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सौजन्य-सत्यकथा

एसएसपी आकाश तोमर ने हत्या के इस केस की जांच के लिए 2 टीमें बनाईं. एक टीम सीओ (भरथना) चंद्रपाल की अगुवाई में तथा दूसरी टीम लवेदी थानाप्रभारी बृजेश कुमार की अगुवाई में बनी. दोनों टीमों की कमान एसपी (देहात) ओमवीर सिंह को सौंपी गई. सहयोग के लिए क्राइम ब्रांच प्रभारी सत्येंद्र सिंह यादव तथा सर्विलांस प्रभारी वी.के. सिंह को भी लगाया गया.

पुलिस ने मंदाकिनी और उस की बहनों के फोन नंबर हासिल कर लिए. गठित टीमों ने सब से पहले मोबाइल डिटेल्स तथा मोबाइल फोन की लोकेशन की छानबीन शुरू की. छानबीन से पता चला कि मंदाकिनी उर्फ संगीता तथा उस की बहनें मीना व ममता 7 अक्तूबर की रात घटनास्थल पर मौजूद थीं.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम ने मंदाकिनी के बहादुरपुर गांव स्थित घर पर दबिश दी. लेकिन वह घर पर नहीं मिली. पता चला कि वह आगरा में अपनी बड़ी बहन मीना के घर है. यह पता चलते ही पुलिस टीम ने आगरा से मीना के घर से मंदाकिनी व ममता को हिरासत में ले लिया.

मीना सहित तीनों बहनों को थाना लवेदी लाया गया. पुलिस टीम ने तीनों बहनों से योगेश चौहान की हत्या के संबंध में पूछताछ की. पहले तो वे तीनों मुकर गईं, लेकिन सख्ती करने पर टूट गईं और हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

उन्होंने बताया कि मथुरा के अपराधी महेश, विनोद शर्मा तथा उन के साथी को योगेश की हत्या के लिए एक लाख रुपए की सुपारी दी गई थी. ये अपराधी मथुरा के गांव दूधाधारी जमुना पार के रहने वाले हैं. इन्हें 10 हजार रुपए एडवांस दिया गया था. बाकी के रुपए लेने ये लोग कल 19 अक्तूबर को स्टेशन रोड इटावा आएंगे.

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