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सौजन्य- सत्यकथा

बालकराम के घर आतेजाते संतराम कब सुशीला की तरफ आकर्षित हो गया, उसे पता ही नहीं चला. बात तब बढ़नी शुरू हुई, जब सुशीला ने उस के कुंआरेपन को ले कर 1-2 बार ऐसे मजाक कर डाले जो एक औरत की मर्यादा से बाहर के थे.

जाहिर है जब सुशीला खुली तो संतराम ने उसी खुलेपन से उस के साथ हंसीमजाक शुरू कर दिया. इस दौरान दोनों एकदूसरे की तरफ इस कदर आकर्षित हो गए कि बालकराम की गैरमौजूदगी में भी संतराम उस के घर आनेजाने लगा और सुशीला के साथ उस के नाजायज संबध बन गए.

गांवदेहात में ऐसी बातें किसी से छिपती नहीं हैं. लिहाजा जल्द ही गांव में दोनों के संबधों की चर्चा चौपाल तक पर होने लगी. बालकराम को इस की भनक लगी तो उस ने सुशीला के साथ मारपीट की और संतराम का अपने घर आनाजाना बंद करा दिया.

कहते हैं कुंआरे इंसान को एक बार औरत के शरीर की गंध लग जाए तो फिर वह बहुत दिनों तक उस का स्वाद चखे बिना रह नहीं पाता. संतराम ने अब चोरीछिपे सुशीला से मिलनाजुलना शुरू कर दिया. लेकिन यह बात भी जल्द ही बालकराम को पता चल गई. इस के बाद तो उस के घर में आए दिन का क्लेश रहने लगा.

सुशीला चंचल स्वभाव ही नहीं, जिस्मानी रूप से एक मर्द से खुश रहने वाली औरत नहीं थी. 5 बच्चे पैदा करने के बाद उस ने ख्वाहिशों की उड़ान भरनी नहीं छोड़ी.

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संतराम भी अब उस के प्यार में बुरी तरह पागल हो चुका था. लिहाजा सुशीला व संतराम ने फैसला किया कि वह बालकराम को छोड़ कर बच्चों को ले कर संतराम के साथ शाहजहांपुर से चली जाएगी.

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