पंजाब के जिला संगरूर के गांव लखोवाल निवासी शेर सिंह पहली अक्तूबर, 2017 को थाना भवानीगढ़ के अंतर्गत पड़ने वाली पुलिस चौकी पहुंचे. उन्होंने चौकीइंचार्ज एएसआई गुरमीत सिंह को एक लिखित तहरीर देते हुए कहा कि मैं कल सुबह अपने बेटे यादविंदर के साथ अपने खेतों पर काम करने के लिए गया था. खेतों के नजदीक ही एक प्लाईवुड फैक्ट्री थी. कुछ देर बाद उसी फैक्ट्री में काम करने वाले शिवकुमार और राम नरेश हमारे पास खेत पर आ गए.

शिवकुमार और रामनरेश दिन भर खेतों पर साथ ही रहे. रात करीब 9 बजे मैं ने और मेरे बेटे ने उन दोनों को अपनी मोटरसाइकिलों से प्लाईवुड फैक्ट्री छोड़ दिया. उन्हें छोड़ कर मैं अपने बेटे के साथ घर की ओर लौट रहा था तभी कोई ट्रक बेटे की मोटरसाइकिल में पीछे से टक्कर मार कर भाग गया. उस समय रात के यही कोई साढ़े 9 बज रहे थे, इसलिए मैं ट्रक का नंबर भी नहीं देख पाया.

यादविंदर खून से लथपथ सड़क पर पड़ा तड़पने लगा. फोन करने के बाद जब अस्पताल की एंबुलेंस वहां पहुंची तो उसे नाभा अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. यादविंदर के पास उस समय एक मोबाइल फोन था. वह मौके पर ही कहीं खो गया. शेर सिंह ने उस अज्ञात ट्रक चालक के खिलाफ कानूनी काररवाई किए जाने की मांग की.

शेर सिंह की इस सूचना पर चौकीइंचार्ज गुरमीत सिंह ने भादंसं की धारा 279, 304ए के तहत अज्ञात ट्रक चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर काररवाई शुरू कर दी. पुलिस ने काफी कोशिश की, लेकिन घटना के 3-4 महीने बाद भी वह उस ट्रक चालक को नहीं ढूंढ पाई. लिहाजा इस केस की जांच वहां से सीआईए के इंचार्ज इंसपेक्टर विजय कुमार को ट्रांसफर कर दी गई.

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