सौजन्य- मनोहर कहानियां
लेखक- सुनील वर्मा
प्यार शब्द में भले ही दुनिया जहान की खुशियां सिमटी हों, लेकिन जब प्रेमीप्रेमिका का प्यार हकीकत के धरातल से टकराता है तो उस का अस्तित्व डगमगाने लगता है. कभीकभी तो शहद सा मीठा यही प्यार जहर बन जाता है. यही सिमरन और आमिर के साथ भी हुआ. सिमरन ने जिस आमिर को अपना...
सिमरन की प्रेम कहानी की शुरुआत ढाई साल पहले हुई थी. दिल्ली के शाहदरा जिले में मंडोली रोड पर हर्ष विहार थाना क्षेत्र में एक कालोनी है बुध विहार. इसी कालोनी की गली नंबर 12 के मकान नंबर 438 में रहता है मोहम्मद शरीफ और शाबरी बेगम का परिवार. शरीफ का कबाड़ खरीदनेबेचने का काम है. काम कबाड़ी का जरूर था, लेकिन आमदनी अच्छी थी. घर में कोई कमी नहीं थी, परिवार दिल खोल करपैसा खर्च करता था.
शरीफ व शाबरी की 5 औलादें थीं, 2 बेटे व 3 बेटियां. तीनों बेटियां बड़ी थीं उन से छोटे 2 बेटे थे. 2 बड़ी बेटियों की दिल्ली में ही अच्छे परिवारों में शादी हो चुकी थी. सिमरन बेटियों में सब से छोटी थी. उस से छोटे 2 भाई थे बड़ा फिरोज, उस से छोटा अजहर.
12वीं तक पढ़ी सिमरन की ढाई साल पहले कालोनी में हो रहे एक निकाह के वलीमा में जब आमिर से पहली बार आंख लड़ी थी तो वह उम्र का 20वां बसंत पार कर चुकी थी.
वैसे तो उम्र की ये ऐसी दहलीज होती है जिसे लांघ कर लड़की यौवनांगी बनती है, इस पड़ाव पर पहुंचते ही उसे दुनिया की हर चीज खूबसूरत नजर आने लगती है. देखने का नजरिया बदल जाता है.
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