जांच एजेंसियां उस की संपत्तियों का पूरा ब्यौरा जुटा रही हैं. इस से जुड़े दस्तावेज भी खंगाल रही हैं. आईबी, रा और मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) देविंदर सिंह से सघन पूछताछ कर आतंकियों के साथ उस के कनेक्शन की तह में जाने का प्रयास कर रही हैं.

माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में आतंकियों के साथ गठजोड़ के उस के कई राज सामने आ सकते हैं. पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश में है कि जब आतंकी नावीद ने प्रवासी मजदूरों की हत्या की थी तो क्या देविंदर को इस की जानकारी थी. चूंकि पुलवामा हमले के आसपास भी देविंदर पुलवामा में तैनात था, ऐसे में जांच एजेंसियां अब इन मामलों में भी उस की भूमिका का पता लगाने में जुट गई हैं.

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देविंदर सिंह की गिरफ्तारी से खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी भी सामने आ रही है. दरअसल, सवाल उठ रहे हैं कि जब नौकरी के शुरुआती दौर से ही देविंदर सिंह आपराधिक और संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाया गया था तो वह लगातार नौकरी क्यों करता रहा और कैसे वह प्रमोशन पा कर डीएसपी जैसे ओहदे तक पहुंच गया. सब से बड़ी चौंकाने वाली बात तो यह है कि करीब 18 साल पहले संसद पर हमले के आरोपी आतंकी अफजल गुरु ने जब डीएसपी  देविंदर सिंह का नाम लिया था, तो देश की किसी भी जांच एजेंसी ने देविंदर के साथ अफजल गुरु के कनेक्शन की जांच क्यों नहीं की?

दिल्ली में संसद पर 13 दिसंबर 2001 को आतंकी हमला हुआ था. इस हमले को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के खूंखार आतंकियों ने अंजाम दिया था. इस आतंकी हमले में कुल 14 लोगों की जान गई थी. हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी की सजा दी गई थी.

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