Sex News in Hindi: गीतकार संतोष आनंद ने साल 1982 में आई सामाजिक फिल्म ‘प्रेम रोग’ में एक गाने से सवाल उठाया था कि ‘मोहब्बत है क्या चीज हम को बताओ, ये किस ने शुरू की हमें भी सुनाओ...’ पर आज तक इस सवाल का जवाब किसी को नहीं मिला है, तभी तो कई बार शादी के बाद भी इनसान किसी तीसरे के प्यार में पड़ जाता है. यह प्यार अचानक या किसी मकसद से या सोचसमझ कर नहीं होता. आज की मसरूफ लाइफ में वैसे भी इस तरह किसी तीसरे का मिलना आसान नहीं, मगर जब अनजाने ही कोई आंखों को भाने लगे तो दिल में कुछ उथलपुथल होने लग जाती है. इनसान धीरेधीरे अपनी जिंदगी में उस तीसरे का भी आदी होने लगता है. मगर जब यह सचाई जीवनसाथी के सामने आ जाए, तो मामला उलझ सकता है.

तभी तो 18वीं सदी के मशहूर शायर मीर तकी मीर ने फरमाया था, ‘इश्क इक ‘मीर’ भारी पत्थर है...’

मीर ने इश्क को भारी पत्थर कहा, तो 20वीं सदी के एक और शायर अकबर इलाहाबादी ने इसे कुछ ऐसे बयां किया... ‘इश्क नाजुक मिजाज है बेहद, अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता...’

जाहिर है कि यह प्यार किसी को भारी पत्थर लगा है, तो किसी को नाजुकमिजाज. किसी ने मुहब्बत में खुदा देखा, तो किसी को दुश्मन नजर आया. मगर प्यार की हकीकत केवल शायराना अंदाज से नहीं सम?ा जा सकती. इस प्यार या इश्क के जज्बातों के पीछे कहीं न कहीं साइंस भी काम कर रहा है.

दरअसल, किसी के प्रति यह आकर्षण आप के दिमाग का कैमिकल लोचा भर है, इसलिए इसे ले कर ज्यादा तनाव नहीं लेना चाहिए. मुहब्बत होती है तो खुद से हो जाती है और न होनी हो तो लाख कोशिशें करते रहिए, आप को छू कर भी न गुजरेगी. तभी तो गालिब कह गए हैं, ‘इश्क पर जोर नहीं है, ये वो आतिश है ‘गालिब’ के लगाए न लगे और बुझाए न बुझे.’

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