9 जुलाई, 2018 की सुबह उत्तर प्रदेश की बागपत जेल में 2 बदमाश मुन्ना बजरंगी और सुनील राठी साथ बैठ कर चाय पी रहे थे. अचानक दोनों के बीच बातचीत का सुर बदल गया और जेल परिसर गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज गया. मुन्ना बजरंगी का शव जमीन पर पड़ा था. जेलर और बाकी स्टाफ वाले हक्केबक्के खड़े थे.
मुन्ना बजरंगी की हत्या से यह साफ हो गया कि जेलों में सबकुछ हो सकता है. सिक्योरिटी के कड़े इंतजाम होने के बाद भी जेल में पिस्तौल पहुंच गई.
मुन्ना बजरंगी की हत्या ने उत्तर प्रदेश में भाजपा की योगी सरकार की पोल खोल कर रख दी. अपराध जगत के जानकार कहते हैं कि मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत कई दूसरे नेताओं की हत्या की थी, जिस की वजह से साजिशन उसे जेल में मार दिया गया.
मुन्ना बंजरगी की हत्या करने वाला सनील राठी उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली में दहशत की बड़ी वजह था. बागपत जिले के टीकरी गांव का रहने वाला सुनील राठी दोघट थाने का हिस्ट्रीशीटर अपराधी था.
18 साल पहले सुनील राठी तब चर्चा में आया था जब उस के पिता नरेश राठी की बड़ौत के पास हत्या कर दी गई थी. इस के बाद सुनील राठी ने महक सिंह और मोहकम सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी थी. इस आरोप में सुनील राठी को उम्रकैद की सजा हुई थी.
सुनील राठी पहले हरिद्वार जेल में था. जनवरी, 2017 में वह बागपत जेल में आया था. वह जेल से ही अपना गिरोह चला रहा था.
इस हत्या की गूंज राजधानी लखनऊ तक पहुंच गई. उत्तर प्रदेश सरकार ने आननफानन जेलर उदय प्रताप सिंह, डिप्टी जेलर शिवाजी यादव, हैड वार्डन अरजिंदर सिंह, वार्डन माधव कुमार को सस्पैंड कर दिया. जांच के लिए ज्यूडिशियल इनक्वायरी भी बनाई गई.
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