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सौजन्य- मनोहर कहानियां

दीदार सिंह जब अपने काम से वापस गांव आता तो यह चर्चा उसे भी सुनने का मिलने लगी. शुरुआत में तो दीदार सिंह ने नजरअंदाज कर दिया, क्योेंकि एक तो उसे अपनी पत्नी मंजीत पर पूरा विश्वास था. दूसरे बलजीत उस के लिए सगे भाई से भी ज्यादा भरोसेमंद था.

लेकिन जब बारबार ऐसा होने लगा तो दीदार सिंह के मन में भी शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा, जिस के बाद उस ने अपनी पत्नी की गतिविधियों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी.

एक दिन उस ने खुद भी बलजीत को मंजीत की दुकान में उस के साथ संदिग्ध स्थिति में पकड़ लिया. दरअसल, दोनों दुकान का शटर गिरा कर एकदूसरे के साथ आलिंगनबद्ध थे.

उस दिन दीदार ने बलजीत को जम कर खरीखोटी सुनाई और उस की खूब बेइज्जती की. साथ ही उस ने बलजीत को यह भी हिदायत दी कि आज के बाद वह उस के घर और परिवार के किसी भी सदस्य से मिलने की कोशिश न करे.

दीदार ने उस दिन घर आ कर खूब शराब पी और शराब के नशे में मंजीत कौर पर बदचलनी का तोहमत लगा कर मारपीट भी कर दी.

दीदार सिंह का मन नहीं भरा तो अगले दिन वह अपनी मौसी के घर भी चला गया और वहां पूरे परिवार को ये बात बता दी कि किस तरह बलजीत ने उस की भोलीभाली पत्नी को अपने जाल में फंसा कर भाई की पीठ में छुरा घोंपा है और रिश्तों को कलंकित किया है.

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