भारतीय करेंसी के बड़े नोटों को 8 नवंबर, 2016 को एकाएक बंद कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नकली नोटों के कारोबारियों को करारी चोट पहुंचाई थी. ये कारोबारी एक सुनियोजित तरीके से भारतीय अर्थव्यवस्था को खोखला करने की कोशिश में लगे थे. 500 और 1000 के नोट बंद करने के बाद भले ही कुछ दिनों के लिए बाजार में नकली नोट आने बंद हो गए थे. लेकिन स्थिति आज भी पूरी तरह बदली नहीं है.

कुछ जालसाजों ने तो नोट छापने की मशीन बेचने के बहाने लोगों को ठगना शुरू कर दिया है. भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी बपौती समझने वाले कुछ ऐसे गिरोह हैं, जो पुलिस प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर 5 सौ और 2 हजार रुपए के नकली नोट छाप रहे हैं और लोगों को रुपए तिगुना करने का लालच दे कर ठग रहे हैं.

असम के उत्तर लखीमपुर जिले के अंतर्गत कई गांव ऐसे हैं, जहां के अधिकांश लोग इस जालसाजी के धंधे में लगे हैं. एक दिन में अमीर बनने के लालच में लोग वहां अपनी गाढ़ी कमाई लुटाने चले जाते हैं.

आइए जानें, इस गांव के लोग आखिर नोट छापने और नोटों को दोगुना करने का धंधा किस तरह करते हैं.

असम के उत्तर लखीमपुर के एक गांव का रहने वाला है नजरूल काका नूर मोहम्मद उर्फ राहुल. उस का कहना है कि उसे भारतीय रिजर्व बैंक, दिल्ली की ओर से यह अनुमति मिली हुई है कि अगर कोई व्यक्ति उसे 37 लाख रुपए देता है तो वह नोट छापने वाली मशीन से 10 मिनट में एक करोड़ 15 लाख रुपए छाप कर उसे दे सकता है.

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