रेटिंग: डेढ़ स्टार

निर्माता: राम गोपाल वर्मा

निर्देशकः राम गोपाल वर्मा

कलाकारः पूजा भालेकर,पार्थ सूरीअभिमन्यू सिंहराजपाल यादव,तियान लोंग शी

अवधिः दो घंटे

 

13 मिनट वीडियो कैसेट की दुकान चलाते चलाते फिल्म निर्देशक बने राम गोपाल वर्मा की अपनी एक अलग पहचान रही है.उन्होने ‘‘सत्या’’,‘रंगीला’,‘शूल’,‘कौन,‘मस्त’,‘जंगल’,‘ कंपनी’,‘भूत’ ,‘रोड’,‘सरकार’,‘सरकार राज’ सहित लगभग अस्सी फिल्में निर्देशित कर चुके हैं.उन्हे फिल्म शूल’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्ीय पुरस्कार भी मिला.मगर पिछले दस वर्षों में उनकी निर्देशकीय प्रतिभा का धीरे धीरे पतन ही होता रहा है.राम गोपाल वर्मा मार्शल आर्ट के गुरू ब्रूसली को ट्ब्यिूट देने के लिए बनायी गयी अपनी नई फिल्म ‘ लड़कीः द ड्ैगन गर्ल’’ में तो पूरी तरह से हार गए हैं.इस फिल्म में कहानी,पटकथा व निर्देशन सब कुछ कमजोर है.

 

कहानीः

फिल्म की कहानी एक रेस्टारेंट से शुरू होती है.जहां दो तीन लड़कियां छोटे कपड़े पहनकर बैठी हुई हैं.इनमें से एक पूजा (पूजा भालेकर) है,जो कि जीत कंुडो यानी कि जूड़ो कराटे में माहिर है.तो वहीं एक फोटोग्राफर नील (पार्थ सूरी ) भी बैठा हुआ है.कुछ गंुडे किस्म के लड़के उस रेस्टारेंट में आते हैं और लड़कियों के छोटे कपडों को लेकर फब्तियां कसते हैं.नील उन्हे ऐसा करने से मना करते हैं,तो वह लड़के नील की पिटायी कर देते हैं.यह देखकर पूजा उन लड़कों की अच्छे से ढुलाई कर देती है.यहीं से पूजा व नील दोस्त बन जाते हैं.पूजा बताती है कि वह मार्शल आर्ट के गुरू ब्रूसली की बहुत बड़ी फैन है और वह जीत कंुडो सीखती है.नील उसे लेकर चीन जाता है.इधर पूजा को जीत कंुडो सिखाने वाले गुरू(तियान लोंग षी) ,जो कि चीनी हैंकी हत्या हो जाती है और उनकी जमीन पर एक बिल्डर कब्जा कर लेता है.भारत वापस आने पर पूजा अपने गुरू के हत्यारांे से बदला लेनेे का निर्णय लेती है.पता चलता है कि इसके पीछे एम बी (अभिमन्यू सिंह) का हाथ है.जो कि कई तरह के अवैध ध्ंांधे चला रहा है.अब पूजा एमबी के खिलाफ लड़ाई शुरू करती है.अंत में जीत भले ही उसकी होती है,मगर उसे बहुत कुछ खोना पड़ता है.

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