पिछले दिनों खबर आई थी कि क्लोनिंग के डर से कई बैंकों ने अपने लाखों ग्राहकों के एटीएम कार्ड ब्लौक कर दिए हैं. खबर सुन कर हम ने भी एटीएम का रुख किया. पत्नी का कार्ड बच गया था, मगर अपना कार्ड ब्लौक मिला.

फिर क्या था, भागदौड़ शुरू हो गई. बैंक में जा कर नए एटीएम कार्ड के लिए अर्जी दी. इन पंक्तियों के लिखने तक तो नया एटीएम कार्ड मिल नहीं पाया था. बैंक वाले कह रहे हैं कि जल्द ही मिल जाएगा.

इस परेशानी के दौरान यों ही एटीएम क्लोनिंग के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई, तो जो जानकारी मिली, उस से बड़ी हैरानी हुई. हैरानी इसलिए, क्योंकि एटीएम क्लोनिंग करने वालों को पकड़ना भले ही मुश्किल हो, लेकिन एटीएम क्लोनिंग को ध्वस्त करना ज्यादा मुश्किल नहीं है, लेकिन फिर भी देशभर में हल्ला मचा हुआ है और लोग परेशान हैं.

साइबर माहिरों के मुताबिक, कोई भी जालसाज या हैकर एटीएम कार्ड की क्लोनिंग के लिए 2 जगहों पर काम करता है. ये जगह हैं:

1. एटीएम कार्ड मशीन के अंदर डालने वाली जगह.

2. एटीएम मशीन में कीबोर्ड के ऊपर वाली जगह.

साइबर माहिरों के मुताबिक, कार्ड की नकल बनाने के लिए जालसाज एटीएम कार्ड ऐंटर करने वाली जगह पर पोर्टेबल स्कैनर लगा देते हैं. ये स्कैनर इस तरह से बने होते हैं कि इन की बनावट एटीएम मशीन के कार्ड ऐंटर करने वाले हिस्से से बिलकुल मिलतीजुलती होती है, जिस से ज्यादातर लोग अंदाजा नहीं लगा पाते हैं कि वहां कोई स्कैनर भी लगा हुआ है.

जैसे ही कोई शख्स अपना कार्ड अंदर डालता है, वैसे ही उस का फोटो स्कैन हो जाता है, जिसे जालसाज एडीशनल ट्रैपिंग उपकरण के जरीए हासिल कर लेते हैं.

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