सौजन्य- मनोहर कहानियां
Writer- शाहनवाज
बिजनैसमैन अरुण और डा. आस्था की गृहस्थी की गाड़ी हंसीखुशी से चल रही थी. लेकिन उन दोनों के बीच आए ‘वो’ ने गृहस्थी में नफरत का बीज अंकुरित कर दिया. इसी बीच डा. आस्था ने पति अरुण को ऐसी ठेस पहुंचाई कि अरुण ने एक खतरनाक फैसला ले लिया. फिर जो हुआ...
13अक्तूबर, 2021 की देर शाम को करीब साढ़े 8 बज रहे थे. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सिविल
लाइंस के रहने वाले तरुण अग्रवाल, अपने छोटे भाई अरुण अग्रवाल, जोकि अलीगढ़ शहर की रमेश विहार कालोनी में अपने परिवार के साथ रहता था, के घर पर पहुंचा था. तरुण का घर अरुण के घर से मात्र 20 मिनट की दूरी पर था, जो वह अकसर अपनी बाइक से तय किया करता था.
दरअसल, एक दिन पहले ही अरुण अपने दोनों बच्चों को तरुण के घर पर छोड़ने आया था और आज तरुण अपने भतीजेभतीजी के कपड़े लेने अरुण के घर पर आया था.
तरुण ने अपनी बाइक अरुण के घर के आगे रोकी और बाहर से देखा तो घर पर अंधेरा और काफी शांति छाई हुई थी. घर के बाहर बरामदे में बस एक लाइट ही जल रही थी, जिस से बाहर गली तक थोड़ीबहुत रौशनी फैल रही थी.
बाइक से उतर कर तरुण बरामदे से होते हुए मकान के मेनगेट पर पहुंचा तो देखा कि दरवाजे पर ताला लटका हुआ है. दरवाजे पर ताला लटका देख तरुण को थोड़ी हैरानी हुई कि अभी तक तो डा. आस्था (अरुण की पत्नी) घर वापस आ जाया करती है.
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