(सत्यकथा-सौजन्य)
सूरज सिर पर चढ़ जाने के बावजूद बलवीर सिंह चौहान सो कर नहीं उठे तो उन की पत्नी रेखा को चिंता हुई. दीवार पर टंगी घड़ी में उस समय सुबह के 9 बज चुके थे. अपनी दिनचर्या के मुताबिक, वह सुबह 6 बजते ही उठ जाते थे. 54 वर्षीय बलवीर सिंह चौहान सीआरपीएफ में हेडकांस्टेबल थे.
रेखा ने छत के फर्श पर दरी बिछा कर सो रहे पति को पहले तो आवाज दे कर जगाने की कोशिश की. लेकिन जब वह नहीं उठे तो उस ने पति को हिलाडुला कर उठाने की कोशिश की.
लेकिन बलवीर के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई तो रेखा समझ गई कि अब वह दुनिया में नहीं रहे. उन की मौत हो चुकी थी.
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पति के शव के पास बैठी रेखा जोरजोर से रोने लगी. मां के रोने की आवाज सुन कर उस के तीनों बच्चे दौडे़भागे छत पर पहुंचे. मां को रोते देख वे भी हकीकत समझ गए, इसलिए वे भी पिता की मौत पर रोने लगे.
अचानक बलवीर के घर में रोने की आवाज सुन कर पड़ोसी उन के घर पहुंचने लगे. लेकिन यह बात किसी के गले नहीं उतर रही थी कि चौहान साहब की अचानक मृत्यु कैसे हो गई.
जिस ने भी बलवीर सिंह की मौत की खबर सुनी, हैरान रह गया. रेखा ने फोन कर के पति की मौत की सूचना सीआरपीएफ के अधिकारियों को दे दी थी. हेडकांस्टेबल बलवीर की अचानक मौत की सूचना पा कर अधिकारी भी चकित रह गए. मामला संदिग्ध था, अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी.
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