बेशक चीन की देन कोरोना वायरस का नाम सुनते ही शरीर में झुरझुरी सी दौड़ जाती है. फिलहाल हालात बेकाबू से लगते हैं और जिस तरह लोग इस महामारी के खतरनाक असर को समझ नहीं पा रहे हैं, उस से तो आने वाले दिनों में कैसे हालात बनेंगे, उस की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.

अब जबकि पूरा भारत लाकडाउन का दंश झेल रहा है, तो घर पर उस के साथी परिवार वाले तो हैं ही, पत्रिकाएं और पुस्तकें भी उसे सही राह दिखा रही हैं, फिर वे लोगों के घर में रखी हों या डिजिटल एडिशन ही सही.

सोशल मीडिया के जरिए सब हर तरह की जानकारी पा रहे हैं. इन में सच भी होता है तो अफवाहें भी. सरकार की तारीफ होती है तो उस की खिंचाई भी. लोगों की जान बचाते डाक्टरों के वायरल होते वीडियो होते हैं तो कहींकहीं पुलिस की ज्यादती या दूसरे लोगों की कालाबाजारी के चर्चे भी उघाड़ दिए जाते हैं.

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इन सब के बीच कुछ ऐसा मनोरंजन भी हो रहा है जो कोरोना की महामारी के डर के बावजूद घर बैठे लोगों के चेहरे पर मुसकान ले आता है. बहुत बार तो खिलखिलाहट भी. ऐसे ही चंद चुटकुले हैं जो सोशल मीडिया पर चकरघिन्नी की तरह घूम रहे हैं. इन में से कुछ खास इस तरह हैं :

कोरोना महामारी न फैले इसलिए एक बार एक आदमी वर्किंग फ्राम होम कर रहा था. उस का क्लाइंट किसी बात पर नाराज हो कर बोला, ‘मैं आप के काम से खुश नहीं हूं. आप अपने बौस से मेरी बात कराइए.’

इतना सुनते ही वह आदमी जोर से चिल्लाया, ‘अजी सुनती हो, ये जनाब तुम से बात करना चाहते हैं.’

इसी तरह घर पर बैठे 2 दोस्त फोन पर अपना दुखड़ा रो रहे थे. पहला दोस्त बोला, ‘मैं इस समय  स्टेज 3 में हूं. पहली स्टेज में बरतन मांजे, दूसरी स्टेज में खाना बनाया, तीसरी स्टेज में कपड़े धो रहा हूं. और तुम?’

दूसरा दोस्त ने सीना तान कर कहा, ‘मैं ने बेलन से मार खा ली मगर काम नही किया… भाई, कोरोना तो थोड़े दिन में चला जाएगा, मगर पत्नी को पता चल गया कि इस को यह सब आता है तो जिंदगीभर करना पड़ेगा.’

एक भाई ने तो अपनी भड़ास कुछ इस तरह निकाली, ‘इसी तरह लाकडाउन बढ़ता रहा और 24 घंटे मियांबीवी को साथ रहना पड़ा, तो वैज्ञानिकों से पहले कोई पति ही कोरोना वायरस का टीका बना देगा.’

कर्फ्यू लगने के बावजूद एक बंदा बाहर सड़क पर टहल रहा था कि पुलिस ने उस से पूछा, ‘कहां जा रहे हो मुंह उठाए…पता नही कर्फ्यू लगा है…’

उस आदमी ने दर्द को पीते हुए कहा, ‘जनाब, दर्द दूर करने की मलहम लेने जा रहा हूं, कर्फ्यू का पता तो पिछले चौक में ही लग गया…’

इसी तरह एक आदमी डाक्टर के पास गया और बोला, ‘डाक्टर साहब, मुझे बैठने मे काफी तकलीफ हो रही है.’

डाक्टर ने छूटते ही पूछा, ‘कर्फ्यू देखने गए थे क्या?’

उस आदमी ने हैरान हो कर पूछा, ‘आप ने कैसे पहचाना?’

‘क्योंकि आजकल ऐसे लोग ज्यादा दवा लेने आ रहे हैं,’ डाक्टर ने चुटकी ली.

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घर में बैठेबैठे पक चुके एक आदमी ने अपने दोस्त पर भड़ास निकाली, ‘बिलकुल रेलवे के डब्बे में बैठने जैसी फीलिंग आ रही है … सिर्फ टायलेट के लिए उठ कर जाना है और फिर वापस आ कर अपनी जगह पर बैठ जाना है.’

एक आदमी ने तो हद ही कर डाली और बोला, ‘वह दिन दूर नहीं जब लोग कहेंगे कि यह छोटा वाला तो कोरोना के चक्कर में पैदा हो गया.’

एक आदमी ने तो चेतावनी दे डाली, ‘अगर बीवी से लड़ाई भी हो जाए तो भी घर से बाहर नहीं निकले.. इज्जत ही सबकुछ नहीं होती, जान है तो जहान है…’

एक भाई ने तो ज्ञान की गंगा ही बहा दी, ‘नोटबंदी की अपार सफलता के बाद पेश है ‘घरबंदी’ और वह भी अपनी ही बंदी के साथ…’

एक कवि टाइप शादीशुदा मर्द ने घर से ही एक चेतावनी दे डाली, ‘हवा की लहर बन कर, तू मेरी खिड़की न खटखटा. मैं बंद कमरे में बैठा हूं… तूफान से सटा…’

दरअसल, यहां वह आदमी अपनी गर्लफ्रैंड को बता रहा है कि मिसकाल मत देना, बीवी पास ही बैठी है.

लाकडाउन के इस समय में समय का सदुपयोग करें. खुद को साफसुथरा रखें, टाइमपास के लिए अच्छी पत्रिकाएं पढ़ें, जागरूक बनें और मौका मिलते ही चेहरे पर मुसकान ले आएं.

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