सौजन्य- मनोहर कहानियां
घटनास्थल पर शराब की बोतल और पानी के पाउच के साथ चखना के खाली पैक पड़े थे. डैडबौडी के पास ही एक बड़ा सा पत्थर पड़ा मिला, जिस पर खून के निशान थे. शायद इसी पत्थर से सिर पर वार कर युवक की हत्या की गई थी.
घटनास्थल पर अब तक लोगों की काफी भीड़ जमा थी, लेकिन कोई भी मृतक को नहीं पहचान सका. एसआई कन्हैया चतुर्वेदी ने मृतक के कपड़ों की तलाशी ली तो उन्हें मृतक की पैंट की जेब में नगर निगम की डाकबुक मिली. डाकबुक को उलटपलट कर देखा गया तो परची पर एक मोबाइल नंबर लिखा था.
परची में लिखे मोबाइल नंबर पर टीआई विजय तिवारी ने फोन लगाया तो फोन रिसीव करने वाले ने अपना नाम मलखान और पता ग्वारघाट बताया. टीआई तिवारी ने जब उसे बताया कि मुर्गी मैदान पर एक डैडबौडी मिली है. उसी के कपड़ों की जांच में नगर निगम की डाकबुक और यह मोबाइल नंबर मिला है. तब मलखान ने पुलिस को बताया कि उस का जीजा अरविंद राजपूत नगर निगम में डाक लाने ले जाने का काम करता था.
मलखान ने जब मनीषा को फोन लगा कर बातचीत की तो उस ने बताया कि वह कल अरविंद को बता कर बच्चों के साथ एक गमी के कार्यक्रम में वेहिकल फैक्ट्री इलाके में आई है.
मलखान ने मनीषा से अरविंद के साथ किसी अनहोनी की आशंका व्यक्त की तो वह फोन पर रोने लगी. मलखान ने उसे समझाते हुए उस के साथ तत्काल मुर्गी मैदान चलने को कहा. मलखान कुछ ही देर में मनीषा और एक रिश्तेदार को आटो में बिठा कर सदर के मुर्गी मैदान पहुंच गया. वहां पहुंच कर मनीषा ने पति अरविंद को पहचान लिया.
लाश की पहचान होने पर पुलिस टीम ने शव पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भेज दिया और आगे की काररवाई में जुट गई. स्थिति के मद्देनजर पुलिस मनीषा के बयान नहीं ले सकी.
घटना को बीते 3 दिन हो चुके थे. इसी दौरान मनीषा ने एक बार घर पर आत्महत्या करने का प्रयास किया, जिस की जानकारी कैंट पुलिस को मिल गई थी. पुलिस सहानुभूति की वजह से उस के बयान नहीं ले पा रही थी.
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एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा के निर्देश पर नगर की सीएसपी भावना मरावी ने हत्या का राज जानने के लिए कैंट थाना पुलिस की एक टीम तैयार की.
कैंट पुलिस थाना के टीआई विजय तिवारी ने जब मनीषा के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो 2 मोबाइल नंबर संदिग्ध पाए गए. इन मोबाइल नंबरों की लोकेशन सर्च करने पर पुलिस को एक नंबर आकाश विनोदिया, सिविल लाइंस, जबलपुर का और दूसरा नंबर खेमचंद यादव, बांदा, उत्तर प्रदेश का था.
कैंट पुलिस ने सब से पहले राज यादव के मोबाइल को सर्विलांस पर लगाया तो घटना वाले दिन 21 जनवरी को उस की लोकेशन सुबह के 6 बजे से रात के 9 बजे तक जबलपुर की मिली. पुलिस की टीम जब खेमचंद की खोजबीन के लिए बांदा पहुंची, तब तक वह अपने गांव बेनीपुर पहुंच चुका था.
पुलिस ने उस की लोकेशन ट्रेस कर उस के घर पर मुंहअंधेरे दबिश तो यह पिछले दरवाजे से भाग निकला. आसपास के इलाकों में दिन भर उस की तलाश की गई, मगर राज नहीं मिला. उस के पिता ने बताया कि वह अपने बड़े भाई के पास सूरत जा सकता है.
पिता को राज और मनीषा के प्रेम संबंधों की पूरी जानकारी थी. पता चला कि मनीषा जून, 2020 में आंखों का इलाज करवाने के बहाने चित्रकूट आई थी और दोनों 5 दिनों तक एक होटल में रुके थे. तब उस ने मनीषा को समझाया था कि अपना वैवाहिक जीवन बरबाद न करे. मगर वह राज के प्यार में पागल हो गई थी.
राज अपना मोबाइल घर पर छोड़ गया था, ऐसे में राज को खोजना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा था. पुलिस उस का मोबाइल जब्त कर खाली हाथ लौट आई.
कैंट पुलिस पर जब पुलिस अधिकारियों का दबाव पड़ा तो आकाश विनोदिया की मोबाइल लोकेशन पर पहुंच गई. जबलपुर के सिविल लाइंस जा कर पता चला वह नंबर एक रिटायर्ड मैडिकल नर्स का है जो काफी बूढ़ी हो गई थीं.
उन्होंने खुद को इलाके की भजन मंडली का अध्यक्ष बताते हुए मनीषा और अरविंद से किसी तरह की जानपहचान होने से इनकार किया. उन्होंने यह भी बताया कि यह सिमकार्ड उस के भतीजे आकाश ने ला कर दिया था, लेकिन इस सिमकार्ड का उपयोग आकाश कभी नहीं करता.
पुलिस की समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अरविंद के मर्डर से नर्स का क्या कनेक्शन हो सकता है. पुलिस ने जब उन से पूछा, ‘‘आप के मोबाइल से कोई और शख्स बात तो नहीं करता?’’
उन्होंने बताया, ‘‘हां उन की भजन मंडली में ढोलक बजाने वाला विक्की पंडा अकसर उन के फोन से बात करता है. कभीकभी तो वह घंटे भर के लिए मोबाइल मांग कर ले जाता है.’’
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पुलिस ने जब विक्की पंडा के बारे में पता किया तो शाम के समय विक्की पंडा देवी मंदिर की आरती के कार्यक्रम में मिल गया.
उस ने मनीषा को अपनी ममेरी बहन बताया. पुलिस को अब दोनों पर अरविंद की हत्या का पूरा यकीन हो गया. पुलिस टीम ने विक्की पंडा और मनीषा को थाने बुला कर पूछताछ की तो पहले तो वे अनजान बने रहे.
जब पुलिस टीम ने उन से अलगअलग कमरे में ले जा कर सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने सारा सच उगल दिया. मनीषा और विक्की के बताए अनुसार अरविंद की हत्या छतरपुर जिले के खेमचंद यादव उर्फ राज ने की थी.
घटना वाले दिन शाम को अरविंद को औफिस में फोन कर के मनीषा ने बुलाया था और विक्की पंडा हत्या के समय राज के साथ था. दोनों से पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह मानवीय रिश्तों को शर्मसार कर देने वाली थी. खेमचंद गुड़गांव की एक कंपनी में नौकरी करता था.
मनीषा की बुआ का लड़का प्रदीप ठाकुर उर्फ विक्की पंडा सिविल लाइंस के उपहार अपार्टमेंट में रहता था. वह अपने आप को देवी का भक्त बताता था. धार्मिक कर्मकांड और तंत्रमंत्र का झांसा दे कर लोगों से पैसे ऐंठ कर वह घर का खर्च चलाता था. वह स्थानीय भजन मंडली में ढोलक बजाता था.
विक्की पंडा अपनी ममेरी बहन मनीषा से 20 हजार रुपए और जीजा अरविंद से 13 हजार रुपए उधार ले चुका था, मगर लौटाने का नाम ही नहीं ले रहा था. जब भी अरविंद और मनीषा उस से पैसे वापस मांगते, वह अपनी तंगहाली का बहाना बना देता था.
मनीषा और खेमचंद के नाजायज संबंधों की भनक विक्की को थी. एक बार तो उस ने मनीषा को चेतावनी भी दी थी कि यदि उस से पैसे मांगे तो वह उस के और राज के संबंधों की पूरी सच्चाई जीजा को बता देगा. इस डर से मनीषा उस से पैसा मांगने में संकोच करने लगी थी.
अब मनीषा राज के साथ विक्की पंडा से मिलनेजुलने लगी थी. मनीषा और राज विक्की से शादी करने की बात बताते रहते थे. एक दिन विक्की पंडा ने मंदिर में पूरे विधिविधान से राज से मनीषा की मांग में सिंदूर भरवा कर शादी करा दी .
मनीषा और राज प्रेम में इस कदर अंधे हो चुके थे कि देह सुख के लिए किसी भी हद तक जाने तैयार थे. कभीकभी उन के मन में विचार आता कि दोनों घर से भाग जाएं, लेकिन मनीषा सोचती कि राज बेरोजगार है. आखिर उसे कितने दिनों तक बैठा कर खिलाएगा.
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मनीषा को अरविंद से ज्यादा अपने बच्चों की भी चिंता थी. वह जानती थी कि यदि वह बच्चों को छोड़ कर राज के साथ भाग गई तो अरविंद बच्चों का खयाल नहीं रख पाएगा और उस के बच्चे अनाथ हो जाएंगे. मनीषा के मन में कई बार अरविंद की हत्या करने का विचार आता, मगर अगले ही पल वह डर जाती.
अगले भाग में पढ़ें- राज ने अरविंद की हत्या की पूरी कहानी पुलिस को बता दी