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(सत्यकथा-सौजन्य)

सूचना मिलते ही एएसपी अमरेंद्र सिंह उस से पूछताछ करने के लिए थाने पहुंच गए. यह 20 जून, 2020 की बात है.

‘‘रेखा, मैं जो सवाल करूंगा, उस का जवाब ठीक से देना, तुम्हारे लिए यही अच्छा होगा.’’ समझाते हुए एएसपी अमरेंद्र ने रेखा से सख्त लहजे में कहा.

रेखा बुत बनी बैठी रही तो उन्होंने सवाल किया, ‘‘यह बताओ कि तुम ने बलवीर की हत्या क्यों की?’’

‘‘मैं ने उन की हत्या नहीं की, मैं निर्दोष हूं.’’ रेखा ने सपाट लहजे में जवाब दिया.

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‘‘तो तुम ऐसे नहीं बताओगी. ठीक है, मत बताओ. यह तो बता सकती हो कि रवि कौन है और उसे तुम कैसे जानती हो?’’ एएसपी अमरेंद्र ने रेखा की आंखों में झांक कर सवाल किया. सवाल सुन कर रेखा सन्न रह गई.

‘‘क..क..क…कौन रवि.’’ वह हकलाती हुई बोली, ‘‘मैं किसी रवि को नहीं जानती.’’

‘‘वही रवि, जिस से घटना वाले दिन फोन पर तुम्हारी कई बार बात हुई थी.’’

सिर पर एक महिला सिपाही खड़ी थी. एएसपी ने उसे इशारा कर के कहा, ‘‘अगर ये झूठ बोले तो बिना कहे शुरू हो जाना.’’

इस पर रेखा हाथ जोड़ते हुए बोली, ‘‘सर, पति की हत्या मैं ने ही अपने प्रेमी रवि के साथ मिल कर की थी, मुझे माफ कर दीजिए. प्यार में अंधी हो कर मैं ने ही अपने हाथों अपना घर उजाड़ दिया.’’

इस के बाद रेखा पति की हत्या की पूरी कहानी सिलसिलेवार बताती चली गई.

हेडकांस्टेबल बलवीर सिंह चौहान की हत्या के मामले से पुलिस ने 72 घंटे के भीतर परदा उठा दिया था.

रेखा का प्रेमी रवि भी सीआरपीएफ का जवान था. वह शहडोल में तैनात था. पुलिस जब उसे गिरफ्तार करने शहडोल पहुंची तब तक वह फरार हो गया था.

अगले दिन एएसपी अमरेंद्र सिंह और एसपी रवींद्र वर्मा ने मिल कर प्रैसवार्ता की. पत्रकारों के सामने भी रेखा ने अपना जुर्म कबूल लिया.

उस ने पति की हत्या की जो कहानी बताई, चौंकाने वाली थी—

54 वर्षीय बलवीर सिंह चौहान मूलरूप से उज्जैन में माधवनगर के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी रेखा के अलावा 2 बेटे रमेश और चंदन और एक बेटी शालिनी थी. कहने को तो बलवीर का दांपत्य जीवन खुशहाल था लेकिन हकीकत में वह अपनी पत्नी रेखा से खुश नहीं रहते थे.

रेखा ने जब बलवीर के जीवन में कदम रखा, तब से उन के जीवन में खुशियां ही खुशियां थीं. रेखा उन की तीसरी पत्नी थी.

बलवीर सिंह चौहान की 2 शादियां पहले भी हुई थीं. बलवीर की पहली पत्नी किरन थी. जब वह ब्याह कर ससुराल आई थी, बलवीर की किस्मत का ताला खुल गया था. शादी के बाद उन की सीआरपीएफ में नौकरी पक्की हुई थी.

बलवीर की नईनई शादी हुई थी. घर में नई दुलहन आई थी. अभी किरन के हाथों की मेहंदी का रंग फीका भी नहीं पड़ा था कि उसे अकेले घर पर छोड़ बलवीर नौकरी चले गए. रात में पत्नी जब बिस्तर पर होती तो पति के बिना बिस्तर काटने को दौड़ता था. वह बेचैन हो जाती थी.

पति की दूरियां उस से बरदाश्त नहीं हो रही थीं. जब सब कुछ बरदाश्त के बाहर हो गया तो किरन ने कमरे के पंखे से झूल कर आत्महत्या कर कर ली.

पत्नी की आत्महत्या से बलवीर बुरी तरह टूट गए. वह बेपनाह मोहब्बत करते थे. लेकिन नौकरी के फर्ज और घर की जिम्मेदारी के बीच पिस कर उन्होंने 28 साल की उम्र में पत्नी को गंवा दिया था.

पत्नी की मौत के बाद से बलवीर गुमसुम रहने लगे. पूरी जिंदगी सामने थी. अकेले काटना मुश्किल था. इसी नजरिए से मांबाप उन की दूसरी शादी की सोचने लगे. बलवीर सरकारी नौकरी में थे, इसलिए उन की दूसरी शादी के लिए कई प्रस्ताव आए. काफी सोचने के बाद मांबाप ने उस की दूसरी शादी आभा से करवा दी.

जब आभा बलवीर की जिंदगी में पत्नी बन कर आई, तो धीरेधीरे बलवीर के जीवन में बदलाव आने लगा. लेकिन बलवीर की ये खुशी भी ज्यादा दिनों तक टिकी नहीं रही. एक सड़क हादसे ने बलवीर से आभा को भी छीन लिया. एक बार फिर अकेले पड़ गए. 2-2 पत्नियों की मौत से बलवीर जीवन से निराश होने लगे.

कुछ दिनों बाद बलवीर की जिंदगी में रेखा तीसरी पत्नी बन कर आई. वह दोनों की यह शादी साल 2003 में मंदिर में हुई थी. दोनों की उम्र में करीब 20 साल का फासला था. रेखा के आने से बलवीर की जिंदगी फिर से संवर गई.

पहले की दोनों बीवियों से बलवीर की कोई संतान नहीं थी, लेकिन रेखा से बलवीर के यहां 3 बच्चे पैदा हुए. 2 बेटे रमेश व चंदन और एक बेटी शालिनी.

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रेखा भले ही बलवीर के 3 बच्चों की मां बन गई थी, लेकिन वह पति के प्यार से संतुष्ट नहीं थी. इसी के चलते रेखा के पांव बहक गए.

शहडोल जिले के उमरिया की रहने वाली रेखा को अपना पुराना प्यार याद आ गया. उस का नाम था रवि कुमार पनिका. रवि और रेखा कालेज के जमाने से एकदूसरे को जानते थे. उन्हीं दिनों दोनों में प्यार हुआ था. लेकिन दोनों के सपने पूरे नहीं हुए थे. रेखा बलवीर की जिंदगी की डोर से बंध गई थी.

यह बात घटना से करीब 4 साल पहले की है. रेखा का वही प्यार एक बार फिर से जवां हो गया. उस के तीनों बच्चे 10-12 साल के हो चुके थे. पति अकसर ड्यूटी पर घर से बाहर रहते थे. इस बीच रेखा घर पर अकेली रहती थी. इस अकेलेपन के दौरान वह रवि के साथ फोन पर चिपकी रहती थी.

कभीकभार बलवीर जब बच्चों का हालचाल लेने के लिए पत्नी को फोन लगाता तो वह अकसर व्यस्त मिलता था. यह देख कर बलवीर की त्यौरी चढ़ जाती थी कि आखिर दिन भर वह फोन पर किस से चिपकी रहती है.

35 वर्षीय रवि कुमार पनिका सीआरपीएफ का जवान था. वह रायपुर के जगदलपुर में तैनात था, शादीशुदा. उस के भी बालबच्चे थे. उस का परिवार उमरिया में रहता था. बीचबीच में छुट्टी मिलने पर वह घर जाता था.

रेखा रवि की पुरानी प्रेमिका थी. कालेज के दिनों में दोनों एकदूसरे से जुनूनी हद तक प्यार करते थे. उस समय तो दोनों एक नहीं हो सके थे लेकिन अब दोनों एक होने को लालायित थे.

जब से रेखा ने प्रेमी रवि को दिल से पुकारा था, रवि का दीवानापन हद से ज्यादा बढ़ गया था. रायपुर से नौकरी से छुट्टी ले कर रवि रेखा से मिलने उज्जैन स्थित उस के घर पहुंच जाता था. दोनों अपनी जिस्मानी आग ठंडी करते और फिर रवि रायपुर लौट जाता. रेखा प्रेमी रवि को घर तभी बुलाती थी जब उस के तीनों बच्चे स्कूल में होते थे और पति नौकरी पर.

रेखा की इस आशनाई का खेल सालों तक चलता रहा. अब रेखा पति को देख कर वैसा आनंदित नहीं होती थी, जैसे पहले हुआ करती थी. पहले की अपेक्षा रेखा के तेवर और रूपरंग में भी बदलाव आ गया था. उस के बदलेबदले तेवर और रूपरंग को देख कर बलवीर को उस पर शक गया.

ऊपर से हर समय उस के फोन का बिजी आना. ये उस के शक को और बढ़ावा दे रहा था. वह ठहरा एक पुलिस वाला, जिन की एक आंख में शक तो दूसरी आंख में यकीन होता है. ऐसे में रेखा पति की नजरों से कहां बचने वाली थी. एक दिन बलवीर ने पत्नी से पूछ ही लिया, ‘‘तुम्हारा फोन अक्सर बिजी क्यों रहता है. जब भी फोन लगाओ तुम किसी से बात करती मिलती हो, किस से बात करती रहती हो? कौन है वो?’’

पति का इतना पूछना था कि रेखा बिदक गई, ‘‘आप मुझ पर शक करते हो. मैं ऐसीवैसी औरत नहीं हूं जो पति की गैरमौजूदगी में यहांवहां मुंह मारती फिरूं.’’

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रेखा ने पति की आंखों के सामने ज्यामिति की ऐसी टेढ़ीमेढ़ी रेखा खींची कि उस की बोलती बंद कर दी.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

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