बिहार में शराबबंदी थी, इसलिए टे्रनी डीएसपी आशुतोष कुमार अपने 3 दोस्तों को पार्टी देने के लिए सीमावर्ती झारखंड के जिला कोडरमा ले गया, तिलैया बांध के पास मैदान में पार्टी के दौरान ऐसा क्या हुआ कि डीएसपी और उस के 2 दोस्तों को जेल जाना पड़ा?
बिहार में रोहतास जिले के छिनारी गांव का रहने वाला आशुतोष, हाल ही में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद डीएसपी बना था और ट्रेनिंग पर था, उस की ट्रेनिंग के 3 महीने बाद दूसरी जगह पर ट्रेनिंग के लिए उसे शिफ्ट किया गया था.
डीएसपी बन जाने के बाद उस की सब से पहली तैनाती 3 महीनों के लिए बिहार के बक्सर जिला के सिमरी पुलिस थाने में एसएचओ के रूप में हुई थी. जिसे पूरा कर लेने के बाद 4 जुलाई, 2021 को उसे ब्रह्मपुर थाने में इंसपेक्टर के रूप में आगे की ट्रेनिंग को पूरा करने के लिए तैनात किया गया था.
आशुतोष की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग 56-59वीं बैच में पुलिस सेवा के लिए हुई थी.
ब्रह्मपुर की इस तैनाती से आशुतोष कुमार मन ही मन बहुत खुश था. क्योंकि सिमरी में एक ही पुलिस थाने में एसएचओ के तौर पर काम कर के वह काफी ऊब चुका था. हालांकि ब्रह्मपुर थाना सिमरी थाने से बहुत ज्यादा दूर नहीं था. 26 किलोमीटर सिर्फ एक घंटे का रस्ता ही था.
लेकिन उस के बावजूद आशुतोष को मिली इस नई जगह से काफी खुशी थी. नए लोगों से मिलना, नए केस सुलझाने का मौका मिलना इत्यादि से वह जोश से भर गया था.
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यह बात जब उस ने अपने दोस्तों, निखिल रंजन और सौरभ कुमार को फोन पर बताई तो उन्होंने आशुतोष से इस खुशी में हार्ड पार्टी (शराब) मांगी. निखिल और सौरभ जो कि आशुतोष के करीबी दोस्तों में से एक थे, उन्हें इस बात की खुशी थी कि अब वे जब चाहे तब आशुतोष से मिल लिया करेंगे.
क्योंकि अब उन के घर से आशुतोष की नई पोस्टिंग ब्रह्मपुर की दूरी पहले से कम हो गई थी. निखिल और सौरभ को पार्टी के लिए आशुतोष पर ज्यादा दबाव नहीं डालना पड़ा. आशुतोष तैयार हो गया.
आशुतोष ने उन से यह भी कहा कि वह ऐसी पार्टी देगा, जिसे जिंदगी भर भुला नहीं पाओगे.
‘‘ठीक है यार तू बस बता देना, हम तैयार हैं.’’ निखिल ने कहा.
‘‘ओके,’’ आशुतोष बोला.
इस के बाद आशुतोष पार्टी के बारे सोचने लगा कि कहां और कैसे करनी है. उस ने यह बात तो पहले ही तय कर ली थी कि वह पार्टी का इंतजाम अच्छे से करेगा. आशुतोष पार्टी में ड्रिंक्स (शराब) की भी व्यवस्था करना चाहता था, लेकिन बिहार में शराबबंदी को देखते हुए उस ने इस की दूसरी जगह ही व्यवस्था कर ली. उसे वही अपना पुराना अड्डा याद आया.
पार्टी का फुल एंजौय करने के लिए उस ने 2 दिन की छुट्टी ले ली. 8 जुलाई की सुबह वह तैयार हो कर, अपने साथ थोड़ाबहुत सामान ले कर वह कार से पटना के महावीर नगर की तरफ निकल गया, क्योंकि उधर उस के दोस्त निखिल और सौरभ रहते थे. वहां से वह उन्हें पिकअप करना चाहता था.
कार ड्राइव करते हुए ही उस ने और सब से पहले दोस्त सौरभ को फोन किया. सौरभ और निखिल का घर एकदूसरे से ज्यादा दूर नहीं था. दोनों का घर पटना के बेउर थाना क्षेत्र में पड़ता था.
गाड़ी चलाते हुए आशुतोष ने सौरभ के फोन उठाते ही बोला, ‘‘अरे सुन यार, मैं तेरे पास आ रहा हूं वहां 2 घंटे में. तुझे जो काम निपटाने हैं, निपटा ले जल्दी से. और तैयार हो जा. 2 दिनों का ट्रिप बनाया है मैं ने.’’
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डीएसपी की 2 दिन की ट्रिप
2 दिनों के ट्रिप का नाम सुनते ही सौरभ आशुतोष से हकपकाते हुए बोला, ‘‘क्या..? 2 दिन का ट्रिप? यार, पहले बताना चाहिए था न तुझे. और एकदम से ऐसे आईडिया कहां से आते हैं तुझे.’’
उस की बात का जवाब देते हुए आशुतोष बोला, ‘‘अरे यार, बना लिया प्लान. अब ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है. अपने पुराने अड्डे पर जाएंगे हम. वहीं पर होटल किराए पर ले कर ठहर जाएंगे. अगर मन करेगा तो कार तो है ही, कहीं और कुछ अच्छा एक्सप्लोर करेंगे. तुम लोगों को हार्ड पार्टी चाहिए थी न, चलो करवाता हूं मैं तुम्हें हार्ड पार्टी.’’
आशुतोष की बात सुन कर सौरभ के भी मन में भी खुशी के लडडू फूटने लगे. वह आशुतोष के साथ ट्रिप पर चलने के लिए बहुत एक्साइटेड हो गया और बोला, ‘‘भाई, अगर ऐसा ही है तो ठीक है. लेकिन एक दिक्कत है, घर पर क्या बताऊं कि 2 दिनों के लिए कहां जा रहा हूं? और अगर घर वाले नहीं माने और पापा ने इनकार कर दिया तो फिर क्या करूंगा?’’
आशुतोष ने बड़ी बेफिक्री से सौरभ के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘बोल दे कि आशुतोष के साथ 2 दिनों के लिए जा रहा हूं. अगर कोई कुछ पूछे कि कहां तो कहना कि बिहारशरीफ जा रहे हैं, दोस्त की शादी है. 2 दिन रुकना पड़ेगा और अगर फिर भी न मानें तो उन से मेरी बात करवा देना.’’
सौरभ ने आशुतोष की बात ध्यान से सुनी और बोला, ‘‘चल ठीक है. मैं बोलता हूं पापा को. और जब तू घर के नजदीक पहुंच जाए तो फोन कर के बता दियो एक बार, मैं बाहर निकल आऊंगा घर से.’
यहां सौरभ ने अपने घर वालों को 2 दिनों के लिए घर से बाहर जाने के लिए कहा तो उस के घर वाले आशुतोष के साथ जाने का नाम सुन कर ही बेफिक्र हो गए और उन्होंने सौरभ को जाने की अनुमति दे दी.
सौरभ से बात करने के बाद आशुतोष ने निखिल को फोन लगाया. निखिल के फोन उठाते ही उस ने उसी अंदाज में उस से भी साथ चलने को कहा जिस अंदाज में उस ने सौरभ से कहा था. सौरभ की तरह निखिल भी पहले सकपका गया और बोला, ‘‘यार, तुझे पता ही है कि मेरे पापा कितने शख्त हैं, उन्हें मनाना बहुत मुश्किल है. तू उन से बात कर ले तो कोई बात बनेगी.’’
दरअसल, निखिल के पिता, ऋषिदेव प्रसाद सिंह भी बिहार के गया जिले के चरेखी थाने में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे. और वह आशुतोष को भी जानते थे. निखिल के कहने पर आशुतोष तुरंत उस के पिता से बात करने की बात को मान गया और उस ने उस के पिता को फोन देने के लिए कहा.
निखिल ने हिचकिचाहट और डरते हुए फोन ले जा कर अपने पापा के हाथों में सौंपते हुए कहा, ‘‘पापा आशुतोष बात करना चाहता है आप से.’’
ऋषिदेव प्रसाद अपनी भौहें चढ़ाते हुए निखिल के हाथों से फोन लेते हुए बोले, ‘‘हां जी साहब, बताएं क्या बात है?’’
आशुतोष उन के सवाल का जवाब देते हुए बोला, ‘‘नमस्ते अंकल. दरअसल निखिल को साथ में ले जाने की सोच रहा था. बिहारशरीफ में एक दोस्त की शादी है तो 2 दिन रुकना पड़ सकता है उस के घर. अगर निखिल को भेज देंगे तो उसे भी अच्छा लगेगा.’’
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पार्टी के लिए पहुंचे कोडरमा
यह सुन कर निखिल के पिता ऋषिदेव प्रसाद ने आशुतोष को उसे साथ में ले जाने की अनुमति दे दी और कहा, ‘‘बस 2 दिन में वापस आ जाना. इन की मां इन के बगैर बड़ी परेशान रहती हैं. ध्यान रखिएगा.’’
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