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6 मार्च, 2020 की शाम साढ़े 5 बजे लक्ष्मी देवी घर पर नहीं थी, वह मंदिर गई हुई थी. शिवम ने रानी को बुला लिया और घर में रखे पैसे और गहने निकालने लगा. तभी लक्ष्मी देवी घर वापस लौट आई. शिवम की हरकत देख कर वह बिफर पड़ी, ‘‘शिवम!’’

मां की आवाज सुन कर शिवम चौंक गया और एक झटके में खड़ा हो कर अपनी मां की तरफ  देखने लगा. उस के पास ही रानी भी खड़ी थी.

बेटे शिवम को दुत्कारते हुए लक्ष्मी देवी बोली, ‘‘अब यही दिन तो दिखाना बाकी रह गया तुझे दुष्ट. खुद तो कभी कुछ कमाया नहीं और मेरी जिंदगी भर की पूंजी को चुरा कर उड़ाने पर आमादा है. आज तुझे तो मैं सबक सिखा कर ही रहूंगी. अभी मैं पुलिस को फोन करती हूं और तुम दोनों को अंदर करवाती हूं. जब जेल की हवा खाओगे, तब समझ में आएगा.’’

यह सुन दोनों घबरा उठे और एकदूसरे की ओर देखा. शिवम ने महसूस किया कि रानी जैसे उस से कह रही हो रोको अपनी मां को. शिवम ने सहमति में सिर हिलाया. फिर अपनी मां की ओर झपटा. मां के हाथ से मोबाइल छीन कर शिवम ने मां को बैड पर गिरा दिया. फिर बैड पर रखे तकिया से उस ने अपनी मां का कस कर मुंह दबा दिया, जिस से दम घुटने से लक्ष्मी देवी की मौत हो गई.

अब शिवम को समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या करे. उस ने रानी को उस के घर भेजा. फिर मकान के मेनगेट में लौक लगा कर वह भावना एस्टेट गया, वहां एक चाय की दुकान पर बैठा रहा. वहां बैठने के दौरान उस ने रानी से कई बार फोन पर बात की. वह चाय की दुकान पर 5 घंटे बैठा रहा. रात 11 बजे वह घर पहुंचा, तब उस ने जगदीशपुरा थाने को मां की मौत हो जाने की सूचना दी.

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