23 नवंबर, 2017 गुरुवार का दिन था. सुबह के यही कोई 10 बजे थे. महाराष्ट्र के अमरावती शहर के ओंकार मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी थी. मंदिर आनेजाने वाले लोगों की वजह से सड़कों पर भी काफी चहलपहल थी. 24 वर्षीया प्रतीक्षा भी अपनी सहेली श्रेया वायस्कर के साथ साईंबाबा के दर्शन कर के स्कूटी से खुशीखुशी अपने घर लौट रही थी.
दोनों सहेलियां आपस में बातें करते हुए अभी साईंनगर के वृंदावन कालोनी परिसर स्थित ठाकुलदार मालानी घर के सामने क्रौसिंग पर पहुंची थीं कि अचानक उन की स्कूटी के सामने एक दूसरी स्कूटी आ कर रुकी. जिस की वजह से दोनों सड़क पर गिरतेगिरते बचीं.
उस स्कूटी पर एक युवक सवार था. उसे इस तरह सामने आया देख कर प्रतीक्षा के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. डरीसहमी प्रतीक्षा ने एक बार श्रेया को देखा. वह उस लड़के को जानती थी. वह हिम्मत जुटा कर उस लड़के से बोली, ‘‘हटो मेरे सामने से, मेरा रास्ता छोड़ो. मुझे घर जाने के लिए देर हो रही है.’’
वह युवक उसे घूरने लगा. तभी प्रतीक्षा ने श्रेया से कहा, ‘‘श्रेया, यह सामने से नहीं हट रहा तो तुम अपनी स्कूटी साइड से निकाल कर चलो.’’
श्रेया वहां से निकल पाती, उस के पहले उस युवक ने श्रेया के नजदीक आ कर स्कूटी की चाबी निकालते हुए कहा, ‘‘प्रतीक्षा, आज मैं तुम्हें यह जान कर ही जाने दूंगा कि तुम मेरे साथ चलोगी या नहीं?’’
‘‘मैं तुम्हारे साथ क्यों चलूं?’’ प्रतीक्षा ने कहा.
‘‘क्योंकि तुम मेरी पत्नी हो. तुम ने मुझ से शादी की है.’’ युवक ने आवेश में आ कर कहा.
‘‘मैं कितनी बार कह चुकी हूं कि अब मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकती. तुम यह बात भूल जाओ कि मैं तुम्हारी पत्नी हूं. न मैं अब तुम से प्यार करती हूं और न पहले तुम से प्यार करती थी.’’ प्रतीक्षा ने सीधे जवाब दिया.
‘‘लेकिन मैं तुम्हें अभी भी पत्नी मानता हूं और प्यार भी करता हूं, इसलिए मैं कतई नहीं चाहूंगा कि तुम मुझ से दूर रहो. तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा. अगर आज तुम मेरे साथ नहीं चलोगी तो अच्छा नहीं होगा.’’ युवक ने धमकी दी.
प्रतीक्षा उस की इन बातों से परेशान हो गई. उस ने उसे समझाने का प्रयास करते हुए कहा, ‘‘तुम मेरी बात समझते क्यों नहीं. मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकती. फिर भी तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे, जो मेरे लिए अच्छा न हो.’’
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‘‘प्रतीक्षा, मैं कुछ भी कर सकता हूं. तुम्हारे साथ न आने से अब मेरी जिंदगी में बचा ही क्या है. तुम्हारी वजह से मुझे थाने और कोर्टकचहरी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. तुम ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा. मेरी जिंदगी तबाह कर के रख दी. भला मैं तुम्हें कैसे छोड़ सकता हूं.’’ इतना कह कर उस युवक ने जेब से एक चाकू निकाला. चाकू देख कर प्रतीक्षा और उस की सहेली श्रेया घबरा गईं. दोनों कुछ कर पातीं, उस के पहले ही उस ने प्रतीक्षा पर हमला कर दिया.
हमला होते वक्त मूकदर्शक बने लोग
प्रतीक्षा की मार्मिक चीखें वातावरण में गूंजने लगीं. वह जमीन पर गिर कर तड़पने लगी. इस पर भी उस युवक का गुस्सा शांत नहीं हुआ. वह उस पर तब तक वार करता रहा, जब तक कि वह शांत नहीं हो गई. सहेली पर हमला होने से श्रेया घबरा गई थी. वह प्रतीक्षा की मदद के लिए चीखतीचिल्लाती रही, पर मदद के लिए कोई नहीं आया. कुछ लोग वहां खड़े बस तमाशा देखते रहे. हमलावर को जब विश्वास हो गया कि प्रतीक्षा मर चुकी है तो वह बड़े आराम से अपनी स्कूटी ले कर फरार हो गया.
फिल्मी अंदाज में घटी इस घटना से डरीसहमी श्रेया ने घटना की खबर पुलिस कंट्रोल रूम के साथसाथ प्रतीक्षा के घर वालों को भी दे दी. चूंकि वह इलाका थाना राजापेठ के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से यह सूचना राजापेठ थाने को प्रसारित कर दी. थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी ने इंसपेक्टर दुर्गेश तिवारी को आवश्यक पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर भेज दिया और अपने आला अधिकारियों को सूचना देने के बाद खुद भी घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए.
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