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शाहरुख के खौफ से बेहद डरीसहमी अंकिता महीनों से तनाव में थी. गलीमोहल्ले से ले कर घर तक पीछा करने वाले शाहरुख के कड़वे, तीखे बोल मोबाइल फोन तक से जबतब कानों में गूंजने लगते थे. रात के अंतिम पहर में शाहरुख ने जो कदम उठाया, वह अमानवीय और रूह कंपा देने वाला अपराध था. पैट्रोल से जिंदा जलाई गई अंकिता ने अंतिम सांस लेते हुए कहा था, ‘‘जैसे मैं मर रही हूं, वैसी ही मौत उसे दी जाए.’’

झारखंड के दुमका में सोमवार 22 अगस्त, 2022 की सुबह अंकिता की आंखें सूर्योदय के बाद तब खुली थीं, जब बंद खिड़की की टूटी किवाड़ से सूर्य की किरणें सीधे उस के चेहरे पर पड़ने लगी थीं. बिस्तर छोड़ते ही उस की नजर खिड़की की टूटी किवाड़ पर गई, जिसे उस ने रात को सोने से पहले सहारा दे कर लगा दिया था.

कुछ सोच कर खिड़की के पास जा कर उसे देखते हुई बुदबुदाने लगी, ‘‘इसे आज ही बनवाने के लिए पापा से बोलना होगा. लेकिन पापा टूटने का कारण पूछेंगे, तब वह उन से क्या बोलेगी?’’

और फिर वह उस के टूटने के कारण को याद कर सिहर गई.

दरअसल, घर के पिछवाड़े की ओर आनेजाने की आम रास्ते की गली में खुलने वाली खिड़की की किवाड़ टूटी नहीं, बल्कि तोड़ी गई थी. उसे एक दिन पहले ही मोहल्ले के शाहरुख नाम के युवक ने ही तोड़ डाला था.

शाहरुख के रहनसहन, उद्दंड बातव्यवहार और मिजाज के साथ पढ़ाकू अंकिता के शांत सौम्य स्वभाव का कोई मेल नहीं था. वह झारखंड के मिश्रित समुदाय की आबादी वाले एक चर्चित शहर दुमका के जरुआडीह मोहल्ले में रहती थी. वहां हिंदू और मुसलमानों की मिलीजुली आबादी है.

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