लेखक- निखिल अग्रवाल

21मार्च, 2019 की बात है. उस दिन होली थी. होलिका दहन के अगले दिन रंग गुलाल से खेले जाने वाले त्यौहार का आमतौर पर दोपहर तक ही धूमधड़ाका रहता है. दोपहर में रंगेपुते लोग नहाधो कर अपने चेहरों से रंग उतारते हैं. फिर अपने कामों में लग जाते हैं. कई जगह शाम के समय लोग अपने परिचितों और रिश्तेदारों से मिलने भी जाते हैं. भीलवाड़ा के पाटील नगर का रहने वाला शिवदत्त शर्मा भी होली की शाम अपने दोस्त राजेश त्रिपाठी से मिलने के लिए अपनी वेरना कार से बापूनगर के लिए निकला था. शिवदत्त ने जाते समय पत्नी शर्मीला से कहा था कि वह रात तक घर आ जाएगा. थोड़ी देर हो जाए तो चिंता मत करना.

शिवदत्त जब देर रात तक नहीं लौटा तो शर्मीला को चिंता हुई. रात करीब 10 बजे शर्मीला ने पति के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन मोबाइल स्विच्ड औफ मिला. इस के बाद शर्मीला घरेलू कामों में लग गई. उस के सारे काम निबट गए, लेकिन शिवदत्त घर नहीं आया था. शर्मीला ने दोबारा पति के मोबाइल पर फोन किया. लेकिन इस बार भी उस का फोन स्विच्ड औफ ही मिला. उसे लगा कि शायद पति के मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई होगी, इसलिए स्विच्ड औफ आ रहा है.

शर्मीला बिस्तर पर लेट कर पति का इंतजार करने लगी. धीरेधीरे रात के 12 बज गए, लेकिन शिवदत्त घर नहीं आया. इस से शर्मीला को चिंता होने लगी. वह पति के दोस्त राजेश त्रिपाठी को फोन करने के लिए नंबर ढूंढने लगी, लेकिन त्रिपाठीजी का नंबर भी नहीं मिला.

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