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16 जनवरी, 2020. हाड़ कंपा देने वाले कोहरे में डूबी ठंडी सुबह के 7 बजे थे. उसी दौरान टीकमगढ़ जिले के बम्हौरीकलां थाने की सीमा में बम्हौरीकलां जतारा रोड पर बामना तिगेला के पास गुजर रहे लोगों ने एक बंद बोरा पड़ा देखा. उस पर मक्खियां भिनभिना रही थीं. जिस से लोगों को शक हुआ कि बोरे में जरूर कोई संदिग्ध चीज है, इसलिए किसी ने यह सूचना फोन द्वारा बम्हौरीकलां थाने में दे दी.

सूचना मिलने के बाद थानाप्रभारी वीरेंद्र सिंह पंवार घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने जब उस बोरे को खुलवाया तो उस में 22-24 वर्षीय युवक की लाश मिली. मृतका के सिर और आंखों पर गहरी चोट के निशान थे. थानाप्रभारी ने लाश मिलने की जानकारी एसडीपीओ प्रदीप सिंह राणावत और एसपी अनुराग सुजानिया को दे दी.

कुछ ही देर में एसडीपीओ राणावत फोरैंसिक टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. फोरैंसिक टीम ने जांच के बाद बताया कि मृतक की हत्या करीब 30-32 घंटे पहले हुई होगी.

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कड़ाके की ठंड होने के बाद भी वहां तमाम लोगों की भीड़ जमा थी. पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से शव की शिनाख्त कराने की कवायद शुरू कर दी. लेकिन शव की पहचान कोई नहीं कर सका. संयोग से उसी समय पास के गांच पचौरा का रहने वाला एक व्यक्ति किशोरीलाल वहां पहुंचा. उस के साथ उस का बेटा नारायण सिंह और जागीरदार राजेंद्र सिंह राठौर भी थे.

दरअसल, उस से 2 दिन पहले किशोरीलाल का बेटा जयकुमार गायब हो गया था. वह अपने बेटे की रिपोर्ट दर्ज करवाने थाने जा रहा था, तभी उसे बामना तिगेला पर अज्ञात युवक का शव मिलने की खबर मिली तो वह मौके पर पहुंच गया. वहां मिली लाश की पहचान उस ने अपने बेटे जयकुमार के रूप में कर दी.

मृतक के पिता ने पुलिस को बताया कि जयकुमार पहले गांव के जागीरदार राजेंद्र सिंह राठौर के यहां ट्रैक्टर चलाने का काम करता था. लेकिन कुछ दिनों से उस ने वहां काम छोड़ कर ट्रक चलाना शुरू कर दिया था.

पुलिस के पूछने पर किशोरीलाल ने बताया कि जयकुमार की किसी से कोई रंजिश थी या नहीं, इस की जानकारी उसे नहीं है. मौके की जरूरी काररवाई करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. अगले दिन पुलिस को जयकुमार की जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली, उस से साफ हो गया कि मृतक के सिर, चेहरे और पसली पर किसी भारी चीज से वार किए गए थे. जिस से उस की मौत हो गई. एसपी ने इस हत्याकांड को सुलझाने के लिए एसडीपीओ प्रदीप सिंह राणावत के निर्देशन में थानाप्रभारी बम्होरीकलां वीरेंद्र सिंह पंवार, चौकीप्रभारी कनेरा एसआई रश्मि जैन और उन के स्टाफ की 3 टीमें गठित करने के निर्देश दिए.

इस टीम ने मृतक का मोबाइल नंबर ले कर उस की काल डिटेल्स निकलवाई. इस में पुलिस को 2 ऐसे नंबर मिले, जिन से मृतक की कई बार काफी देर तक बातें हुआ करती थीं. यही नहीं घटना से पहले भी दोनों नंबरों से मृतक की बात होने का पता चला. घटना के बाद से ही ये दोनों नंबर बंद थे.

इस से थानाप्रभारी पंवार समझ गए कि हत्या का संबंध किसी न किसी तरह से इन दोनों नंबरों से है. मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स से एक और खास बात सामने आई कि मृतक के गांव की कई लड़कियों से दोस्ती थी. उन से उस की फोन पर बातें हुआ करती थीं. इसलिए पुलिस ने इस हत्याकांड की जांच अवैध संबंध के एंगल से भी करनी शुरू कर दी थी.

पुलिस मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स से शक के घेरे में आए फोन नंबरों की जांच में जुट गई. इस के अलावा जिस जगह लाश मिली थी, उस तरफ जाने वाले रास्तों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज भी खंगाले गए. पुलिस ने इस रास्ते में काम करने वाले किसानों से पूछताछ कर सबूत जुटाने की कोशिश की.

इस दौरान पचौरा गांव का एक बड़ा किसान राजेंद्र सिंह, जयकुमार की हत्या के संबंध में लगातार पुलिस से संपर्क बनाए हुए था. राजेंद्र सिंह, जयकुमार की हत्या के बारे में आए दिन नईनई थ्यौरी भी पुलिस के दिमाग में बैठाने की कोशिश कर रहा था. उस की यह कवायद देख कर थानाप्रभारी पंवार को राजेंद्र पर ही शक होने लगा.

थानाप्रभारी ने अपने शक के बारे में एसडीपीओ राणावत से चर्चा की, उन की सहमति से पंवार ने पचौरा गांव में अपने मुखबिर मृतक जयराम कुमार और जागीरदार राजेंद्र सिंह के परिवार के संबंधों की जानकारी जुटाने में लगा दिए.

इस का परिणाम यह निकला कि मुखबिरों ने थानाप्रभारी को यह खबर दी कि गांव में राजेंद्र की नाबालिग बेटी संध्या (परिवर्तित नाम) के साथ मृतक के नाम की चर्चा आम है. दूसरा यह कि नौकर का नाम बहन के साथ आने पर कुछ दिन पहले राजेंद्र के बेटे धनेंद्र और मृतक जयकुमार में विवाद भी हुआ था. जिस के बाद राजेंद्र ने जयकुमार को नौकरी से निकाल दिया था.

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यह बात साफ हो जाने पर पुलिस ने धनेंद्र और राजेंद्र के मोबाइल की लोकेशन निकलवाई जिस में पता चला कि जिस दिन जिस जगह पर जयकुमार की लाश मिली थी, धनेंद्र, उस के पिता और चाचा गजेंद्र के मोबाइल फोन की लोकेशन उसी जगह पर थी. इस आधार पर एसपी के निर्देश पर बम्हौरीकलां पुलिस ने धनेंद्र राजेंद्र और नाबालिग बेटी संध्या को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया.

पूछताछ में धनेंद्र और राजेंद्र पहले तो पुलिस को बरगलाने की कोशिश करते रहे लेकिन जब पुलिस ने जुटाए गए सबूत उन के सामने रखे तो उन्होंने संध्या से इश्क के चक्कर में जयकुमार की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. उन के बयानों के आधार पर पुलिस की एक टीम धनेंद्र के चाचा गजेंद्र की गिरफ्तारी के लिए गांव पहुंची तो वह घर से फरार मिला. लेकिन पुलिस ने घेराबंदी कर अगने दिन ही चंदेरा तिगला के पास से उसे गिरफ्तार कर लिया.

हत्या की रात जयकुमार के पास 2 मोबाइल थे, क्योंकि वह उस रात अपनी भाभी का मोबाइल भी ले गया था. ये दोनों मोबाइल देवेंद्र ने कुंचेरा बांध में फेंक दिए थे, जहां से पुलिस ने दोनों मोबाइल बरामद कर लिए. इस के अलावा वह कार भी बरामद कर ली, जयकुमार की लाश फेंकने में जिस का इस्तेमाल किया गया था. इस के बाद मालिक की बेटी के संग इश्क की कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

पंचैरा गांव के जागीरदार कहे जाने वाले राजेंद्र की बेटी संध्या की खूबसूरती आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बनी हुई थी.

बुंदेलखंड के ठाकुर परिवार में जन्मी संध्या के चेहरे पर बिखरा राजपूती खून उस की सुदंरता पर चारचांद लगाने लगा था. इसलिए संध्या गांव के हर युवा के दिल की धड़कन बनी हुई थी. लेकिन उस के पिता राजेंद्र सिंह और चाचा गजेंद्र सिंह के रुतबे के कारण कोई भी युवक उसे आंख उठा कर देखने की हिम्मत नहीं कर पाता था.

इस गांव में रहने वाले किशोरीलाल अहीरवार का बेटा जयकुमार काम की तलाश में था सो उस ने गांव के रईस ठाकुर राजेंद्र सिंह से नौकरी की याचना की तो उन्होंने उसे अपने ट्रैक्टर ड्राइवर की नौकरी पर रख लिया. उस समय जयकुमार 18 वर्ष का था जबकि संध्या 14 वर्ष के आसपास की थी.

घर परिवार की इज्जत के लिए हर एक कदम फूंकफूंक कर रखने वाले राजेंद्र यहीं धोखा खा गए. क्योंकि उन्हें यह तो पता था कि जयकुमार ट्रैक्टर चलाना जानता है. लेकिन इस बात की जानकारी नहीं थी कि 18 साल का यह लड़का उतनी लड़कियों के साथ खेल चुका है, जितनी उस की उम्र भी नहीं थी.

जयकुमार भी दूसरों की तरह संध्या की खूबसूरती का कायल था. इसलिए उस ने पहले दिन ही सोच लिया था कि अगर मौका लगा तो संध्या की खूबसूरती पर कब्जा कर के ही मानेगा. इसलिए उस ने काम शुरू करने के साथ संध्या को हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी, जिस के चलते उस ने संध्या को छोटी ठकुराइन कह कर बुलाना शुरू कर दिया.

वास्तव में उस ने संध्या के लिए यह संबोधन काफी सोचसमझ कर चुना था. क्योंकि वह जानता था कि उसे इस नाम से बुला कर वह संध्या की नजर में खास बन जाएगा.

हुआ भी यही. जब उस ने संध्या को पहली बार छोटी ठकुराइन कह कर बुलाया तो संध्या चौंकी ही नहीं बल्कि उस के मन में छोटी ठकुराइन होने का अहसास शहद की मिठास की तरह घुल गया. घर का यही नौकर जयकुमार उसे खास लगने लगा. इसलिए उस के मुंह से बारबार छोटी ठकुराइन शब्द सुनने के लिए अकसर उस के आसपास मंडराने लगी.

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जयकुमार इश्क का पुराना खिलाड़ी था. उसे लड़कियों का चेहरा देख कर उन के मन की बात जानने की महारत हासिल थी. इसलिए वह जल्द ही समझ गया कि संध्या उस के पीछे क्यों घूमती रहती है.

ठाकुर परिवार में कडे़ नियम होने की वजह से बाहरी लोगों का घर के भीतर तक आनाजाना आसान नहीं था. ऐसे में संध्या के दिल में उठने वाली तरंगों को छेड़ने वाला जयकुमार के अलावा दूसरा कोई और नहीं था. क्योंकि काम के सिलसिले में उसे घर में आनेजाने की कोई रोक नहीं थी.

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