सौजन्य- सत्यकथा
लेखक- शाहनवाज
इसी तरह से फायरिंग करते हुए करीब 9 मिनट के बाद पुलिस ने कोर्टरूम में मौजूद 2 में से एक हमलावर को ढेर कर दिया. अब सिर्फ एक ही हमलावर बचा रह गया था, जिस पर काबू पाना मुश्किल साबित हो रहा था.
वह शारीरिक रूप से काफी तगड़ा और फुरतीला भी था. उस ने किसी तरह से खुद को पुलिस की गोलियों से बचाया हुआ था.
करीब 12 मिनट के बाद भी वह हार मानने को तैयार नहीं था. लेकिन उस पर भी किसी तरह से काबू पा लिया गया, जब एक पुलिसकर्मी की गोली उस के शरीर पर लगी और वह भी ढेर हो कर गिर पड़ा.
कोर्टरूम में यह शूटआउट करीब 12 मिनट तक चलता रहा. इन 12 मिनट के शूटआउट के दौरान हर कोई यही प्रार्थना कर रहा था कि वह किसी तरह से सुरक्षित बच जाए. 12 मिनट के बाद जब दोनों हमलावर पुलिस की गोली से ढेर हो गए तो कोर्टरूम में अचानक से शांति फैल गई.
कोर्टरूम में शांति इसलिए भी फैली क्योंकि अंदर मौजूद सभी लोगों के कान गोलियों की तड़तड़ाहट से सुन्न पड़ गए थे. शूटआउट खत्म होने के बावजूद कमरे में मौजूद लोग अपनी आंखों और कानों को बंद कर के बचाव की मुद्रा में किसी भी चीज का सहारा लेते हुए जमीन पर लेटे हुए थे.
कोर्टरूम नंबर 207 में सुनवाई के लिए आए जितेंद्र गोगी और उस पर हमला करने वाले दोनों हमलावरों की लाशें पड़ी थीं. चारों और गोलियों के खाली खोखे बिखरे पड़े थे. इस पूरे 12 मिनट के शूटआउट के दौरान कमरे में मौजूद कई लोगों को मामूली खरोंचें भी आईं.
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