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21जून, 2021 की दोपहर करीब साढ़े 3 बजे सचिन अपने घर पर सो रहा था, तभी उस के मोबाइल पर वाट्सऐप काल आई. सचिन उठा और जाने के लिए तैयार हुआ. लेकिन वह गया नहीं, कुछ देर बाद कपड़े उतार कर वह लेट गया. बिस्तर पर लेटे हुए वह कुछ सोचने लगा, तभी उसे भूख लगी तो उस ने मां अनीता से खाने के लिए कुछ देने को कहा. मां ने उसे सैंडविच बना कर दिया.

इसी बीच दोबारा फोन आया तो फोन पर बात करने के बाद वह टीशर्ट और लोअर में ही सैंडविच खाते हुए चप्पलें पहने ही घर से जाने लगा. मां ने कहा, ‘‘बेटा, तुम ने अभी नाश्ता भी नहीं किया है, कहां जा रहे हो, पहले नाश्ता तो कर लो?’’

‘‘मां, बस अभी लौट कर आता हूं.’’  सचिन ने कहा और वह घर से चला गया.

काफी देर तक जब सचिन नहीं लौटा तो मां को चिंता हुई. वह उसे लगातार उसे फोन कर रही थीं, लेकिन सचिन काल रिसीव करने के बजाय बारबार फोन काट देता था. अनीता समझ नहीं पा रही थीं कि सचिन ऐसा क्यों कर रहा है. उस के आने के इंतजार में रात भी हो गई.

रात 11.37 बजे सचिन के पिता सुरेश चौहान के फोन की घंटी बजी. लेकिन नींद में होने के कारण वह फोन उठा नहीं सके. तब अनीता ने देखा तो वह मिस्ड काल उन के बेटे सचिन की ही थी. तब उन्होंने 11.55 बजे कालबैक की. मगर सचिन की जगह कोई और फोन पर बात कर रहा था. अनीता ने पूछा कौन बोल रहे हो? इस पर उस ने कहा, ‘‘मैं सचिन का दोस्त हूं.’’

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‘‘सचिन कहां हैं?’’ अनीता ने पूछा.

‘‘उस ने शराब ज्यादा पी ली है, इसलिए वह सो रहा है. वैसे सचिन इस समय नोएडा में है.’’ उस ने बताया.

‘‘नोएडा…वह वहां कैसे पहुंचा?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘यह बात तो आप को सचिन ही बताएगा.’’

‘‘तुम मेरी सचिन से बात कराओ.’’

‘‘सचिन अभी बात करने की कंडीशन में नहीं है, आप सुबह बात कर लेना,’’ कहते हुए उस ने सचिन का फोन स्विच्ड औफ कर दिया.

उत्तर प्रदेश की ताजनगरी आगरा के थाना न्यू आगरा के दयालबाग क्षेत्र की जयराम बाग कालोनी निवासी कोल्ड स्टोरेज कारोबारी सुरेश चौहान के 25 वर्षीय इकलौते बेटे सचिन चौहान का घरवाले सारी रात बेचैनी से इंतजार करते रहे. लेकिन उस का फोन औन नहीं हुआ.

बेटे के बारे में कोई सुराग न मिलने पर दूसरे दिन मंगलवार को घर वालों ने आसपड़ोस के साथ ही रिश्तेदारी में तलाश किया. लेकिन सचिन का कोई सुराग नहीं मिला. पूरे दिन तलाश करने के बाद 22 जून की शाम तक जब सचिन नहीं लौटा और न उस का मोबाइल

औन हुआ, तब पिता सुरेश चौहान अपने पार्टनर लेखराज चौहान के साथ थाना न्यू आगरा पहुंचे.

उन्होंने थानाप्रभारी भूपेंद्र बालियान को बेटे के लापता होने के बारे में बताया. पुलिस ने उन की तहरीर पर सचिन की गुमशुदगी दर्ज कर ली. पुलिस ने उन से फिरौती के लिए फोन आने के बारे में पूछा. सुरेश चौहान ने इस पर इनकार कर दिया. फिरौती के लिए फोन न आने की बात पर पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. कह दिया कि यारदोस्तों के साथ कहीं चला गया होगा और 1-2 दिन में आ जाएगा.

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पुलिस के रवैए से असंतुष्ट सुरेश चौहान तब खुद ही अपने बेटे की तलाश में जुट गए. उन्होंने कालोनी में रहने वाले एक सेवानिवृत्त अधिकारी से भी मदद ली. उन्हें सीसीटीवी की एक फुटेज मिली, जिस में बाइक सवार 2 युवक नजर आ रहे थे. इन में से पीछे बैठा युवक भी हेलमेट लगाए था.

यह सचिन ही था. यह जानकारी उन्होंने पुलिस को दी. फुटेज देखने के बाद पुलिस ने कहा कि इस में अपहरण जैसी कोई बात नहीं है. इस में तो आप का बेटा सचिन खुद अपनी मरजी से बाइक पर बैठा नजर आ रहा है.

3 दिन तक जब सचिन का कोई सुराग नहीं मिला तो घर वाले परेशान हो गए. पुलिस भी उन से परिचितों व रिश्तेदारी में तलाश करने की बात कहती रही. सुरेश चौहान के बिजनैस पार्टनर लेखराज चौहान के एक रिश्तेदार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में तैनात थे. लेखराज ने उन्हें फोन किया.

फिर मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद मामला उत्तर प्रदेश की एसटीएफ के सुपुर्द किया गया. एसटीएफ ने 23 जून को इस मामले में छानबीन शुरू कर दी. सब से पहले एसटीएफ ने सीसीटीवी वाली फुटेज देखी. जिस में सचिन बाइक पर पीछे हेलमेट लगाए बैठा था.

एसटीएफ ने टेक्निकल रूप से जांच शुरू की. जांच शुरू की तो कड़ी से कड़ी जुड़ती चली गई और पुलिस केस के खुलासे के नजदीक पहुंच गई. पुलिस को पता चला कि सचिन का अपहरण कर लिया गया है.

27 जून की रात को पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि इस घटना में शामिल एक आरोपी वाटर वर्क्स चौराहे पर मौजूद है. समय पर पुलिस वहां पहुंच गई और एसटीएफ ने उसे धर दबोचा. पकड़ा गया आरोपी हैप्पी खन्ना था. पता चला कि वह फरजी दस्तावेज से सिम लेने की फिराक में था. लेकिन सिम लेने से पहले ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. उस ने बताया कि फरजी सिम से सचिन के पिता से 2 करोड़ की फिरौती मांगी जाती.

हैप्पी ने पुलिस को बताया कि सचिन अब इस दुनिया में नहीं है, उस की हत्या तो किडनैप करने वाले दिन ही कर दी थी. यह सुनते ही सनसनी फैल गई. पुलिस ने गुमशुदगी की सूचना को भादंवि की धारा 364ए, 302, 201, 420 में तरमीम कर दिया.

हैप्पी से पूछताछ के आधार पर अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए ताबड़तोड़ दबिशें दे कर पुलिस ने 4 अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया.

इन में मृतक के पिता के बिजनैस पार्टनर लेखराज चौहान का बेटा हर्ष चौहान के अलावा सुमित असवानी निवासी दयाल बाग,  मनोज बंसल उर्फ लंगड़ा व रिंकू  निवासी कमलानगर शामिल थे.

चौंकाने वाली बात यह निकली  कि अपने दोस्त सचिन की तलाश में पुलिस और एसटीएफ की मदद करने का दिखावा करने वाला हर्ष चौहान स्वयं भी इस साजिश में शामिल था.

अगले भाग में पढ़ें- रुपयों के लालच में हर्ष चौहान सुमित असवानी की बातों में आ गया

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