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सौजन्य- सत्यकथा

देवेंद्र ने थानाप्रभारी को जो बयान दिया था, उस में कहा था कि घटना के समय 2 लोगों ने अचानक हमला किया था, वह लघुशंका के लिए कुछ कदम आगे चला गया था. इसी दरमियान गाड़ी में लूटपाट की घटना हुई और उन लोगों ने दीप्ति के गले में रस्सी डाल कर के हत्या कर दी.

जब वह पास आया था तो उस के भी हाथ बांध दिए गए थे, मगर उस ने एक लात मार कर भाग कर अपनी जान बचाई थी.

देवेंद्र ने यह भी बताया था कि किसी एक ने उस की कनपटी पर पिस्टल रख कर के धमकी भी दी थी. इन सारी

बातों की विवेचना जब पुलिस ने की तो देवेंद्र सोनी की बातों में विरोधाभास दिखा. सब से बड़ा सवाल यह था कि जब लूटपाट करने वालों के पास पिस्टल थी तो उन्होंने दीप्ति को नायलोन की रस्सी से क्यों मारा? और मोबाइल के सिम को क्यों निकाला था?

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पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी कि देवेंद्र अपने बयान में कहीं झूठ बोल रहा है और उस की बातों की सत्यता जानने के लिए अब पुलिस को देवेंद्र से पूछताछ करनी थी. पुलिस ने पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए उसे रात को घर भेज दिया गया था, साथ ही यह निर्देश भी दिए कि जरूरत पड़ने पर बयान के लिए फिर से थाने आना होगा.

दीप्ति के अंतिम संस्कार के बाद अगले दिन 16 जून को जब देवेंद्र को जांच अधिकारी अविनाश कुमार श्रीवास ने फोन लगाया तो उस का फोन दिन भर बंद  मिला. देवेंद्र का फोन बंद हो जाने से पुलिस का शक और भी गहरा  गया.

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