‘‘बीजी, आप आशू को साफसाफ कह क्यों नहीं देतीं कि वह हमारे घर न आया करे. पता नहीं क्यों, उसे देख कर मेरा खून खौल उठता है. मुझे डर है कि कहीं मुझ से कोई अनहोनी न हो जाए.’’ भिंदा ने अपनी मां कश्मीर कौर उर्फ कश्मीरो को समझाते और चेतावनी देते हुए कहा.

कश्मीर कौर जालंधर जिले के शहर नकोदर के आदी गांव के रहने वाले सतनाम सिंह की पत्नी थी. उस के छोटे बेटे भिंदा ने जब उस से यह बात कही तो वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिर आज वह ऐसी बात क्यों कह रहा है. क्योंकि आशू तो भिंदा का जिगरी दोस्त था. फिर भी वह उस से बोली, ‘‘क्यों बेटा, आज आशू पर इतना नाराज क्यों हो रहा है? तेरा तो वह बचपन का दोस्त है. हम भी तो समयबेसमय उस के घर आतेजाते हैं.’’

मां की बात सुन कर भिंदा और भड़क गया. उस ने गुस्से से कहा, ‘‘मेरी बात आप को समझ नहीं आ रही, बीजी. अगर आशू मुझे इस घर में दिख गया तो मैं उस का कत्ल कर दूंगा.’’

‘‘अरे बेटा, तेरी तबीयत तो ठीक है.’’ कश्मीरो ने चिंतित होते हुए कहा, ‘‘तू आज कैसी बहकीबहकी बातें कर रहा है.’’

‘‘बहकीबहकी नहीं बीजी, मैं आप को समझाने के साथ चेतावनी भी दे रहा हूं. आप मेरी बात समझ जाएं तो अच्छा है वरना बहुत खूनखराबा होगा.’’ भिंदा ने यह बात दांत भींच कर कही थी.

कश्मीरो भिंदा का गुस्सा अच्छी तरह जानती थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ये दोनों तो बचपन से एक साथ खातेपीते उठतेबैठते थे. दांत काटी रोटी का याराना था उन के बीच तो फिर अचानक भिंदा आशू से इतनी नफरत क्यों करने लगा है.

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