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सौजन्य-सत्यकथा

उस ने अपने भाई सद्दाम से इस संबंध में बात कर सारी बात समझाई. सुलेमान पर लाखों रुपए की उधारी थी. कर्ज वालों को पैसे भी नहीं देने पड़ेंगे और प्रेमिका की बात रखते हुए वह नया परिवार बसा लेगा.
इस के साथ ही इन दिनों सुलेमान अपनी पत्नी रोशनी से भी तंग आ चुका था. वह उस से छुटकारा पाना चाहता था. उस के एक कदम से सारे काम पूरे होते दिख रहे थे. यानी सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

भाई सद्दाम ने हौसला बढ़ाते हुए कहा कि वह घर वालों को किसी तरह समझा लेगा. योजना के तहत 21 सितंबर को सुलेमान जीएसटी जमा करने के लिए घर से बोलेरो ले कर ड्राइवर इमरान के साथ मैनपुरी गया.

काम निपटाने के बाद ईशन नदी पुल महाराजा तेज सिंह की प्रतिमा के पास बोलेरो रोक कर उस ने इमरान को पूरी योजना समझाई और योजनानुसार उस ने उस का भी मोबाइल ले लिया. ईशन नदी पुल पर बोलेरो से उतर कर सुलेमान पैदल बस स्टैंड पहुंचा. वहां से टैक्सी ले कर भिवाड़ी में अपनी प्रेमिका के पास चला गया.

योजना के मुताबिक इमरान बोलेरो ले कर गांगसी नहर पुल के पास पहुंचा. गाड़ी खड़ी कर घटना को सच दिखाने के लिए इमरान को अपने सिर में चोट पहुंचाने के लिए रुपयों का लालच दे कर सुलेमान ने पहले ही तैयार कर लिया था. उस ने बदमाशों का आना दिखाने के लिए बोलेरो के शीशे भी रिंच (स्पैनर) से तोड़ दिए. और स्पैनर से ही अपने माथे पर चोट मार कर उस ने स्वयं को घायल कर लिया.

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