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सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- सुनील वर्मा

दरअसल दहेज उत्पीड़न के साथ अपहरण जैसे गंभीर मामलों में उच्चाधिकारियों को विश्वास में लिए बिना कोई कार्रवाई करने से मामला बिगड़ सकता था. एसपी देहात व सीओ सरधना थाने पहुंचे तो उन से भी शाबरी बेगम ने बेटी सिमरन के प्रेम विवाह से ले कर पति की प्रताड़ना तक की पूरी कहानी सुना दी.

बात पहुंची पुलिस तक

जिस तरह की शिकायत थी उस पर तत्काल काररवाई जरूरी थी. इसलिए  एसपी देहात के आदेश पर  इंसपेक्टपर अरविंद कुमार ने उसी दिन थाने पर धारा 498ए 364 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. चूंकि मामला दहेज उत्पीड़न का था लिहाजा जांच की जिम्मेदारी सीओ आरपी शाही को सौंपी गई.

उन्होंने आगे की काररवाई के लिए इंसपेक्टर अरविंद कुमार के नेतृत्व में एसएसआई योगेंद्र सिंह, हेडकांस्टेबल सुरेश कुमार, कांस्टेबल आशु मलिक, सचिन सिरोही, महिला कांस्टेबल अनु और बबली की एक टीम गठित कर दी.

पुलिस टीम ने जांच का काम हाथ में लेते ही सब से पहले आमिर के परिवार और मिलनेजुलने वाले लोगों की सूची तैयार कर उन से आमिर के बारे में पूछा. लेकिन किसी को उस के बारे में कुछ पता नहीं था. वह 26 नवंबर से काम पर भी नहीं गया था.

पुलिस ने आमिर के घर के पास लगे एक सीसीटीवी को चैक किया तो पता चला कि 25 व 26 नवंबर की रात में आमिर व 3 अन्य लोग काले रंग की एक बोलेरो गाड़ी में सिमरन को लाद कर कहीं ले गए थे.

साफ था कि सिमरन के साथ कुछ गलत हो चुका था. सिमरन को क्या हुआ था इस की जानकारी आमिर के पकड़े जाने पर ही मिल सकती थी. लिहाजा पुलिस ने आमिर के फोन की सीडीआर निकलवाई, जिस से पता चला  कि वारदात के अगले दिन 27 नंवबर को उस की लोकेशन दिल्ली में थी.

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