यह सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है कि बच्चों को हर न्यूट्रिएंट्स की सही मात्रा मिले. न्यूट्रिएंट्स के मामले में विभिन्न आयु-वर्ग के बच्चों की जरूरत भिन्न होती है और हमें दोनों बातों का ख्याल रखना पड़ता है यानी न तो इनकी कमी होने पाये और न ही अधिकत छोटे बच्चे के लिए यह बिल्कुल सामान्य बात है कि वह अचानक तय कर ले कि उसे कौन सी पसंदीदा चीजें खानी है. ऐसे में, बच्चे भले ही एक ही किस्म की चीज बार- बार खाते रहें लेकिन वे दूसरी चीजों को छूने से भी मना कर देते है.

भले ही, वे उनकी सेहत के लिए कितनी भी अच्छी क्यों न हों. इस व्यवहार के पीछे कई कारण है, जिनमें से कुछ कि उनके विकास की अवस्था से जुड़े होते है. ऐसे कारणों से खुलासा होता है कि 1 से 3 साल की उम्र में बच्चे खाने के मामले में इतने चूजी क्यों होते है? ये तथ्य इन बच्चों के खानपान के पैटर्न पर असर डालते है.

बच्चे इस उम्र में किसी काम के लिए आराम से नहीं बैठते. यहां तक कि खाने के लिए भी नहीं. फिर इस उम्र से आगे 4 से 6 साल में बच्चे अपनी पढ़ाई और खेल में व्यस्त हो जाते है और उनके पोषण का मुद्दा कमजोर पड़ जाता है. इसके अलावा इस उम्र में बच्चे अपने मन की करने की जिद्द भी बहुत करते है. माता को इस बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उम्र के इस दौर में खाने में आनाकानी करते ही है.

ऐसे कई तरीके है, जिनका प्रयोग करके बच्चों को पूरा पोषण दिया जा सकता है.

इसके लिए बने-बनाये पूरक आहार एक आदर्श समाधान सिद्ध होते है. नवजीवन ज्योति हास्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में एचओडी पैडियाट्रिक्स डा. स्वाति बताती है कि  कद बढ़ने, वजन सही रखने और दिमाग के विकास में सही पोषण की अहम भूमिका होती है. इन्हें हासिल करने के लिए संतुलित आहार का चुनाव करना चाहिए, जो जरूरी विटामिनों, खनिजों व अन्य पोषाहारों से भरपूर हो.

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