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पुलिस अधिकारियों के समक्ष जब प्रमोद से पूछताछ की गई तो पत्नी की हत्या कर शव ठिकाने लगाने की जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी -

जालौन उत्तर प्रदेश राज्य का एक पिछड़ा जिला है. जहां आवागमन के साधन भी कम हैं और रेल सुविधा भी नहीं है. इस पिछड़ेपन के कारण जालौन जिले के सभी प्रशासनिक कार्य उरई कस्बे में होते हैं. उरई, जालौन जिले का उपजिला कहलाता है, यहां दवा बनाने वाली मशहूर कंपनी सन इंडिया फार्मेसी है, जहां सैकड़ों कर्मचारी काम करते हैं, जिस से वहां दिनभर चहलपहल बनी रहती है.

उरई कस्बे से 3 किलोमीटर दूर एक गांव है सरसौखी, जो थाना कोतवाली उरई के अंतर्गत आता है. इसी सरसौखी गांव में कालीचरण अहिरवार अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी उर्मिला के अलावा 4 बेटियां वंदना, लाली, नौभी तथा विनीता थीं.

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मध्यमवर्गीय कालीचरण के घर का खानापीना व अन्य खर्च खेत में पैदा होने वाली फसलों से चलता था. इसी से बच्चों की परवरिश होती गई. जैसेजैसे बेटियां जवान होती गईं, कालीचरण ने उन की शादी कर दी. वह 3 बेटियों के हाथ पीले कर चुके थे. अब सब से छोटी बेटी विनीता ही शादी के लिए बची थी.

विनीता अपनी अन्य बहनों से कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी. उस की इस खूबसूरती में चारचांद लगाता था उस का स्वभाव. हाईस्कूल पास करने के बाद वह आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन मांबाप ने यह कह कर उस की पढ़ाई पर विराम लगा दिया कि ज्यादा पढ़ीलिखी लड़की के लिए वर खोजने में दिक्कत होती है और दहेज भी ज्यादा देना पड़ता है.

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