दिल्ली के रहने वाले साहिल और नीरज दोस्तों के साथ गरमियों की छुट्टियां बिताने 22 मई, 2017 को मनाली गए थे. उन्हें पता था कि गरमियों में वहां घूमने वालों की तादाद बढ़ जाती है, इसलिए उन्होंने होटल में कमरे पहले ही बुक करवा लिए थे. पहले दिन होटल में आराम करने के बाद अगले दिन सभी पहाड़ों की ओर घूमने निकल गए.

मैदानी इलाके में भीषड़ गरमी होने के बावजूद कुल्लू मनाली का मौसम सुहाना था. दोपहर लगभग 12 बजे तक कुदरती नजारों के फोटो और सेल्फी लेते हुए नीरज ग्रुप के साथ फालीनाला की ओर निकल गया. उसी तरफ पर्वतीय झाड़ियों से आए दुर्गंध के एक झोंके ने उन सब को कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया.

जिधर से दुर्गंध आ रही थी, सभी दोस्त उसी ओर बढ़े. उन्हें वहां झाड़ियों में एक युवक की लाश दिखाई दी. उन्होंने शोर मचाया तो उधर से गुजरने वाले सैलानी उन के पास पहुंच गए. सभी लाश पहचानने की कोशिश करने लगे. उसी बीच किसी ने पुलिस को फोन कर दिया.

सूचना पा कर थाना मनाली पुलिस वहां पहुंच गई. थोड़ी देर बाद डीएसपी पुनीत रघु भी घटनास्थल पर पहुंच गए. मृतक की उम्र 30-35 साल रही होगी. उस के शरीर पर जींस और प्रिंटेड शर्ट थी. शरीर पर कहीं चोट का कोई निशान नजर नहीं आ रहा था, वहां संघर्ष का भी कोई निशान नहीं था. बस, जहां लाश पड़ी थी, उस के पास 3-4 लोगों के पैरों के घिसटने जैसे निशान थे.

मृतक की जेबों की तलाशी लेने पर जेब से कोई ऐसी चीज नहीं मिली, जिस से उस की शिनाख्त हो सकती. उस बीच एसपी पदम चंदर भी आ गए थे. मौकामुआयना करने के बाद उन्होंने मामले की जांच डीएसपी पुनीत रघु को सौंप दी थी. घटनास्थल की काररवाई पूरी कर के पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था. इस के बाद थाने आ कर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

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हत्यारों का पता लगाने से पहले मृतक की शिनाख्त जरूरी थी. लिहाजा पुलिस यह पता लगाने में जुट गई कि मृतक कौन और कहां का रहने वाला था, पुलिस ने मृतक का फोटो सभी स्थानीय अखबारों में छपवा कर शिनाख्त की अपील की. इस का नतीजा यह निकला कि अगले दिन राजीव सिंह और दुर्गादत्त ने थाने आ कर बताया कि अखबार में लाश का जो फोटो छपा है, वह उन की कंपनी के कुक बिंदु सिंह का लगता है.

थानाप्रभारी ने लाश के फोटो और कपड़े उन दोनों को दिखाए तो उन्होंने कपड़े देखते ही कहा कि ये कपड़े तो बिंदु सिंह के ही हैं. इस के बाद थानाप्रभारी ने उन से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि वे एडी हाइड्रो प्रोजैक्ट साइंस-2011 में काम करते हैं. बिंदु सिंह भी उसी प्रोजैक्ट में बतौर कुक काम करता था. वह चक जिले के गांव तोपरा कुठेर का रहने वाला था.

कंपनी की तरफ से उसे प्रोजैक्ट के गेस्टहाउस में रहने के लिए क्वार्टर मिला था. ड्यूटी खत्म होने के बाद वह क्वार्टर पर चला जाता था. लेकिन 22 मई, 2017 की शाम के बाद उसे किसी ने नहीं देखा. रात को वह क्वार्टर पर भी सोने नहीं गया था. प्रोजैक्ट अधिकारियों ने उस की तलाश कराई. वे भी उस की तलाश कर रहे थे.

राजीव और दुर्गादत्त से बातचीत के बाद पुलिस ने कंपनी से बिंदु का पता ले कर उस के घर सूचना भिजवा दी. घर वालों ने भी पोस्टमार्टम हाउस पहुंच कर बिंदु की लाश की शिनाख्त कर दी. पोस्टमार्टम के बाद लाश घर वालों को सौंप दी गई. इस के बाद डीएसपी ने एडी हाइड्रो प्रोजैक्ट पहुंच कर मृतक के बारे में पूछताछ की. वहां से पता चला कि उस की किसी से दुश्मनी नहीं थी. हां, वह खानेपीने का शौकीन जरूर था.

सहकर्मियों ने बताया कि बिंदु जब अपने क्वार्टर पर नहीं मिला तो उन्होंने कई बार उस के मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वह बंद मिला. इस से पुलिस को पता चला कि बिंदु के पास मोबाइल फोन था. अगर उस के पास मोबाइल फोन था तो वह कहां गया? थानाप्रभारी एक बार फिर घटनास्थल पर जा पहुंचे. उन्होंने बारीकी से छानबीन की तो उन्हें झाडि़यों के पास से एक मोबाइल फोन मिला. उन्होंने थाने लौट कर फोन का काल लौग देखा तो पता चला कि एक नंबर से बिंदु को लगातार कई फोन किए गए थे.

जांच में वह नंबर मीना नाम की युवती का पाया गया. मीना के बारे में पता लगवाया तो जानकारी मिली कि वह एक विधवा और चरित्रहीन औरत थी. उस के कई लोगों से नाजायज संबंध थे. मृतक के सहकर्मियों ने बताया कि बिंदु का मीना के साथ उठनाबैठना था. पुलिस मीना को थाने ले आई. डीएसपी पुनीत रघु की मौजूदगी में उस से पूछताछ शुरू हुई.

पहले तो मीना ने बिंदु को पहचानने से ही इनकार कर दिया था, लेकिन जब उस पर सख्ती की गई तो उस ने बिंदु की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि यह काम उस ने अपने 2 अन्य प्रेमियों की मदद से किया था.

मीना की निशानदेही पर तिब्बती कालोनी के पास से देविंदर शर्मा और जीतराम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. तीनों को अदालत में पेश कर के एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड के दौरान तीनों से पूछताछ की तो बिंदु की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह प्रेम त्रिकोण पर आधारित नाजायज संबंधों का पुलिंदा थी—

मीना हिमालय की गोद में बसे क्षेत्र मनाली के गांव शारू की रहने वाली थी. वह सुंदरता की मूरत थी. सैलानियों की सैरगाह होने के कारण पर्यटकों को देख कर बचपन से ही उस के मन में महत्त्वाकांक्षा ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए थे. वह यही सपने देखती थी कि उस के पास भी कोठी, लंबी कार, नौकरचाकर हों.

जब वह जवान हुई तो स्थानीय लोगों के अलावा सैलानी भी उस के सौंदर्य के दीवाने हो उठे थे. वे भी उसे सपने दिखाते थे. वह भी सपने देखती चली गई. वह सपने तो देखती, पर सपनों की ताबीर उसे कहीं दिखाई नहीं देती थी. वह आसमान की ऊंचाइयों को छूना चाहती थी पर उस के परिवार की ऐसी स्थिति नहीं थी कि उस की महत्त्वाकांक्षाएं पूरी होती.

उस के पिता मेहनतमजदूरी कर के किसी तरह घर का खर्च चलाते थे. यहां तक कि मां भी मजदूरी करती थी. एक दिन उसे अपने इस छोटे संसार में प्रेम नाम का युवक मिल गया, जिस ने वादा किया कि वह उस के सपनों को साकार करेगा. मीना ने उस के ऊपर विश्वास कर लिया और अपना घर छोड़ कर उस के साथ चली आई.

प्रेम के घर वालों ने जब मीना को नहीं स्वीकारा तो उस ने अपने परिवार से विद्रोह कर सन 2008 में मीना से मंदिर में शादी कर ली और अपने गांव बंजार में अलग मकान किराए पर ले कर रहने लगा. मीना ने सोचा था कि शायद अब उस के सपनों को ताबीर मिलेगी, पर यह उस की कल्पना थी. शादी के कुछ समय बाद ही प्रेम की अकाल मौत हो गई. उस के बाद मीना मायके लौट आई.

मायके लौट कर कुछ दिन वैधव्य गुजारने के बाद मीना के सपनों और महत्त्वाकांक्षाओं ने फिर अंगड़ाई ली. पर इस बार उस ने अपने सपनों को बेकाबू नहीं होने दिया. जीवन में अब तक के मिले अनुभव से वह यह बात अच्छी तरह समझ गई थी कि वही सपने देखने चाहिए, जो पूरे हो सकें.

उसी दौरान उस की मुलाकात बिंदु सिंह से हुई. बिंदु चंबा के तोपरा कुठेर का रहने वाला था और मनाली स्थित साइंस-2011 के अंतर्गत चलने वाले एडी प्रोजैक्ट में बतौर कुक का काम करता था. उम्र में भले ही वह उस से बड़ा था, पर दिलोजान से उस की सुंदरता और अदाओं पर फिदा था.

दोनों के बीच प्रेमसंबंध स्थापित हो गए. वह मीना से शादी करना चाहता था, पर मीना अब किसी एक की बन कर नहीं रहना चाहती थी. उस ने बिंदु के साथ शादी का वादा तो किया, पर मन से वह इस के लिए तैयार नहीं थी. वह तो बस उस के साथ मौजमस्ती कर अपना समय गुजारना चाहती थी.

उसी बीच मीना की मुलाकात देविंदर शर्मा से हुई. वह पैसे वाला था और मीना का दीवाना था. उस से भी मीना के नाजायज संबंध बन गए. मीना उस के साथ भी ऐश करने लगी. वह मीना को महंगे उपहार खरीद कर देता. 2 युवकों से संबंध होने के बावजूद मीना ने अन्य युवकों से भी संबंध बना लिए. मजे की बात यह थी कि कई युवकों से संबंध होने की भनक उस ने अपने किसी प्रेमी को नहीं लगने दी.

उस का हर प्रेमी यही समझता था कि वह केवल उसी की है. पर मीना की यह चालाकी ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी. एक दिन बिंदु सिंह को जब इस बात का पता चला तो उस के दिल को गहरा सदमा लगा. उस ने मीना से इस बारे में बात की तो उस ने हंसते हुए कहा, ‘‘तुम भी किस गुजरे जमाने की बात करते हो बिंदु, आजकल की दुनिया कुछ और है. तुम ने जो सुना है, वह सच है पर हकीकत यह है कि वे सब केवल मेरे दोस्त हैं और कुछ नहीं. मैं उन के साथ घूमतीफिरती हूं, ऐश करती हूं, बस और कुछ नहीं करती.’’

‘‘लेकिन किसी दूसरे युवक से तुम्हारी यह दोस्ती मुझे पसंद नहीं है.’’ बिंदु ने कहा.

‘‘क्यों? मैं तुम्हारी बीवी या गुलाम हूं, जो तुम्हारे इशारों पर नाचूंगी?’’ मीना ने तपाक से कहा.

मीना की बात सुन कर बिंदु अवाक रह गया. लेकिन उस समय उस ने चुप रहने में अपनी भलाई समझी. अगले दिन से ही वह मीना पर शादी के लिए दबाव बनाने लगा. दूसरी ओर देविंदर शर्मा भी कई दिनों से उस पर शादी के लिए दबाव डाल रहा था.

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मीना असमंजस में फंस चुकी थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह इन बातों से अपना पीछा कैसे छुड़ाए. कुछ दिनों तक तो वह दोनों को कोई न कोई बहाना बना कर टालती रही. आखिर ऐसा वह कब तक चलता. बिंदु को शक ही नहीं, पूरा विश्वास था कि मीना उसे उल्लू बना रही है.

एक दिन उस ने मीना की बांह पकड़ कर गुस्से में पूछा, ‘‘मीना, सचसच बताओ, तुम मुझ से शादी करोगी या नहीं? अब यह बहानेबाजी मुझे पसंद नहीं.’’

‘‘मैं अभी शादी नहीं करना चाहती.’’ मीना ने दोटूक कहा.

‘‘अभी करना नहीं चाहती या मुझ से करनी ही नहीं है?’’ बिंदु ने पूछा.

‘‘तुम जो भी समझो.’’ मीना ने बिंदु को टका सा जवाब दे कर चुप कराना चाहा, पर बिंदु भी उस दिन शायद कुछ और ही तय कर के आया था.

शादी की तारीख पक्की करने को ले कर दोनों में तीखी झड़प हो गई. अंत में बिंदु ने उसे धमकाते हुए कहा, ‘‘ठीक है, तुम जितना चाहो, झूठ बोलो और बहाने बनाओ, लेकिन मैं सच कह रहा हूं कि अगर एक सप्ताह में तुम ने मेरे साथ शादी नहीं की तो मैं तुम्हारी सभी वीडियो पूरे मनाली को दिखा दूंगा, तब पता चलेगा कि तुम कितनी सतीसावित्री हो.’’

बिंदु के मुंह से धमकी भरे ये शब्द सुन कर मीना भीतर तक कांप उठी. यह बात 15-16 मई के आसपास की है. अब मीना को बिंदु से डर लगने लगा था, क्योंकि उस ने उसे खूब महंगे गिफ्ट खरीदवाए थे. मीना किसी एक खूंटे से बंध कर नहीं रहना चाहती थी. वह हर हालत में बिंदु से छुटकारा पाना चाहती थी.

इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने का उसे एक ही उपाय दिखाई दिया कि उसे रास्ते से हटवा दिया जाए. उसी शाम मीना ने देविंदर शर्मा से मिल कर बताया कि बिंदु उन के प्यार का दुश्मन बन गया है. वह कहता है कि अगर उस ने उस से शादी नहीं की तो वह उस की हत्या कर देगा.

यह सुन कर देविंदर शर्मा तैश में आ गया. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘उस के बाप का राज है. मेरे पास आ कर तो देखे. तुम ने उसे क्या जवाब दिया?’’

देविंदर के इस सवाल पर मीना ने अपना तीर चलाते हुए कहा, ‘‘मैं क्या कहती, मैं तुम्हारी हत्या होते थोड़े ही देख सकती हूं. इसलिए मैं ने कह दिया कि मैं उस से शादी करने को तैयार हूं, पर वह देविंदर को कुछ न कहे.’’

‘‘तुम पागल तो नहीं हो गई हो, जो बेवजह उस की गीदड़भभकी से डर गई. मैं नहीं डरने वाला उस से और तुम्हें उस के साथ शादी करने की कोई जरूरत नहीं है…समझी.’’ देविंदर ने कहा.

‘‘तो फिर मैं क्या करूं? जब तक बिंदु जिंदा है, वह कभी मेरी शादी तुम्हारे साथ नहीं होने देगा.’’ मीना ने आंसू टपकाते हुए कहा.

मीना को रोता देख कर देविंदर का खून खौल उठा. उस ने कहा, ‘‘उस की ऐसी की तैसी. इस के पहले कि वह मुझे खत्म करे, मैं ही उस का काम तमाम कर यह झंझट खत्म कर दूंगा. पर पहले तुम यह बताओ कि तुम मुझ से शादी करोगी या नहीं?’’

‘‘मैं तो हमेशा से ही तुम्हारी हूं देविंदर.’’

‘‘तो फिर ठीक है.’’ देविंदर ने कहा.

बस उसी दिन से बिंदु की हत्या का तानाबाना बुना जाने लगा. इस काम के लिए देविंदर ने अपने एक दोस्त जीतराम को कुछ पैसों का लालच दे कर तैयार कर लिया. जीतराम मीना को भी जानता था. पैसों के अलावा उसे मीना के शरीर का भी लालच था.

अपनी योजना के अनुसार, 22 मई, 2017 की शाम 7 बजे मीना ने बिंदु को फोन कर के शादी की बात करने के बहाने फालीनाला के पास बुला लिया. देविंदर और उस का दोस्त जीतराम वहां एक झाड़ी की ओट में पहले ही आ कर छिप कर बैठ गए थे.

बिंदु जैसे ही फालीनाला पहुंचा, वहां पहले से मौजूद मीना उसे अपनी बातों में उलझा कर उस जगह ले गई, जहां देविंदर और जीतराम छिपे बैठे थे. इस बीच शादी की बात को ले कर मीना बिंदु से उलझने लगी. बिंदु का सारा ध्यान मीना की बातों पर था. उसी समय देविंदर और जीतराम ने उसे पीछे से दबोच लिया. बिंदु ने खुद को उन के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश की, पर असफल रहा.

उसी बीच मीना ने अपने गले से दुपट्टा निकाल कर बिंदु के गले में डाल कर कहा, ‘‘लो देविंदर, कर दो इस की शादी. यह शादी के लिए मरा जा रहा है.’’

तभी सब ने पोजीशन बदल कर अपनाअपना मोर्चा संभाल लिया. मीना ने आगे से बिंदु के हाथ पकड़ लिए. जीतराम ने पीछे से पकड़ लिया तो देविंदर ने बिंदु के गले में पड़ा मीना का दुपट्टा पूरी ताकत से कस दिया. थोड़ी देर में उस की सांसें रुक गईं. इस के बाद वे बिंदु की लाश को वहीं छोड़ कर चले गए.

रिमांड अवधि खत्म होने पर पुलिस ने तीनों को पुन: मनाली की सक्षम अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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