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पवन उर्फ मुरारी जिस वक्त कन्नौज कोतवाली पहुंचा, तब रात के 3 बज रहे थे. एसएसआई आर.पी. सिंह रात की ड्यूटी पर थे. पवन उन के सामने जा पहुंचा और बोला, ‘‘साहब, मैं डबल मर्डर कर के आया हूं. मुझे गिरफ्तार कर लो.’’

‘‘डबल मर्डर?’’ सिंह चौंके, ‘‘कौन हो तुम? किस का खून किया है?’’

‘‘साहब, मेरा नाम पवन है. मैं कलेक्ट्रेट के पीछे हौदापुरवा मोहल्ले में रहता हूं. मैं ने अपनी पत्नी सविता और सास कलावती का खून किया है. दोनों की लाशें घर के बाहर पड़ी हैं.’’

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‘‘तुम यह सब नशे में तो नहीं बक रहे हो?’’ आर.पी. सिंह ने उस से पूछा. ‘‘साहब, हंसिया साथ लाया हूं. मैं ने उन्हें इसी से मारा डाला. देखो, मेरा हाथ और चेहरा भी खून से रंगा है.’’ पवन ने खून सना हंसिया फर्श पर रखते हुए कहा.

अब शक की कोई गुंजाइश नहीं थी. उन्होंने 2 सिपाहियों को बुला कर पवन को हिरासत में ले लिया और आलाकत्ल हंसिया सुरक्षित कर लिया.

इस के बाद एसएसआई ने यह सूचना कोतवाल विकास राय को दी. राय नाइट गश्त से आधा घंटा पहले ही लौटे थे.

थानाप्रभारी विकास राय ने डबल मर्डर का जुर्म कबूल करने वाले पवन उर्फ मुरारी से पूछताछ की फिर वरिष्ठ अधिकारियों को घटना से अवगत कराया और पुलिस टीम ले कर घटनास्थल हौदापुरवा मोहल्ले पहुंच गए.

उस समय वहां भीड़ जुटी थी और कोहराम मचा था. राय ने रोपीट रही महिलाओं को वहां से हटाया, फिर निरीक्षण में जुट गए. घटनास्थल का दृश्य बड़ा ही भयावह था. सविता और कलावती की खून से लथपथ लाशें घर के बाहर पड़ी थीं.

उन की गरदन, पीठ और पेट पर गहरे घाव थे. दोनों की हत्या छत पर की गई थी और लाशों को दूसरी मंजिल से नीचे फेंका गया था. सविता की उम्र 24 साल के आसपास थी, जबकि उस की मां कलावती 50 वर्ष उम्र पार कर चुकी थी.

यह बात 21 अगस्त, 2020 की है. भोर का उजाला फैल चुका था और पवन द्वारा अपनी पत्नी और सास की हत्या की खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई थी.

सूचना पा कर मृतका सविता के भाई गोविंद, सोहनलाल तथा पिता जगत राम भी आ गए थे. थानाप्रभारी विकास राय अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह तथा सीओ (सिटी) शेषमणि उपाध्याय भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी घटनास्थल पर बुलवा लिया.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. वे उस छत पर भी गए, जहां मांबेटी की हत्या कर उन्हें नीचे फेंका गया था. फोरैंसिक टीम ने जांच कर हत्या से जुड़े साक्ष्य जुटाए.

घटनास्थल पर हत्यारोपी पवन उर्फ मुरारी की मां दयावती तथा भाभी रोमी मौजूद थीं. पुलिस अधिकारियों ने उन से पूछताछ की तो रोमी ने बताया कि सविता और उस के पति पवन के बीच किसी बात को ले कर पिछले 2 दिनों से झगड़ा हो रहा था.

कल दोपहर सविता की मां कलावती आ गई थी. उस के बाद झगड़ा और बढ़ गया था. पवन को सास का आना और उन दोनों के झगड़े में हस्तक्षेप करना नागवार लगा. झगड़े के बाद मांबेटी पवन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने थाने भी गई थीं, पर उन की रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी.

थाने से लौटने के बाद सविता का पवन से फिर झगड़ा हुआ. झगड़े में कलावती फिर से कूद पड़ी और बेटी का पक्ष ले कर पवन को भलाबुरा कहने लगी. चूंकि पतिपत्नी का झगड़ा आम बात थी, इसलिए हम लोग हस्तक्षेप नहीं करते थे.

रात 2 बजे चीखपुकार मची तो हम लोगों की नींद खुल गई. उसी दौरान छत से कोई चीज गिरने की आवाज आई. देखा तो सविता और कलावती की लाशें घर के बाहर पड़ी थीं. वे दोनों डर की वजह से छत से कूदीं या फिर पवन ने ढकेला, इस बारे में कुछ नहीं पता. मौकाएवारदात पर मृतका सविता का भाई गोविंद तथा पिता जगतराम भी मौजूद थे.

सीओ शेषनारायण उपाध्याय ने उन से घटना के संबंध में पूछताछ की तो गोविंद ने बताया कि उस का बहनोई पवन बहन को प्रताडि़त करता था. उसे सविता के चरित्र पर शक था. उस के पिता ने 10 लाख रुपए में 10 बीघा जमीन बेची थी. उन पैसों से खूब धूमधाम से सविता की शादी की थी.

इस के बाद भी उस का पेट नहीं भरा. वह सविता पर मायके से रुपए लाने का दबाव डालता था. बात न मानने पर उसे मारतापीटता और झगड़ा करता था. झगड़ा निपटाने में मां को हस्तक्षेप करना पड़ता था, जिस से वह मां से भी खुन्नस खाता था. इसी खुन्नस में पवन ने मां और बहन की हत्या कर दी.

पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतका सविता तथा कलावती के शव पोस्टमार्टम के लिए कन्नौज के जिला अस्पताल भिजवा दिए. साथ ही सुरक्षा के तौर पर आरोपी के घर पुलिस का पहरा बिठा दिया.

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शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने के बाद पुलिस अधिकारी थाना कोतवाली पहुंचे कातिल पवन पहले ही आत्मसमर्पण कर चुका था. पुलिस अधिकारियों ने उस से पूछा, ‘‘तुम ने अपनी पत्नी व सास की हत्या क्यों की?’’

‘‘साहब, उन दोनों ने मेरी जिंदगी में जहर घोल रखा था. जिस से मेरा जीना तक मुहाल हो गया था. रोजरोज की टेंशन से परेशान हो कर मुझे यह करने के लिए मजबूर होना पड़ा.’’

चूंकि पवन अपना जुर्म कबूल चुका था, अत: थानाप्रभारी विकास राय ने मृतका सविता के भाई गोविंद को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत पवन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. पवन को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया.

पवन से की गई पूछताछ और पुलिस जांच में डबल मर्डर की जो कहानी प्रकाश में आई, वह घर की कलह व अवैध संबंधों पर आधारित निकली.

कन्नौज, उत्तर प्रदेश का औद्योगिक नगर है. यहां का इत्र व्यवसाय पूरी दुनिया में मशहूर है. इसलिए कन्नौज को सुगंध की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. इसी कन्नौज का एक मोहल्ला हौदापुरवा है, जो कन्नौज कोतवाली के क्षेत्र में आता है. हौदापुरवा पहले कन्नौज से सटा एक गांव था, लेकिन जब कन्नौज को जिले का दरजा मिला और विकास हुआ तो हौदापुरवा शहर का मोहल्ला बन गया.

इसी हौदापुरवा मोहल्ले में विकास कुमार सिंह का अपना दोमंजिला मकान था. उस के परिवार में पत्नी दयावती के अलावा 3 बेटे राजीव, वीर सिंह व पवन उर्फ मुरारी थे. तीनों की शादी हो चुकी थी. राजीव पशुपालन विभाग में काम करता था और अपने परिवार के साथ मकान की पहली मंजिल पर रहता था. वीर सिंह परिवार के साथ भूतल पर रहता था. वह जनरल स्टोर चलाता था.

सब से छोटा पवन उर्फ मुरारी अपने भाइयों से ज्यादा स्मार्ट तथा पढ़ालिखा था. वह अपने मातापिता के साथ मकान की दूसरी मंजिल पर रहता था और अपनी कार बुकिंग पर चलाता था. पवन व सविता की शादी 6 जून, 2014 को हुई थी.

ससुराल में शुरूशुरू में सविता के दिन ठीकठाक गुजरे. फिर धीरेधीरे उस पर गृहस्थी का पूरा बोझ लाद दिया गया. घर के सारे काम करने के अलावा पति व सास की सेवा भी उसे ही करनी पड़ती थी. धीरेधीरे सास के ताने व जेठानियों के व्यंग्य शुरू हो गए थे. सविता सब कुछ सहती रही. जबतब वह अकेले में आंसू बहा कर मन हलका कर लेती थी. पति पवन अपनी मां का ही पक्ष लेता था.

विवाह के 2 साल बाद सविता ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम रानू रखा गया. रानू के जन्म से सविता के जीवन में नई ज्योति तो जली, साथ ही जिम्मेदारियां भी बढ़ गईं. घर के कामों के अलावा उसे अपनी नवजात के लिए भी समय निकालना पड़ता था. नतीजा यह हुआ कि सास की खींचातानी बढ़ गई.

दरअसल सास दयावती को इस बात का मलाल था कि उस के बेटे को शादी में उस की हैसियत के मुताबिक दहेज नहीं मिला. दहेज कम मिलने को ले कर वह सविता को ताने दे कर प्रताडि़त करती रहती थी.

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एक रोज पवन ने सविता से कहा, ‘‘हमारी कार अब खटारा हो गई है, जिस से बुकिंग कम मिलने लगी है. अगर तुम मायके से 2 लाख रुपया ले आओ, तो हम नई कार फाइनैंस करा लें. इस से हमारी बुकिंग बढ़ जाएगी और अच्छी कमाई भी होने लगेगी.’’

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