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19 मई, 2018 को सिद्घार्थ तिगनाथ अपनी मां, पत्नी के साथ तत्कालीन एसपी मोनिका शुक्ला से मिले थे. उन्हें सूदखोरों के खिलाफ सारे सबूत और 8 लाख की लूट संबंधी प्रमाण भी दिए गए थे. पुरानी फाइलों के पन्ने पलटने पर पुलिस का संदेह यकीन में बदल चुका था कि डा. सिद्धार्थ ने सूदखोरों की प्रताड़ना की वजह से ही यह आत्मघाती कदम उठाया है.

पूरे मामले की जांच कर रहे एसआई जितेंद्र गढ़वाल को एक डायरी हाथ लगी, जिसे पढ़ कर मालूम हुआ कि सूदखोरों के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस चुके थे.

डा. सिद्धार्थ ने अपनी डायरी में मौत से पहले लिखा था, ‘मैं इस विश्वास के साथ दुनिया छोड़ रहा हूं कि मैं सच्चा और इज्जतदार था. बहुत बड़ा योगदान दे सकता था, पर मेरे जीवन में धूर्त लोगों का जमघट रहा है. पिछले 10 सालों से अब बहुत हुआ, इस संसार में रिस्की है अच्छा होना. कमलनाथजी, मोदीजी अवैध सूदखोरी, चैक रख कर ब्लैकमेलिंग करने वालों के खिलाफ कानून जरूर बनाइएगा. शायद मेरी जिंदगी का एक अर्थ निकले.

‘मेरा ये लेटर मीडिया को जरूर देना. शायद इस दबाव में पुलिस कुछ काररवाई करे. जब जीवित रहते किसी ने उन की बात नहीं सुनी तो डायरी में ये सब कुछ लिख कर, अपने जीवन को ही सबूत के तौर पर भेंट चढ़ा दिया.

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इस विश्वास के साथ कि उन्हें न्याय मिलेगा और सरकार इन अपराधों को रोकने के लिए कुछ कानून बनाएगी, जिस से भविष्य में कोई इन सूदखोरों के चक्र में न फंसे.’

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