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सौजन्य- मनोहर कहानियां

जान सब को प्यारी होती है, लोग डर के मारे रवि पुजारी को पैसे देने लगे. जिस ने उसे पैसे नहीं दिए, उन पर उस ने हमला भी करवाया. अपनी दहशत फैलाने के लिए उस ने 1990 में चेंबूर में कुकरेजा बिल्डर के मालिक ओमप्रकाश कुकरेजा की हत्या करवा दी थी.

इस के बाद उस ने नवी मुंबई के बिल्डर सुरेंद्र बाधवा पर भी हमला कर के उन की हत्या करानी चाही, पर उन्होंने भाग कर किसी तरह अपनी जान बचा ली थी.

रवि पुजारी ने भारत में रहना ठीक नहीं समझा. क्योंकि वह जानता था कि भारत में रहने पर वह कभी भी पकड़ा जा सकता था. इसलिए वह पहले आस्टे्रलिया गया और फिर वहां से अफ्रीकी देश सेनेगल पहुंच गया और वहीं पर अपना स्थाई ठिकाना बना लिया.

क्योंकि अभी तक वहां भारत के किसी अन्य डौन की पहुंच नहीं थी. वह वहां से मुंबई पुलिस को फोन कर के कहता था कि पुलिस के वे लोग भी उस के निशाने पर हैं, जो दाऊद की मदद करते हैं.

धीरेधीरे उस ने अपना वसूली का काम बढ़ा दिया. इसी के साथ उस ने रेस्टोरेंट की चेन नमस्ते इंडिया नाम से सेनेगल के शहरों में रेस्टोरेंट खोलने शुरू कर दिए. उसी बीच उस ने अपना नाम ही नहीं बदला, बल्कि एंथोनी फर्नांडीज नाम से अपना पासपोर्ट भी बनवा लिया. अब वह बुर्कीना फासो का निवासी बन गया.

रवि पुजारी लोगों को इंटरनेट के जरिए फोन करता था, जिस की वजह से पता नहीं चल पाता था कि फोन कहां से किया गया है. वह फोन कर के लोगों से पैसे मांगता और कहता कि अगर पैसे नहीं दिए तो जान से जाओगे. वह उन्हें ज्यादा से ज्यादा तीन दिनों का समय देता था.

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