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पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- अंजाम: भाग 1

रूना आगे बोली, ‘‘रोजाना पार्क में वाक के लिए जाती थी, उस दिन के बाद आप को छिपछिप कर देखने लगी थी. आप से बात करने का मन होता था पर हिम्मत नहीं होती थी.

‘‘एक दिन पार्क में आप को कोई परिचित मिल गया था. उस के साथ आप की जो बात हुई, उस से पता चला कि आप प्रोफेसर हैं. शादीशुदा तो हैं ही, 2 बड़ेबड़े बच्चों के पिता भी हैं.

‘‘किस कालेज में पढ़ाते हैं और कहां रहते हैं, इस का पता भी चल गया था. इस के बावजूद आप के प्रति मेरा झुकाव कम नहीं हुआ.

‘‘आज इस पार्टी देने वाले की कृपा से आप से बात करने का मौका मिला है.यहां आते ही आप पर मेरी नजर पड़ी थी. मिलूं या न मिलूं, इसी उधेड़बुन में थी कि पत्नी से अपमानित हो कर आप इधर आ गए.

‘‘दुख में आप का साथ देना मुनासिब समझा और आप के पीछे आ गई. मेरी दोस्ती कबूल करें या न करें, पर जीवन भर आप को याद रखूंगी’’

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उन्हें समझते देर नहीं लगी कि रूना उन के शानदार व्यक्तित्व की कायल है.

इसी तरह कालेज लाइफ में भी कई लड़कियां उन पर घायल थीं. कुछ ने शादी का प्रस्ताव भी दिया था. लेकिन उन्होंने किसी का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया था. उस समय कैरियर ही सब कुछ था.

शिक्षा क्षेत्र में जाना चाहते थे, इसीलिए एमए के बाद पीएचडी की. फिर थोड़े से प्रयास के बाद कालेज में नियुक्ति हो गई.

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