राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल सीमा अपनी 4 वर्षीय बेटी वंशिका के साथ बीछवाल थाना प्रांगण में बने स्टाफ क्वार्टर में रहती थी. उस के साथ उस का भाई सुमित भी रहता था. सुमित भी राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल था. सीमा की ड्यूटी बीकानेर पुलिस लाइन में थी. करीब डेढ़ महीना पहले ही वह पाली जिले से ट्रांसफर करा कर बीकानेर आई थी. पहले उस की पोस्टिंग पाली के औद्यौगिक थाने में थी.

25 मार्च, 2018 की शाम को सीमा बेटी के साथ थी. उस का भाई सुमित किसी काम से बाजार गया हुआ था. जब वह बाजार से घर लौटा तो घर में कमरे का दरवाजा अंदर से बंद मिला. सुमित ने दरवाजा खटखटा कर बहन को आवाज दी पर दरवाजा नहीं खुला.

कई बार आवाज देने के बावजूद भी जब अंदर से कोई हलचल नहीं हुई तो सुमित ने खिड़की से अंदर झांक कर देखा तो उसे बहन सीमा व वंशिका फंदे पर झूलती दिखाई दीं. यह देख कर सुमित की चीख निकल गई.

उस के चीखने की आवाज सुन कर पड़ोसी भी वहां आ गए. सुमित ने लोगों की सहायता से खिड़की तोड़ी. उस ने सब से पहले अपनी बहन और भांजी को फंदे से उतारा. तब तक बीछवाल के थानाप्रभारी धीरेंद्र सिंह पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच चुके थे. दोनों को तुरंत पीबीएम अस्पताल ले जाया गया. जहां डाक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया.

मृतका सीमा के कमरे से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ. उस में कांस्टेबल सीमा ने सासससुर से माफी मांगते हुए लिखा कि सभी ने उस का और बेटी वंशिका का खयाल रखा, लेकिन पति हरकेश की मौत के बाद से मैं बहुत तनाव में हूं. इसलिए बेटी के साथ फांसी लगा कर आत्महत्या कर रही हूं. सीमा ने पत्र में इच्छा जताई कि मेरा अंतिम संस्कार भी वहीं हो, जहां पति का किया गया था और उस की और बेटी की आंखें दान कर दी जाएं. ताकि किसी को रोशनी मिल सके.

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