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(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

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अपने सामने पुलिस देख वह चौंका तो लेकिन डरा नहीं. उस ने पास में छिपा कर रखा हथियार निकालने की कोशिश की तो टीआई ने उसे कब्जे में ले लिया. सलमा भी यहीं थी. पुलिस ने उसे भी हिरासत में ले लिया. बफाती की तलाशी ली गई तो उस के पास 315 बोर का देशी कट्टा और 6 जिंदा कारतूस बरामद हुए. पुलिस उसे गिरफ्तार कर थाने ले आई.

थाने ला कर टीआई वीरेंद्र सिंह ने बफाती से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने आशिक की हत्या करने की बात कबूल कर ली. बफाती ने यह भी बताया कि आशिक अली ने सलमा के मामले में उस की मुखबिरी सलमा के मातापिता से की थी. इसी वजह से उस ने उस का कत्ल कर दिया. बफाती के एक नामी पहलवान से कातिल बनने की कहानी इस प्रकार सामने आई.

बफाती मूलरूप से छतरपुर जिले के लवकुश नगर कस्बे का रहने वाला था. मजबूत कदकाठी का होने के कारण उसे छोटी सी उम्र में ही पहलवानी का शौक लग गया था. कहते हैं कि 16 साल की उम्र में आतेआते वह पहलवानी में इतना माहिर हो गया कि अपने से डेढ़ गुना बड़ी उम्र के पहलवान को पलक झपकते धूल चटा देता था. इस से जल्द ही पूरे जिले में उस के नाम की तूती बोलने लगी. लंगोट कस कर बफाती अखाड़े में उतरता तो लोग तालियों और शोरशराबे से उस का स्वागत करते थे.

लेकिन वह पहलवानी के दांवपेंच में जितना पक्का था, लंगोट का उतना ही कच्चा. उस के संबंध कई कमसिन उम्र की लड़कियों से थे. गांव में एक तो ऐसे मामले खुल कर सामने नहीं आ पाते, दूसरे किसी को भनक लगती तो वह उस की पहलवानी की ताकत के डर से मुंह नहीं खोलता था. इस से कुछ समय बाद बफाती को अपनी ताकत पर घमंड हो गया.

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धीरेधीरे बफाती का डंका पूरे इलाके में बजने लगा तो कुछ राजनीतिक लोग बाहुबल के लिए बफाती का इस्तेमाल करने लगे. जिस का फायदा उठा कर वह गैरकानूनी कामों से पैसा बनाने लगा. फिर जल्द ही वह इलाके में अवैध शराब के कारोबार का सरगना बन गया. ऐसे में दूसरे बदमाशों से उस का टकराव हुआ भी तो बफाती ने अपने बाहुबल पर सब को किनारे लगा दिया.

किसी के साथ भी मारपीट करना उस के लिए आम बात हो गई थी, जिस के चलते धीरेधीरे बफाती के खिलाफ लवकुश नगर थाने में दर्ज मामलों की गिनती बढ़ने लगी. साथ ही उस के अपराध भी गंभीर होते गए.

बफाती के आपराधिक रिकौर्ड के कारण मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले उसे छतरपुर से जिलाबदर कर दिया गया. इस के बाद वह पास ही उत्तर प्रदेश के मुसलिम बाहुल्य महोबा शहर में जा कर वहां की कांशीराम कालोनी में किराए पर रहने लगा.

नाबालिग लड़कियों का शौकीन था बफाती

महोबा के बफाती के घर के ठीक सामने 14 वर्षीय सलमा खातून अपने मातापिता के साथ रहती थी. बफाती कमसिन उम्र की लड़कियों को अपने जाल में फांसने में एक्सपर्ट था. खूबसूरत सलमा को देख कर वह उस का दीवाना हो गया. सलमा के मातापिता गरीब थे और बफाती के पास अवैध कमाई की दौलत थी. उस ने सलमा के पिता मकबूल हुसैन को दूल्हाभाई कहते हुए सलमा का मामू बन कर उस के घर में पैठ बना ली.

इस दौरान वह सलमा खातून के घर पर काफी पैसा लुटाते हुए उस पर डोरे डालता रहा, जिस से सलमा जल्द ही उस के जाल में फंस गई. इस के बाद वह जबतब उस के घर जाने लगा. मौका मिलने पर वह सलमा को अपने कमरे पर भी बुला लेता. फिर एक दिन वह उसे ले कर महोबा से फरार हो गया.

सलमा के लापता हो जाने से मोहल्ले में हल्ला मच गया. रिपोर्ट हुई तो पुलिस ने मोहल्ले के कई लड़कों को शक के आधार पर कई दिनों तक थाने में बैठाए रखा. सलमा खातून को बफाती ले कर भागा है, यह बात काफी दिनों बाद लोगों की समझ में आई.

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इधर सलमा खातून को ले कर बफाती सीधे पन्ना के धरमपुर में रहने वाले आशिक अली के पास पहुंचा. आशिक खुद भी जिलाबदर होने के कारण धरमपुर में रह रहा था. बफाती से उस की पुरानी दोस्ती थी, इसलिए उस ने उसे अपने घर में शरण दे दी.

धरमपुर मुसलिम बाहुल्य कस्बा है, जिस से वहां के लोगों ने जिस तरह कभी आशिक को हाथोंहाथ लिया था, वैसे ही बफाती की भी मदद की. दरअसल वे सलमा खातून को बफाती की बेटी समझे थे. लेकिन जब उन्होंने सलमा के साथ उस की हरकतें देखीं तो उन्हें बफाती संदिग्ध लगा.

गांव में सलमा खातून की उम्र की कई लड़कियां थीं, जिन से उस की दोस्ती भी हो गई थी. गांव वालों को लगा कि अपने बाप की उम्र के मर्द के साथ रखैल के रूप में रहने वाली सलमा की संगत का असर उन के बच्चों पर भी हो सकता है, इसलिए उन्होंने अपनी बेटियों के उस से मिलने पर पाबंदी लगा दी.

चूंकि आशिक ने बफाती को शरण दी थी, इसलिए गांव वाले इस स्थिति के लिए आशिक को दोषी मानने लगे. उन्होंने इस की शिकायत आशिक से की. उन्होंने कहा कि वह अपने इस दोस्त को यहां से रवाना करे.

दोस्त बना दुश्मन

आशिक खुद भी बफाती की इस हरकत से परेशान था. क्योंकि वह कभी भी कहीं भी सलमा के साथ अय्याशी करने लगता था. इस के लिए वह किसी की शर्मलिहाज नहीं करता था. हालांकि बफाती के आने से आशिक को कई फायदे हुए थे. उस के मजबूत कसरती बदन के कारण लोग आशिक अली से भी डरने लगे थे.

फिर भी आशिक अली को उस का सलमा के साथ रहना अखरने लगा था. उस ने इस बात का बफाती से सीधे विरोध करने के बजाय दूसरा रास्ता निकाला. सलमा खातून आशिक को मामू कहती थी, इस बात का फायदा उठा कर उस ने धीरेधीरे सलमा से उस के घर का पता पूछ लिया. साथ ही उस ने बफाती के कुछ पुराने कर्मों की जानकारी भी सलमा को दी ताकि वह बफाती से नफरत करने लगे.

यह जानने के बाद आशिक ने अपने महोबा  के एक दोस्त द्वारा सलमा खातून के धरमपुर में होने की जानकारी उस के मातापिता को भिजवा दी. खबर पा कर कुछ रोज पहले महोबा पुलिस का एक सिपाही धरमपुर आ कर सलमा खातून से पूछताछ करने लगा.

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इस बात की जानकारी मिलने पर बफाती चौंका. क्योंकि सलमा कहां की रहने वाली है, यह बात उस ने आशिक को भी नहीं बताई थी. इसलिए उस ने खुद सलमा से गुप्त तरीके से जानकारी ली, जिस में उस ने बता दिया कि आशिक मामू ने उस से पूछा था इसलिए उस ने बता दिया कि वह महोबा के कांशीराम कालोनी की रहने वाली है.

यहीं से बफाती को शक हो गया कि आशिक ने ही उस की मुखबिरी की है. संयोग से इसी बीच सलमा ने बफाती से पहले उस की प्रेमिका रही एक दूसरी नाबालिग लड़की के बारे में पूछा तो बफाती को पूरा भरोसा हो गया कि आशिक उसे डबलक्रौस कर रहा है.

बफाती ने दुश्मन को माफ करना सीखा ही नहीं था. इसलिए सलमा को अपनी रखैल बनाए रखने के लिए उस ने धरमपुर छोड़ने के साथसाथ आशिक को भी ठिकाने लगाने की ठान ली.

इस काम को अंजाम देने के लिए बफाती ने आशिक को जरा भी शक नहीं होने दिया कि उस ने उसे सबक सिखाने के लिए क्या योजना बना रखी है. 11 अगस्त, 2019 को उस ने आशिक से कहा कि महोबा पुलिस को मेरी जानकारी लग चुकी है, इसलिए अब इस गांव में रहना ठीक नहीं है. उस ने गांव छोड़ने की बात कहते हुए दोस्ती के नाते आशिक को भी साथ चलने को कहा.

बफाती के गांव से जाने की बात सुन कर आशिक खुश हो गया. लेकिन बफाती अपना इरादा न बदल दे, इसलिए उस के साथ गांव छोड़ने को राजी भी हो गया. उस का विचार था कि बफाती कहीं और जम जाएगा तो वह खुद धरपुर वापस आ जाएगा, लेकिन बफाती ने कुछ और ही सोच रखा था. 11 अगस्त को सुबह लगभग 4-5 बजे बफाती अपनी बाइक पर सलमा और आशिक को ले कर गांव से निकल पड़ा.

लगभग एक घंटे के बाद बसंतपुर तिगेला आ कर बफाती ने गुटखा खाने के बहाने बाइक रोक दी, जिस के बाद बाइक से नीचे उतरते ही कमर में खोंस कर रखे देशी कट्टे से आशिक के ऊपर एक के बाद एक 3 गोलियां दागीं, जिस से उस की मौत हो गई. उस की लाश को वहीं पड़ा छोड़ कर वह सलमा के साथ पन्ना के छानी गांव में रहने वाले अपने दोस्त अल्ताफ के पास चला गया.

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पुलिस ने बफाती की मदद करने के आरोप में अल्ताफ के खिलाफ भी भादंवि की धारा 212 एवं 216 के तहत काररवाई की. पुलिस ने बफाती से पूछताछ के बाद उसे व उस के दोस्त अल्ताफ को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखने तक महोबा पुलिस भी बलात्कार, अपहरण एवं पोक्सो एक्ट के तहत बफाती को अदालत से रिमांड पर ले कर महोबा ले जाने की काररवाई कर रही थी. – कथा में सलमा खातून परिवर्तित नाम है

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