जब यह सचाई जीवनसाथी के सामने आ जाए, तो मामला उलझ सकता है.

तभी तो 18वीं सदी के मशहूर शायर मीर तकी मीर ने फरमाया था, ‘इश्क इक ‘मीर’ भारी पत्थर है…’

मीर ने इश्क को भारी पत्थर कहा, तो 20वीं सदी के एक और शायर अकबर इलाहाबादी ने इसे कुछ ऐसे बयां किया… ‘इश्क नाजुक मिजाज है बेहद, अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता…’

जाहिर है कि यह प्यार किसी को भारी पत्थर लगा है, तो किसी को नाजुकमिजाज. किसी ने मुहब्बत में खुदा देखा, तो किसी को दुश्मन नजर आया. मगर प्यार की हकीकत केवल शायराना अंदाज से नहीं सम?ा जा सकती. इस प्यार या इश्क के जज्बातों के पीछे कहीं न कहीं साइंस भी काम कर रहा है.

दरअसल, किसी के प्रति यह आकर्षण आप के दिमाग का कैमिकल लोचा भर है, इसलिए इसे ले कर ज्यादा तनाव नहीं लेना चाहिए. मुहब्बत होती है तो खुद से हो जाती है और न होनी हो तो लाख कोशिशें करते रहिए, आप को छू कर भी न गुजरेगी. तभी तो गालिब कह गए हैं, ‘इश्क पर जोर नहीं है, ये वो आतिश है ‘गालिब’ के लगाए न लगे और बुझाए न बुझे.’

जब होता है प्यार

जब आप किसी के प्यार में पड़ते हैं, तो दिमाग न्यूरो कैमिकल प्रोसैस से गुजरता हुआ शरीर में एड्रेनल, डोपामाइन, सैरोटोनिन, टैस्टोस्टैरोन और एस्ट्रोजन रिलीज करता है. प्यार में पड़ने पर इन की रिलीजिंग स्पीड बढ़ जाती है. यही वजह है कि जब इनसान अपने किसी प्यारे के साथ होता है? तो वह अलग तरह का माहौल महसूस करता है.

इस मामले में न्यूरोपैप्टाइड औक्सीटोसिन नाम का कैमिकल भी प्यार का एहसास कराने में अहम साबित होता है, क्योंकि इस को बौंडिंग हार्मोन कहा जाता है. यह आप के मन में दूसरों से जुड़ाव पैदा करता है.

सताती है उस की याद

ऐसा कोई भी शख्स नहीं होगा, जिसे कभी किसी इनसान की याद ने सताया न हो. भले ही वह इनसान शादीशुदा ही क्यों न हो, मगर इस के बावजूद वह किसी तीसरे से दिल से जुड़ जाता है. ऐसे में उस शख्स के दूर होने पर उसे मिसिंग की फीलिंग आती है और इस से वह दुखी महसूस करता है.

इस की वजह से आप अपने जीवनसाथी के प्रति उदासीन से हो जाते हैं और उसे इस बात का अहसास होने लगता है कि आप की जिंदगी में कोई और भी है. ऐसे में हालात मुश्किल होने लगते हैं, मगर फिर भी आप उस तीसरे का मोह नहीं त्याग पाते, क्योंकि वह तीसरा इनसान आप की जिंदगी में एक अलग तरह का रोमांच और खुशियां ले कर आता है. उस की कुछ खासीयतें आप को अपनी तरफ खींचती हैं.

आप अपने जीवनसाथी को धोखा देना नहीं चाहते, मगर फिर भी उस तीसरे की यादों से अलग भी नहीं हो पाते. आप यह जुगत भिड़ाने में लगे रहते हैं कि उस तीसरे से बारबार आप का सामना हो.

नई रिलेशनशिप में आती है ज्यादा मुश्किल

एक स्टडी में यह भी सामने आया है कि पुरानी रिलेशनशिप में किसी से दूरी उतनी इफैक्ट नहीं करती, मगर किसी नए रिश्ते में दूरी बढ़ने पर उदासी काफी हावी होती है. मतलब, यह कि शादीशुदा इनसान जब अपने पार्टनर से कुछ समय के लिए दूर होता है, तो उस के मन पर खास असर नहीं होता, मगर जिस से हालफिलहाल रिश्ता जुड़ा है, उस का दूर जाना आप को ज्यादा इफैक्ट करता है. यह आप के चेहरे से नजर आने लगता है. आप परेशान रहने लगते हैं.

इस जुनून से बचें

जब प्यार का यह जुनून ‘मानसिक बीमारी’ बन जाए, तो ऐसा प्यार जानलेवा होता है. जैसा कि फिल्म ‘डर’ में शाहरुख खान का किरदार था. इस में हीरोइन पर जबरदस्ती का प्यार थोपा जा रहा था, ‘तू हां कर या न कर, तू है मेरी किरन’. ऐसे प्यार को आप ‘इश्किया बीमारी’ कह सकते हैं.

एक अमेरिकी हैल्थ वैबसाइट ‘हैल्थलाइन’ के मुताबिक, ‘औब्सैसिव लव डिसऔर्डर एक तरह की ‘साइकोलौजिकल कंडीशन’ है, जिस में लोग किसी एक शख्स पर असामान्य रूप से मुग्ध हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि वे उस से प्यार करते हैं.

उन्हें ऐसा लगने लगता है कि उस शख्स पर सिर्फ उन का हक है और उसे भी बदले में उन से प्यार करना चाहिए. अगर दूसरा शख्स शादीशुदा है या उन

से प्यार नहीं करता तो वे इसे स्वीकार नहीं कर पाते. वे दूसरे शख्स और उस की भावनाओं पर पूरी तरह काबू पाना चाहते हैं.

असल जिंदगी में भी ऐसे लोग प्यार में ठुकराया जाना स्वीकार नहीं कर पाते और न कहे जाने के बाद अजीबोगरीब हरकतें करने लगते हैं. बहुत से जुनूनी आशिक तथाकथित प्रेमिका को यह कह कर धमकाते हैं कि ‘ठुकरा के मेरा प्यार तू मेरी मोहब्बत का इंतकाम देखेगी’.

किसी शादीशुदा से इस तरह जुनून भरा प्यार करने का नतीजा हिंसा, हत्या या आत्महत्या के रूप में नजर आता है. इसे ‘औब्सैसिव लव डिसऔर्डर’ कहते हैं. ऐसे प्यार करने वाले शख्स से हमेशा बच कर रहें, क्योंकि ऐसा प्यार न सिर्फ आप की शादीशुदा जिंदगी बरबाद करेगा, बल्कि आप की जिंदगी पर भी बन सकती है.

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