सौजन्य- मनोहर कहानियां
कहते हैं कि जो व्यक्ति जैसा होता है, उसे वैसे ही लोग मिलने लगते हैं. विद्यादत्त के साथ भी यही हुआ. नशा मुक्ति केंद्र में उस की मुलाकात विभा सिंह से हुई. विभा सिंह उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर की विष्णुपुरी कालोनी की रहने वाली थी. उसे भी शराब की लत थी. अपनी इस लत के कारण ही नशा मुक्ति केंद्र में भरती हुई थी.
विद्यादत्त और विभा के बीच अच्छी जानपहचान हो गई. एक दिन दोनों बैठे हुए थे तभी विद्यादत्त ने कहा, ‘‘मैं ने एक प्लान किया है.’’
‘‘क्या?’’ विभा ने पूछा.
‘‘हम दोनों अपना नशा मुक्ति केंद्र खोल लें तो कमाई अच्छी हो सकती है.’’
विद्यादत्त का आइडिया विभा को जम गया. उस ने तपाक से कहा, ‘‘चाहती तो मैं भी यहीं हूं, लेकिन क्या यह इतना आसान है.’’
‘‘बिलकुल हम दोनों कोशिश करेंगे तो हो जाएगा, वैसे हमें खुद रह कर इतना तो पता चल ही गया है कि नशा मुक्ति केंद्र कैसे चलाया जाता है. इस में कमाई भी अच्छी है.’’
‘‘ठीक है, मैं तुम्हारे साथ हूं.’’ विद्या ने सहमति जताई.
संचालक और डायरेक्टर खुद भी थे नशेड़ी
इस के बाद दोनों बाहर आए और अपनी तैयारियों में जुट गए. उन्होंने प्रकृति विहार में एक कोठी किराए पर ली और जरूरी तैयारियां कर के फरवरी, 2021 में नशा मुक्ति केंद्र खोल कर उस का प्रचारप्रसार शुरू कर दिया.
विद्यादत्त खुद संचालक बना और विभा को डायरेक्टर बना दिया. समाज में कितने ही लोग अपने बच्चों के नशा करने से परेशान रहते हैं. ऐसे लोगों की ही दोनों को तलाश थी. जल्द ही उन के यहां लड़केलड़कियां आने शुरू हो गए. नशे के लती युवाओं के रहनेखाने की व्यवस्था कोठी में ही की गई थी.