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उधर सीबीआई अपने कानों में तेल डाल कर अपनी जांच प्रक्रिया में जुटी रही. सीबीआई के 9 महीने के अथक प्रयास के बाद हलाइला जंगल से एक लकड़ी काटने वाले राजू नाम के संदिग्ध को पकड़ा और उस से कड़ाई से पूछताछ की.

खुद को निर्दोष बताते हुए राजू ने सीबीआई अधिकारी गुरम को बताया कि 5 जुलाई के दिन जंगल में अनिल उर्फ नीलू परेशान हाल में देखा गया था. उस के बाद से वह कहीं नहीं दिखाई दिया. वह मंडी जिला के बटोर का रहने वाला है और यहां पर एक ठेकेदार के पास लकड़ी चिरान का काम करता था.

राजू के बयान के बाद एसपी गुरम ने उसे छोड़ दिया और मुखबिर के जरिए नीलू का पकड़ने के लिए जाल फैला दिया. 13 अप्रैल, 2018 को सीबीआई ने आखिरकार शिमला के हाटकोटी इलाके से अनिल उर्फ नीलू समय गिरफ्तार कर लिया जब वह शिमला छोड़ कर कहीं भागने की फिराक में जुटा था.

एसपी एस.एस. गुरम गिरफ्तार नीलू को सीधे सीबीआई मुख्यालय दिल्ली ले आए और यहां उस से कड़ाई से पूछताछ की.

आखिरकार सीबीआई के सवालों की बौछार के आगे नीलू टूट ही गया और अपना जुर्म कुबूलते हुए गुडि़या रेपमर्डर केस को खुद अंजाम देने की बात कुबूल ली. फिर उस ने आगे की पूरी कहानी रट्टू रोते की तरह उगल दी, जो कुछ ऐसे सामने आई—

28 वर्षीय अनिल उर्फ नीलू उर्फ कमलेश उर्फ चरानी मूलरूप से मंडी जिले के बटोर का रहने वाला था. शिमला के कोटखाई थाने के महासू में किराए का कमरा लेकर अकेला रहता था. हलाइला गांव के पास तांदी के जंगल में एक ठेकेदार के यहां वह लकड़ी चीरने का काम करता था.

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