आजकल एक चुटकुला बहुत वायरल हो रहा है और वह यह कि लोग तो लॉक डाउन का पालन कर पा रहे हैं लेकिन सरकार नहीं कर सकी. तभी तो सरकार ने लॉक डाउन के बावजूद चालीस दिनों से बंद शराब की दुकानों को खोलने का फैसला किया ताकि देश की आर्थिक स्थिति को संभाला जा सके. जिन्हें अब तक नाकारा शराबी समझा जाता था अब वही देश की अर्थव्यवस्था को संभालेंगे. चुटकुलों में तो शराबियों को बाहुबली के रूप में भी दिखाया जा रहा है जो गिरती हुई इकोनामी को संभालने के लिए आगे आए हैं.

लेकिन बाहुबली क्या मर्द ही हैं. उन औरतों का क्या जो पीती हैं? क्या उनको भी हमारा समाज इसी तरह स्वीकार कर सकता है? आदमी पिए और पीकर चाहे दंगा करें या मारपीट उसे इस बात की छूट मिल जाती है कि उसने पी रखी है. लेकिन जब एक औरत पीती है तो  समाज को उसे स्वीकारने में काफी दिक्कत होती है. समाज को यह दिक्कत कम है कि करोड़ों औरतों के पति पिता बेटे क्यों शराब पीते हैं क्योंकि ऐसा होता  तो सरकार दुकानें ही नहीं चलने देती जैसे ड्रग्स की दुकानें नहीं चल सकती हैं. होना तो यह चाहिए कि शराब बिके ही नहीं लेकिन टैक्स की खातिर न केवल शराब जम कर बिकवाई जाती है, जगह जगह दुकानें मंदिरों की तरह खुलवाई जाती हैं.

समस्या लड़कियों से है कि वे पीती हैं  मतलब बिगड़ी हुई हैं.

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शराब या सिगरेट पीना औरत के चरित्र से जोड़ दिया जाता है. जो औरतें पीती हैं उन्हें गलत नजर से देखा जाता है. शायद इसीलिए आजकल की युवा लड़कियां जो ज्यादातर शराब और सिगरेट दोनों के शौक रखती हैं और पीने से कोई गुरेज नहीं करतीं, वह अपने अपने बॉयफ्रेंडों की आढ़ में पी लिया करती थीं. लेकिन जब से यह लॉक डाउन हुआ है, तब से बॉयफ्रेंड से मिलना भी दूभर हो गया है. सब अपने-अपने घरों में बंद हैं. तो ऐसे में जिन औरतों को पीने का शौक है उनका क्या हो? ये लड़कियां बराबरी की होड़ में शराब सिगरेट पीने लगती हैं, इसमें संदेह नहीं.

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