भोजपुरी फिल्मों में काम करने वाले ज्यादातर हीरो पहले गायक होते हैं, बाद में वे ऐक्टिंग करते हैं, पर उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले यश कुमार शुद्ध रूप से ऐक्टिंग करने वाले कलाकार हैं. साल 2014 में उन की पहली फिल्म ‘दिलदार सांवरिया’ रुपहले परदे पर आई थी. इस के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. 2 साल में ही वे कई कामयाब फिल्में कर चुके हैं. इन में ‘राजाजी आई लव यू’, ‘दिल लागल दुपट्टा वाली से’, ‘दरियादिल’, ‘सपेरा’, ‘बलम रसिया’, ‘लागी तोहसे लगन’, ‘हीरो गमछा वाला’ और ‘इच्छाधारी’ खास हैं.
आज अपनी मेहनत से यश कुमार ने भोजपुरी सिनेमा में ‘ऐक्शन किंग’ के रूप में अपनी पहचान बना ली है. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के खास अंश:
कितनी जद्दोजेहद के बाद आप को कामयाबी मिली?
इस को बताना तो बहुत मुश्किल है. मुझे ऐक्टिंग का शौक स्कूल के समय से ही था. यह बात जब मेरे घर वालों को पता चली, तो वे नाराज हुए. फिल्मों में काम करने का उन की नजर में कोई कैरियर नहीं था.
अपनी इच्छा पूरी करने के लिए मैं साल 2002 में अपने घर से 150 रुपए ले करमुंबई चला गया. वहां जाना आसान काम था, पर काम मिलना बहुत ही मुश्किल था.
मुंबई में अपना खर्च उठाने के लिए मैं ने कई काम किए. इन में सब से बड़ा काम योग क्लास शुरू करने का था. यहीं से मौडलिंग का भी काम मिलने लगा.
साल 2012 में जब मुझे पहली फिल्म मिली और वह कामयाब रही, तो नई पहचान बनी.
अब आप के घरपरिवार के लोगों का बरताव कैसा है?
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