सुनामी चाहे कोई समुद्र उगले या कोई फिल्म, ज्वार का जोश ठंडा होने पर ही पता चलता है कि तबाही किस हद तक की थी. कुछ ऐसा ही महसूस हुआ फिल्म ‘पठान’ को ले कर. 25 जनवरी, 2023 को रिलीज हुई शाहरुख खान की इस फिल्म ने कामयाबी के नए झंडे गाड़ दिए, नफरत के इस आलम में मुहब्बत की जीत हुई, दुनियाभर में ढाई घंटे की इस फिल्म का डंका बज गया, टिकट खिड़की पर हायतोबा मच गई, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री निहाल हो गई, ‘बौयकौट गैंग’ का जनाजा निकल गया, बंद हो चुके सिनेमाघर तक खुल गए... और भी न जाने क्याक्या दावे किए गए.

पर हकीकत तो यह है कि ‘पठान’ एक साधारण कहानी पर बनी फिल्म है, जिस में इतना ज्यादा ऐक्शन था कि शाहरुख खान को अपनी दिलकश अदाकारी दिखाने का मौका ही नहीं मिला. दरअसल, वे चाहते ही नहीं थे, क्योंकि उन्हें तो अपनी ‘घर वापसी’ सेहरे के पीछे मुंह छिपाए किसी दूल्हे की तरह शाही चाहिए थी, जिस में बेगाने अब्दुल्ला भी बेवजह नाचते. हुआ भी ऐसा ही. सोशल मीडिया के संगदिल दौर में यह साबित हो गया. कि फिल्म हो या राजनीति, लोगों की भावनाएं भड़का कर अपना उल्लू कैसे सीधा किया जाता है.

फिल्म ‘पठान’ को ले कर यह भी सुनने में आया कि जिस तरह नेता अपनी रैली को हिट करने के लिए किराए की जनता बुलाते हैं, उसी की तर्ज पर इस फिल्म को बनाने वालों ने सिनेमाघरों की टिकटें खुद खरीद कर लोगों में बांट दी थीं, ताकि फिल्म की ओपनिंग में कोई कसर न रह जाए.

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