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(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

आसिफ ने पहले से शादीशुदा होते हुए हिंदू बन कर फरजी नाम राजकुमार रखा और नेहा को पे्रमजाल में फंसाया और उस से हिंदू रीतिरिवाज से विवाह कर लिया. शादी के बाद दिल्ली पहुंचने पर नेहा के सामने राजकुमार का असली नाम और रूप तब आया, जब आसिफ की पत्नी अर्शी उस के पास रहने के लिए आई.

नेहा अभी उस के विधर्मी होने के झटके को नहीं सह पाई थी कि उस के शादीशुदा और एक बच्चे का बाप होने की बात पता लगी तो उस पर जैसे वज्रपात हो गया. आसिफ के दिए धोखे से नेहा सन्न थी. इस के बाद नेहा और आसिफ में रोज विवाद होने लगा.

एक दिन नेहा ने अपने भाई आशीष को फोन कर के आसिफ की सच्चाई बताई और घर वापस आने की इच्छा जाहिर की. लेकिन आशीष ने उस से कोई संबंध न होने की बात कह कर फोन काट दिया. इस से नेहा आसिफ के साथ रहने को मजबूर हो गई.

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मजबूरी में नेहा आसिफ और उस की पहली पत्नी अर्शी के साथ रह रही थी. नेहा को उन के साथ रहना दुश्वार लग रहा था. इसलिए आए दिन किसी न किसी समय उस का मूड उखड़ जाता तो वह आसिफ से भिड़ जाती थी.

आसिफ उस की चिकचिक से तंग आने लगा था. वैसे भी नेहा के साथ वह भरपूर समय बिता चुका था. उसे नेहा गले में फंसी हड्डी की तरह लगने लगी थी.

इसी बीच लौकडाउन शुरू हो गया. सारा कामकाज बंद हो गया. कमाई न होने से खाने के लाले पड़ने लगे. आसिफ की पहली पत्नी अर्शी अपने मायके आगरा चली गई.

कोई सहारा न देख आसिफ नेहा के साथ घर वापस लौटने की सोचने लगा. लौकडाउन में वह नेहा को ले कर अपने गांव शेखूपुर पहुंच गया. वहां भी नेहा से उस का विवाद होता रहता था. ऐसे में आसिफ उस की पिटाई कर देता था.

कुछ समय पहले वह नेहा को ले कर नोएडा गया और एक फरनीचर की दुकान पर काम करने लगा. शातिरदिमाग आसिफ ने अपने मोबाइल में एक रिकौर्डिंग कर के नेहा को सुनाई कि उस के भाई उन दोनों को मारना चाहते हैं. इस के लिए इधरउधर से धमकियां दी जा रही हैं. नेहा ने उस की बात पर फिर से भरोसा कर लिया.

आसिफ ने नेहा से एक औडियो रिकौर्ड करवाई, जिस में वह अपने भाइयों का नाम ले कर कह रही है कि यहां से जल्दी चलो. उस के भाई के पास तमंचा है. उस ने इसी तरह की और भी कई औडियो नेहा की रिकौर्ड करवा कर अपने मोबाइल में रख लीं.

शातिरदिमाग आसिफ नेहा से हमेशा के लिए छुटकारा पाने और अपने आप को बचाने की तैयारी में लगा था. आसिफ ने उस से कहा कि बदायूं चलते हैं वहां कालेज से तुम अपनी मार्कशीट निकाल लेना, मेरा भी कुछ काम है, मैं उसे निपटा लूंगा. नेहा ने हामी भर दी.

25 सितंबर की दोपहर दोनों बदायूं पहुंचे. आसिफ ने उसे मार्कशीट निकलवाने के लिए कालेज में छोड़ दिया. वह खुद अपने गांव शेखूपुर गया. वहां से अपने चचेरे भाई सलमान की बाइक ले कर अपने दोस्त तौफीक उर्फ बबलू के घर जाने के लिए निकल गया.

तौफीक बदायूं के कस्बा उझानी के मोहल्ला अयोध्यागंज में रहता था और सब्जी का ठेला लगाता था. आसिफ ने उसे अपनी योजना के बारे में बता दिया था. आसिफ बबलू के घर पहुंचा और वहां से तमंचा ले कर गांव जाने के बजाए वह गांव से पहले ही एक जगह रुक गया.

नेहा के फोन करने पर आसिफ ने उसे आटो से गांव आने की बात कही. तब तक अंधेरा हो चुका था. नेहा आटो में बैठ कर गांव के लिए चल दी. रास्ते में आसिफ का फोन आने पर वह मीरासराय और शेखूपुर के बीच में उतर गई. वह सुनसान इलाका था.

नेहा आटो से उतरी तो आसिफ वहां पहले से मौजूद था. नेहा के पास आते ही उस ने तमंचा निकाल कर नेहा के सीने पर दिल की जगह पर गोली मार दी. गोली लगते ही नेहा जमीन पर गिर कर तड़पने लगी. आसिफ वहां से अपने गांव चला गया.

घर में तमंचा छिपाने के बाद उस ने सलमान की बाइक उसे लौटा दी. फिर अपने मोबाइल से नेहा के मोबाइल पर काल करने लगा.

उधर जहां नेहा को गोली मारी गई थी, वहां से गुजर रहे कुछ राहगीरों ने गोली लगी नेहा को बेहोशी की हालत में देखा तो वहां रुक गए. उस के मोबाइल की घंटी बजी तो एक राहगीर ने फोन उठा कर काल रिसीव कर ली. दूसरी ओर से आसिफ बोला तो राहगीर ने उस के घायल होने की बात बताई. इस पर योजना के तहत आसिफ आटो ले कर वहां पहुंच गया.

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नेहा को आटो में लिटा कर वह रात 8 बजे जिला अस्पताल पहुंचा. वहां डाक्टरों ने नेहा को देख कर मृत घोषित कर दिया. डाक्टरों ने पुलिस केस कह कर नेहा की लाश मोर्चरी में रखवा दी और आसिफ से पुलिस को सूचना देने को कहा.

आसिफ वहां से सीधा सिविल लाइंस थाने पहुंचा. उस समय इंसपेक्टर सुधाकर पांडेय अपने औफिस में मौजूद थे. आसिफ ने उन्हें बताया कि उस की पत्नी नेहा को उस के भाइयों ने गोली मार दी है. नेहा से उस ने प्रेम विवाह किया था, इसलिए वे नाराज थे. अपनी बात को साबित करने के लिए उस ने अपने मोबाइल में पड़ी औडियो रिकार्डिंग सुनाई, जिस में नेहा अपने भाइयों से जान का खतरा जता रही थी.

काम नहीं आया शातिराना अंदाज

उस की बातें सुनने के बाद इंसपेक्टर पांडेय पुलिस टीम के साथ आसिफ को ले कर जिला अस्पताल गए. वहां नेहा की लाश को देखा. नेहा के शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं थे. दिल की जगह पर गोली लगने का गहरा घाव था.

डाक्टर से आवश्यक पूछताछ के बाद इंसपेक्टर पांडेय आसिफ को ले कर घटनास्थल पर गए. वहां लोगों से पूछताछ की तो कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जिस ने हमला होते हुए देखा हो. सभी ने नेहा को सड़क पर घायल पडे़ हुए देखा था.

आसिफ को साथ ले कर इंसपेक्टर पांडेय नेहा के घर पहुंचे और आसिफ द्वारा बताए अनुसार नेहा के सगे भाई आशीष और तहेरे भाई राज को थाने ले आए.

रात में ही थाने में आसिफ, आशीष और राज से कई बार पूछताछ की गई. पूछताछ के दौरान इंसपेक्टर पांडेय ने तीनों के चेहरों पर विशेष नजर रखी, जिस से आसिफ शक के घेरे में आ गया. बाद में जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म कुबूल करते हुए पूरी कहानी बयां कर दी. पूछताछ के बाद नेहा के दोनों भाइयों को छोड़ दिया गया.

आशीष से लिखित तहरीर ले कर इंसपेक्टर पांडेय ने 26 सितंबर को आसिफ और तौफीक उर्फ बबलू के खिलाफ भादंवि की धारा 302/120बी के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. सुधाकर पांडेय ने आसिफ की निशानदेही पर आसिफ के घर से हत्या में प्रयुक्त तमंचा और सलमान के घर से हत्या में इस्तेमाल उस की बाइक बरामद कर ली.

कागजी खानापूर्ति करने के बाद 27 सितंबर को आसिफ को न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया गया. 28 सितंबर को इंसपेक्टर पांडेय ने शहर के गांधी ग्राउंड से तौफीक उर्फ बबलू को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

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यह लव जिहाद का मामला उन युवतियों के लिए सबक है जो बिना सोचेसमझे बिना जांचेपरखे बिना हकीकत जाने किसी भी युवक से दिल लगा बैठती हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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