—नितिन कुमार शर्मा  

उत्तर प्रदेश का एक जिला है सोनभद्र. इसी जिले के विंढमगंज थाना क्षेत्र के फुलवार गांव में रहते थे ज्वाला प्रसाद श्रीवास्तव. वह स्वास्थ्य विभाग से मलेरिया सुपरवाइजर के पद से सेवानिवृत्त हो चुके थे. उन के 3 बेटे थे रामेंद्र, रविंद्र और राजीव उर्फ पवन.

कुछ साल पहले ज्वाला प्रसाद ने सोनभद्र के ही दुद्धी कस्बा थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर 6 में तीनमंजिला मकान बनवाया था. उस में उन के 2 बेटे रामेंद्र और राजीव रहते थे.

रविंद्र रेनूकूट में रह कर काम करता था, इसलिए पत्नी व बच्चों के साथ वहीं रहता था. ज्वाला प्रसाद खुद गांव में रहते थे. पिछले साल कोरोना काल में उन के बड़े बेटे रामेंद्र की मौत हो गई, जिस से ज्वाला प्रसाद टूट गए. इस के बाद वह ऐसे बीमार हुए कि उन्होंने चारपाई ही पकड़ ली.

उन का छोटा बेटा 32 वर्षीय राजीव दिव्यांग था. वह एक पैर से कमजोर था. उस का विवाह ममता नाम की युवती से हुआ था. उस के 2 बेटे थे एक 4 वर्ष का तो दूसरा 2 साल का. राजीव बेरोजगार था.

3 फरवरी, 2022 की सुबह 4 बजे ममता अचानक चीखनेचिल्लाने लगी. उस के चीखने की आवाज सुन कर उसी मकान में रह रहे रामेंद्र का परिवार और आसपास के लोग वहां आ गए.

ममता जहां चीखचिल्ला रही थी, वहीं उस के पति राजीव की लाश पड़ी हुई थी. घटना के बारे में पूछने पर ममता ने बताया कि रात में 3 नकाबपोश बदमाश घर में घुस आए, उसे और राजीव को मारापीटा. उस के पति की हत्या करने के बाद वे वहां से फरार हो गए.

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