17 वर्षीय मंजुला अपने परिवार के साथ मोहाली के गांव मटौर में रहती थी. सेक्टर-69 के एक वकील के यहां वह बेबीसिटर की नौकरी करते हुए उन के छोटे बच्चे को संभालती थी. दिन के 9 बजे उस की ड्यूटी शुरू होती थी और प्राय: शाम 4 बजे छुट्टी कर के वह पैदल ही घर के लिए निकल पड़ती थी. 9 नवंबर, 2017 की सुबह भी वह नौकरी पर जाने के लिए रोजाना की तरह घर से निकली थी. मगर उस शाम घर नहीं लौटी.

पैदल चल कर भी मंजुला अकसर 5 बजे तक घर पहुंच जाया करती थी. उस रोज 6 बज गए और वह नहीं लौटी तो उस के भाई ने वकील के यहां फोन कर के दरियाफ्त की. वकील साहब ने बताया कि मंजुला तो हमेशा की तरह शाम के 4 बजे छुट्टी कर के चली गई थी.

इस जानकारी से घर में सब को लड़की की फिक्र हो गई. पहले तो उस की तलाश में काफी भागदौड़ की गई. फिर उस के भाई ने इस संबंध में पुलिस से गुहार लगाई तो फेज-8 के थाने में मंजुला की गुशुदगी लिखा दी गई. नाबालिग लड़की का मामला होने की वजह से पुलिस ने भी मंजुला की तलाश के लिए हाथपैर चलाए. लेकिन उस के संबंध में कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली.

इस के बाद लगातार मंजुला की तलाश की जाती रही. उस का मिल पाना तो दूर की बात, उस के बारे में कहीं से कोई छोटीमोटी खबर तक नहीं मिल पाई थी. देखतेदेखते मंजुला को गायब हुए 5 दिन गुजर गए.

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