के आसिफ ने जब 1960 में 'मुगल-ए-आज़म' फ़िल्म बनाई तब उसका बजट 1.5 करोड़ था. रिचर्ड एटनबरा की फ़िल्म गांधी का बजट 2.2 करोड़ अमरीकी डॉलर था. अभी कुछ हफ़्ते पहले रिलीज़ हुई हॉलीवुड की फ़िल्म 'ब्यूटी एंड द बीस्ट' का बजट 16 करोड़ अमरीकी डॉलर था. इन तीनों फ़िल्मों में एक समानता है. ये तीनों विषय मंच पर म्यूज़िकल नाटक के रूप में प्रस्तुत हो चुके हैं. इन म्यूज़िकल नाटकों का बजट एक करोड़ से लेकर करीबन 3.5 करोड़ तक पहुंचा है. जो नाटक इतने बड़े बजट में बने हैं उनके टिकट भी महंगे बिके. 'मुगल-ए-आज़म' के टिकट 500 से शुरू हो कर 7,500 रुपए तक बिके. और इसके सारे शो हाउसफ़ुल हुए हैं.

हेड-लाइव एंटरटेनमेंट डिज़्नी इंडिया और 'ब्यूटी एंड द बीस्ट' नाटक के निर्देशक विक्रांथ पवार का कहना है, "इतने बड़े नाटक को बनाने का प्रॉसेस जटिल होता है. इस प्रोडक्शन में एक साथ 80 लोग मंच पर परफॉर्म कर रहे थे. पूरे शो के लिए 200 लोग काम कर रहे थे. लाइव एंटरटेनमेंट के विकल्प वैसे भी कम हैं और लोग उन्हें देखना पसंद करते हैं."

अभिनेता बोमन इरानी 'गांधी-द म्यूज़िकल' के साथे जुड़े हैं. उनका कहना है, "लोग न्यूयॉर्क में ब्रॉड-वे देखने के लिए अगर पैसा खर्च करते हैं तो अपने देश के बड़े प्रोडक्शन्स क्यों नहीं देखेंगे? पश्चिम से तुलना करें तो हमारे यहां तो ऐसे बड़े म्यूज़िकल्स के लिए जगहों के विकल्प भी कम हैं. ऐसे में तीन बड़े म्यूज़िकल बनना कतई छोटी बात नहीं है. भारतीय विषयों और संगीत से बनते ये म्यूज़िकल्स दर्शक पसंद कर रहे हैं."

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