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सौजन्य- मनोहर कहानियां

गुजरात के जानेमाने शहर बड़ौदा के न्यू समा रोड पर स्थित चंदन पार्क सोसायटी के मकान नंबर सी-48 की तीसरी मंजिल पर तेजस पटेल अपनी पत्नी शोभना और 6 साल की बेटी काव्या के साथ रहता था.

10 अक्तूबर दिन रविवार की रात को तेजस और शोभना की बेटी काव्या मामी के साथ गरबा खेल कर हंसीखुशी से ऊपर आई तो रात के साढ़े 11 बज रहे थे. ऊपर आते समय काव्या ने दूसरी मंजिल पर रहने वाले अपने मामा जितेंद्र बारिया को गुडनाइट कहा था. उस समय वह बहुत खुश थी.

बेटी के आने पर तेजस ने पहले से ला कर फ्रिज में रखी आइसक्रीम निकाली और एकएक आइसक्रीम पत्नी और बेटी को दी तथा एक आइसक्रीम खुद खाई. आइसक्रीम खा कर तीनों सोने के लिए लेट गए.

रात डेढ़ बजे के आसपास तेजस ने दूसरी मंजिल पर रहने वाले अपने साले जितेंद्र बारिया से आ कर बताया कि पता नहीं क्यों शोभना और काव्या उठ नहीं रही हैं? यह सुन कर जितेंद्र पत्नी के साथ तुरंत ऊपर पहुंचा. बहन और भांजी की हालत देख कर जितेंद्र घबरा गया.

पत्नी और बहनोई की मदद से वह बहन और भांजी को पास के ही एक प्राइवेट अस्पताल में ले गया, जहां डाक्टर ने दोनों को देखते ही कहा, ‘‘इन की तो मौत हो चुकी है. इन का अब कुछ नहीं किया जा सकता.’’

इतना सुनते ही जितेंद्र रोने लगा. उस के साथ उस की पत्नी भी रोने लगी थी. पर तेजस की आंखों से एक बूंद भी आंसू नहीं गिरा. वह इस तरह मुंह लटकाए खड़ा था, जैसे वह वहां संवेदना व्यक्त करने आया हो और मरने वालों से उस का कोई खास संबंध न हो.

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मांबेटी की मौत डाक्टर को संदेहास्पद लगी थी, इसलिए डाक्टर ने इस बात की सूचना क्षेत्रीय थाना समा पुलिस को दे दी थी.

उस समय रात के यही कोई ढाई बज रहे थे. फिर भी बात 2 लोगों की संदेहास्पद मौत की थी, इसलिए थानाप्रभारी इंसपेक्टर एन.एच. ब्रह्मभट्ट 2 सिपाहियों के साथ कुछ ही देर में अस्पताल पहुंच गए. डाक्टर की मौजूदगी में उन्होंने लाशों का निरीक्षण किया.

लाशों को देख कर ही लग रहा था कि इन्हें गला दबा कर मारा गया है या फिर इन्हें जहर दिया गया है. पर जहर पीने या खाने से मुंह से झाग निकलता है, जबकि इन दोनों के मुंह से झाग बिलकुल नहीं निकला. उन के होंठ एकदम सूखे हुए थे.

इस के अलावा जहर खा कर मरने वाले के शरीर से जहर की गंध भी आती है. लेकिन यहां ऐसा भी कुछ नहीं था. निरीक्षण के दौरान थानाप्रभारी ने ही नहीं, किसी ने भी इस तरह की कोई गंध नहीं महसूस की थी. हां, शोभना के गले पर नाखून की खरोंच का निशान जरूर साफ दिखाई दे रहा था.

इस के अलावा उस ने गले में जो चेन पहनी थी, उस की रगड़ का भी निशान था. इस से डाक्टर और थानाप्रभारी को लगा कि कहीं गला दबा कर तो इन दोनों की हत्या नहीं की गई?

पर जब इस बारे में मृतका शोभना के पति तेजस से पूछताछ की गई तो उस ने साफ मना कर दिया. उस ने कहा, ‘‘साहब, मैं अपनी पत्नी और बेटी की हत्या क्यों करूंगा? हम सब तो रात को प्रेम से साथ खाना खा कर रात साढ़े 11 बजे के करीब आइसक्रीम खा कर सोए थे. रात में मैं डेढ़ बजे उठा तो इन लोगों को देख कर मुझे कुछ गड़बड़ लगी. मैं ने शोभना को जगाना चाहा, तो वह नहीं उठी. मैं घबरा गया. नीचे जा कर साले को बुला लाया. उस के बाद हम सभी दोनों को अस्पताल ले आए.’’

‘‘तुम जब रात में उठे तो तुम्हें क्या गड़बड़ लगी, जो तुम पत्नी को जगाने लगे?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘सर, बेटी के सो जाने के बाद मैं उठ कर पत्नी के बगल जा कर लेट गया था. मैं ने उसे जगाना चाहा, पर वह हिली भी नहीं. तब मुझे पता चला कि यह तो बेहोश है. उस के बाद मैं नीचे भागा.’’ तेजस ने बताया.

‘‘यह सब कैसे हुआ?’’ थानाप्रभारी ब्रह्मभट्ट ने अगला सवाल किया.

‘‘सर, मैं क्या बताऊं. मैं भी तो सो रहा था,’’ तेजस ने कहा.

इस के बाद थानाप्रभारी एन.एच. ब्रह्मभट्ट ने तेजस के साले जितेंद्र बारिया से पूछा, ‘‘तुम्हें क्या लगता है, इन की हत्या की गई है या इन्होंने आत्महत्या की है? क्योंकि देखने से ही लग रहा है कि ये स्वाभाविक मौतें नहीं हैं.’’

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जितेंद्र ने रोते हुए कहा, ‘‘सर, मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी बहन ने आत्महत्या नहीं की है. शाम को दोनों बहुत खुश थीं. फिर आत्महत्या करने की कोई वजह भी तो होनी चाहिए. मेरी बहन को कोई तकलीफ नहीं थी, जो वह आत्महत्या करती.’’

‘‘इस का मतलब इन की हत्या की गई है? खैर, इस का भी पता हम लगा ही लेंगे. पहले दोनों लाशों का पोस्टमार्टम करा लें, उस से साफ हो जाएगा कि इन की मौत कैसे हुई है?’’ थानाप्रभारी ने कहा.

अगले भाग में पढ़ें- जहर से मौत की हुई पुष्टि

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